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Animal Disease Treatment: पशुओं में आफरा रोग और इसका उपचार

पशुओं को आफरा आना एक आम समस्या है जिसे पशुपालक अपने स्तर पर संभाल सकता है या पशु का उपचार कर सकता है. पशु को जब आफरा होता है तो उसे सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है और पेट अधिक फूल जाता है.

हेमन्त वर्मा
हेमन्त वर्मा
Cow
पशुओं में पेट की समस्या का समाधान

पशुओं को आफरा आना एक आम समस्या है जिसे पशुपालक अपने स्तर पर संभाल सकता है या पशु का उपचार कर सकता है. पशु को जब आफरा होता है तो उसे सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है और पेट अधिक फूल जाता है. ऐसा पशु ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकता है और जुगाली बंद कर देता है. इससे पशु की नाड़ी की गति तेज हो जाती है किन्तु शरीर तापमान सामान्य रहना ही रहता है. पशु चारा-पानी भी बंद कर देता है. ये सभी लक्षण से मालूम किया जा सकता है कि पशु को आफरा है या नहीं.

आफरा रोग के कारण (Causes of Aafra's Disease)

बरसीम, जई और दूसरे रसदार हरे चारे, विशेषकर जब यह गीले होते है तो ये आफरे का कारण बनते है. गेहूं, मक्का अनाज भी ज्यादा मात्रा में खाने से पशु को आफरा हो जाता है क्योंकि इन फसलों में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है. वर्षा के दिनों में पशु कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेता है जिससे पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है और अपच हो जाती है. गर्मी के मौसम में उचित तापमान न मिलना तथा पशु को खाने के तुरन्त बाद पेट भर पानी पिलाना आदि कारणों से भी आफरा होने की संभावना बढ़ जाती है. अधिक आफरा होने के कारण पशु की हालत गंभीर हो जाती है कभी-कभी मृत्यु हो जाती है.

आफरा रोग का उपचार कैसे किया जाये  (How to treat Aafra's Disease)

  • आफरा आ जाने पर इलाज तुरन्त शुरू कर दें अन्यथा देर करने से पशु की मृत्यु हो जाती है. इसलिए इलाज में देरी नही करनी चाहिए. तुरन्त चिकित्सक बुलाये या घरेलू उपाय से भी पशु की जान बचाई जा सकती है.  

  • सबसे पहले एक लीटर छाछ ले तथा इसमें 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक डाल कर अच्छी तरह से मिलाकर पशु को पीला दे. या दूसरा उपाय यह है कि सरसों, अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मिली लीटर मिला कर पिलाये ताकि पशु के माल द्वार से गैस और अवसीष्ट पदार्थ बाहर आ सके.

  • तीसरा उपाय यह है कि आधा लीटर गुनगुने पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर नाल की सहायता से पशु को पिलाये.ये सभी घरेलू उपाय से पशु की हालत में सुधार जरूर होगा.

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  • पशुपालक कुछ दवाइयाँ भी अपने पास रखनी चाहिए ताकि चिकित्सक के समय पर ना आने पर या अस्पताल दूरी पर होने पर उचित इलाज किया जा सके.

  • आफरा नाशक दवाइयों में एफ़्रोन, गार्लिल,  टीम्पोल, टाईम्पलेक्स आदि प्रमुख है ये सभी दवा भी पशुपालक को अपने पास रखनी चाहिए और इन्हे चिकित्सक के परामर्श पर ही पशु को देना चाहिए. 

English Summary: Aafra disease in animals and its treatment Published on: 29 October 2020, 05:58 IST

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