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सब्जीवाला किसानों एवं उपभोक्तओं की पहली पसंद

आजकल भागदौड़ भरी जिदंगी में सभी को अच्छा और उच्च क्वालिटी का सामान चाहिए होता है। जिसके लिए हम कई प्रयत्न भी करते रहते हैं। कम दाम और उच्च क्वालिटी की सब्जी आज समय की मांग बन गई है। इसी का जिम्मा उठाया है सब्जीवाला कंपनी ने। यू तो कंपनी की शुरूआत करीब एक साल पहले हुई थी। लेकिन कंपनी के बेहतर काम की वजह से कंपनी ने दिल्ली शहर में अपनी अच्छी पकड़ बना ली है। महानगरों में एक तबका तो ऐसा है जो उच्च क्वालिटी के सामान के लिए काफी पैसा खर्च कर सकता है लेकिन शहर में ऐसे तबके की भी कमी नहीं है जो अच्छा सामान तो चाहते है लेकिन एक निश्चित बजट में। इसी तबके के लिए काम कर रही है सब्जीवाला कंपनी। कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रवेश शर्मा जो 34 साल भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहे है। उन्हें 18 साल का लंबा अनुभव है कृषि के क्षेत्र में। नौकरी मे रहते हुए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार में एग्रीकल्चर सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया है, इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलेपमेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और पांच साल एसएफएसी के मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे हैं। कृषि जागरण टीम ने कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी, समय की मांग और इस क्षेत्र की समस्याओं के बारे में।

सब्जीवाला कंपनी का विचार कैसे आया?

मैं हमेशा ये सोचकर परेशान होता था कि किसान जब अपना माल बेचने जाता है तो अपने सामान की वह खुद कीमत तय नहीं करता वरन् व्यापारी उसके सामान की कीमत तय करते हैं। जो कि सरासर गलत है। भारत के अधिकतर किसानों की जोत बेहद कम है। जिसमें उत्पादन भी कम ही होता है और जब किसान अपने कम उत्पादन को बेचने के लिए मंडियों में जाता है तो उसका दाम उसे बेहद कम मिलता है तो सोचा क्यूं ना किसानों को मिलाकर एफपीओ का निर्माण किया जाए। जिससे वह जब अपना माल बेचने जाए तो संगठित रहें और उनका उत्पादन भी अच्छे दाम पर बिक सके। इस तरह की सोच के साथ कंपनी की शुरूआत हुई।

कंपनी किसान और उपभोक्ता दोनों को कैसे मुनाफा पहुंचाती है?

अधिकांश समय यही दिखने में आता है कि किसान को ना उचित रेट मिल पाता है और ना ही उपभोक्ता को अच्छा सामान। इन दोनों की वजह मुझे एक ही लगी किसान और मार्केट के बीच ठीक से लिंकेज ना होना। हमारी कंपनी इन दोनों ही समस्याओं का हल देती है। हम किसान से उचित मूल्य पर सामान खरीदते हैं और मिडिल क्लास के तबके को बेहतर क्वालिटी और उचित दाम देकर सब्जी उपलब्ध कराते है। इससे किसान और उपभोक्ता दोनों को फायदा मिलता है।

कंपनी को शुरुआती स्टेज में किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा?

इस क्षेत्र में आज के समय में काफी समस्याएं है। जैसे आज भी किसान जो उत्पादन कर रहा है उसको किसी प्रकार की कृषि विज्ञान की जानकारी नहीं है। जिस कारण उत्पादन की क्वालिटी निम्न स्तर की होती है। जो भी किसान हमारे कलेक्शन सैंटर पर आता है उसका केवल 30 प्रतिशत ही उच्च क्वलिटी का होता है। अभी हम अपने एफपीओ को तकनीकी शिक्षा भी दे रहे हैं। जिससे किसानों का उच्च गुणवत्ता उत्पादन बढ़ेगा और धीरे-धीरे आय भी। हम आजादपुर मंडी से 10 से 12 प्रतिशत कम दाम में उससे सब्जी खरीदते हैं क्योंकि जब किसान आजादपुर मंडी तक अपनी सब्जी लाता है तो उसे कई तरह के टैक्स, आढ़ती से झिक-झिक, ट्रांस्पोर्ट का खर्चा, लेबर आदि का खर्चा होता है। जिस कारण आमदानी घट जाती है।

आपकी कंपनी की वेबसाइट पर विडियो में दिखाया गया है कि बची हुई सब्जियों को आप वापस कर देते है? अगर हां तो कैसे?

जैसा कि सभी जानते हैं कि दिल्ली में कई तरह के बाजार हैं हम दूध की तरह सभी दुकानों को फल- सब्जियां सुबह ही उपलब्ध करा देते हैं। जो सब्जी-फल आदि नहीं बिकते हैं। अगले दिन वो दुकानों से वापस लेकर दिल्ली की बी ग्रेड मार्केट, ढ़ाबों, होटल, स्लम आदि एरिया में बेच देते हैं।

आपसे जानना चाहेंगे कि दिल्ली और महानगरों में आए दिन कृषि पर कई कांफ्रेस आदि आयोजित की जाती हैं? आपको क्या लगता है कि ये कांफ्रेस आदि कितना किसानों के लिए फायदेमंद है?

मेरा मानना है कि हर कांफ्रेस का एक उद्देश्य होता है। जिसमें कई तरह के सकरात्मक पहलू भी सामने आते हैं। इस तरह के कांफ्रेस आयोजन के कारण ही कई बार कई समस्याओं का हल भी सामने आया है और मैं ऐसा मानता हूं आज जो किसान थोड़ा- बहुत जागरूक हुआ है कहीं ना कहीं कांफ्रेस आदि भी उसका कारण हैं।

कंपनी के साथ अभी कितने एफपीओ और दिल्ली में कितने स्टोर जुड़ें हुए है?

कंपनी के साथ अभी करीब 25 एफपीओ जुड़े हुए हैं। जो देश के अलग-अलग कोने से हैं और लगभग 300 से ऊपर दिल्ली में कंपनी के आउटलेट्स हैं। हमने दिल्ली के द्वारका के आउटलेट से शुरूआत की। कंपनी में अभी 50 कर्मचारी हैं।

कंपनी की आगे की क्या योजनाएं हैं?

हम अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहेंगे। हमारी कोशिश रहेंगी कि इसी साल दिसंबर तक हम 1000 आउटलेट दिल्ली एनसीआर में स्थापित करें। अगली कड़ी में हम बैंगलुरू, हैदराबाद आदि शहरों की तरफ बढ़ेंगे।

-दीपशिखा सिंह, कृषि जागरण 

 

English Summary: The first choice of farmers and consumers: vegetable

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