बागवानी क्षेत्र में उत्तराखंड सरकार तरह-तरह की योजनाओं-परियोजनाओं के सहारे किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है. एक तरफ सरकार जहां फलों, वृक्षों के गुणों, उपयोगिताओं और वृद्धि को लेकर वो गंभीर है तो वहीं उत्पादन प्राप्त करने की आवश्यक तकनीकों पर भी ध्यान दे रही है.
राज्य में बागवानी को लेकर भूमि, उन्नतशील किस्मों और प्रबंधन या प्रसारण की विधियों पर सरकार किस तरह से काम कर रही है, इसी बात को जानने के लिए कृषि जागरण की टीम ने उत्तराखंड बागवानी मिशन के निदेशक संजय कुमार श्रीवास्तव का साक्षत्कार किया. पेश है उनके साक्ष्तकार के प्रमुख अंश...
बागवानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार किस तरह की योजनाएं चला रही है?
हॉर्टिकल्चर मिशन फॉर नार्थ ईस्ट एंड हिमालयन योजना के तहत फल, सब्जी और फूलों के अंतर्गत क्षेत्रफल को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. बागवानी में तकनीक का अपना महत्व है इसलिए हम मल्चिंग, ड्रिप इरिगेशन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक आदि पर काम कर रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए 18 से 19 योजनाएं चला रही है.
मसालों के उत्पादन पर क्या काम हो रहा है?
उत्तराखंड देशभर में मसालों के लिए भी जाना जाता है. इस समय अदरक, प्याज, हल्दी और लहसुन आदि पर काम किया जा रहा है. काश्तकार भाईयों को इसके उत्पादन, लागत और मुनाफ़े के बारे में बताया जाता है. अलग-अलग राज्यों जैसे उड़ीसा, झारखंड आदि में इन मसालों को प्रमोट किया जा रहा है.
जैविक बागवानी में किस तरह की सफलता मिल रही है?
इसमे कोई दो राय नहीं कि समय के साथ एक बार फिर ऑर्गेनिक बागवानी की मांग बढ़ने लगी है. स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने के साथ ही बाजार में जैविक फल-सब्जियों की मांग होने लगी है. अलग-अलग क्षेत्रों में इस पर किया गया प्रयोग सफल रहा है. परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत क्लस्टर पद्धति और पीजीएस प्रमाणीकरण के सहारे जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
किसानों को किस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है?
काश्तकार को हम अलग-अलग यूनिवर्सिटी आदि में भेजकर प्रशिक्षण दे रहे हैं. किसान यहां पौधों की देखभाल, जलवायु, कीट-रोकथाम आदि के बारे में प्रशिक्षण लेते हैं.
उत्तराखंड के लिए बागवानी क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां क्या है?
उत्तराखंड राज्य भी पलायन की समस्या से परेशान है. बागवानी पर तो इसका सीधा प्रभाव पड़ा है. अधिक पैसों की लालच में या रोजगार की तलाश में किसानों ने महानगरों की तरफ पलायन कर दिया है. गरम जलवायु अगर अनुकूल ना हो तो पौधों पर प्रभाव पड़ता है. वहीं पौधों को कीटों, बीमारियों आदि से बचाना भी मुख्य चुनौती है.
कृषि जागरण के माध्यम से किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
किसानों के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है लेकिन जानकारी के अभाव में वह वहां तक पहुंच नहीं पा रही है. ऐसे में किसानों को थोड़ा अपडेट रहने की जरूरत है. इसमें सोशल मीडिया और इनटरनेट सहायक हो सकता है. अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ केवल तभी लिया जा सकता है जब सरकार के काम-काज के बारे में किसानों को सही जानकारी हो.
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