किसान के सामने दो समस्याएं हैं, एक तो कर्ज एवं दूसरा उसको उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाना। इस बीच किसान नेता एवं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कृषि जागरण से बातचीत के दौरान कहा, " किसान कोई भिखारी नहीं है जो उसे कर्जमाफी चाहिए। किसान को कर्जमुक्ति चाहिए। यानि कि किसान को सही मूल्य न मिल पाने से हो रहे घाटे के फलस्वरूप उस पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला जा रहा है और इस समस्या का निजात पाने के लिए हर किसान को कर्ज से मुक्त करना चाहिए। " सिंह का मानना है कि हर फसल का किसान को सही मूल्य मिलना चाहिए।
कर्जमाफी और कर्जमुक्ति में क्या अंतर है?
कर्जमाफी से ऐसा लगता है जैसे कि किसान कोई भीख मांग रहा हो। यानिकि उसने कर्ज शौक में लिया था और चुका नहीं पाया। जबकि उत्पाद के बदले सही मूल्य न मिल पाने से वह हमेशा कर्ज में डूबता चला गया।
कर्जमुक्ति के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति बिल लाना चाहिए। इसके लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाया जाएगा। यदि राज्यसभा में यह बिल पारित हो गया तो लोकसभा में भी पारित किया जाएगा। मौजूदा सरकार या आने वाली किसी भी सरकार को कर्जमुक्ति देनी होगी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा प्रस्तावित बिल क्या है?
समिति ने द्वारा प्रस्तावित बिल में काफी कुछ है। इसमें बटाई पर खेती में करने वाले किसानों के लिए भी नीतियां हैं। किसान की परिभाषा अलग से है। किसान का दायरा बढ़ाया गया है। कर्जमुक्ति एवं एमएसपी जैसी दो अहम समस्याओं का हल मांगा गया है।
"न्यूनतम समर्थन मूल्य बने किसान का अधिकार" -
वीएम सिंह का कहना है कि सरकार सिर्फ वादा करती है कि वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करेगी लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। यदि सरकार एमएसपी लाना है तो वह C2 फार्मूले पर लागू करे जिसमें कि किसानों को एमएसपी में जमीन का किराया भी शामिल होगा। इस बीच उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट में 2006 में यह कहा गया था कि लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलना चाहिए। सरकार को इस सिफारिश को लागू करने के साथ पिछले दस साल का एरियर भी किसानों को देना चाहिए। जिसके फलस्वरूप किसान पूरी तरह कर्जमुक्त हो सकता है।
"एमएसपी के लिए लाएंगे बिल"-
वीएम सिंह का मानना है कि यदि एमएसपी को एक अधिकार बनाया जा सके तो इसके लिए हमें बिल लाना चाहिए। हम इस आधार पर कार्य कर रहा है। लगभग 23 पार्टियों ने इसका समर्थन किया है। यदि राज्यसभा में इसे पारित किया जा सका तो उसके बाद लोकसभा में भी इसे पारित किया जा सकेगा। सरकार को एक न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए देना चाहिए। यदि एमएसपी से नीचे खरीद हो तो सरकार को सख्ती दिखाते हुए अपराध की श्रेणी में लेते हुए ऐसे आढ़तिये या खरीद करने वाले को जेल भेज देना चाहिए।
"बीजेपी सरकार ने पांव पीछे खींचे "-
मौजूदा बीजेपी सरकार ने कहा था कि वह लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाएगी लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दे दिया कि हम अभी ऐसा नहीं कर पाएंगे। अब वह स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी देने को राजी नहीं है। यानिकि C2 फार्मूले पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू नहीं करना चाहती।
"गलत नीतियों से हुई खेती बदहाल"-
वीएम सिंह का कहना है कि देश में ऐसे लोगों को नीतियां बनानी होगी जिन्हें कृषि का ज्ञान हो, ऐसे लोगों को नीतियों में शामिल नहीं चाहिए जिन्हें खेती की जानकारी नहीं या फिर वह खेती को समझते नहीं हैं।
"प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सफल नहीं"-
वीएम सिंह का मानना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ नहीं पहुंचा है। सरकार ने 23 हजार करोड़ रुपए प्रीमियम इकट्ठा हुआ है लेकिन वापसी सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपए ही हुआ है। यह योजना किसानों को पूरी तरह से लाभ पहुंचाने में असमर्थ रही है।
क्या किसान आंदोलन एक संपूर्ण हल है?
नहीं। आंदोलन की परिभाषा बदलनी होगी। आंदोलन सिर्फ चक्का जाम नहीं होना चाहिए। तर्कसंगत नीतियों पर बात करनी होगी। सरकार के सामने ऐसे तर्क रखने होंगें जिनसे वास्तव में खेती की तस्वीर बदली जा सके।
युवा कैसे करेंगे खेती की तरफ रुख?
यदि देश में किसान को दशा सुधारने के लिए एमएसपी एवं कर्जमुक्ति का समाधान हो जाए तो क्यूं नहीं युवा खेती का रुख करेंगे। उनके माता-पिता भी उन्हें खेती करने से नहीं रोकेंगे। क्योंकि जब उन्हें उपज का सही मूल्य मिलेगा तो जाहिर है कि खेती घाटे का सौदा नहीं रहेगा। उत्तम खेती होनी चाहिए। पढ़े लिखे लोग खेती में फायदा कर सकते हैं। आज के समय में पढ़े लिखे लोगों को अग्रणी होना चाहिए। तकनीकी लड़ाई है इसके लिए पढ़े लिखे युवा अग्रसर होकर आज की समस्या का संपूर्ण हल निकाल सकते हैं।
"सीमांत एवं लघु किसान हों खुशहाल"-
सिंह कहते हैं कि लघु एवं सीमांत किसान की खुशहाली देश की खुशहाली है। जाहिर सी बात कि एक छोटा किसान यदि कुछ उगाता है तो उसकी निर्भरता उत्पादन पर रहती है। लेकिन इस बीच बाजार में सही मूल्य न मिलने से उसकी पूंजी भी वापस नहीं मिलती है जिससे वह कर्ज में डूबता चला जाता है।
आजादी से अब तक क्यूं नहीं बदले हालात ?
इस पर जवाब देते हुए वीएम सिंह कहते हैं कि देश में किसान हमेशा से ही परेशान रहा है। इसका कारण है कि उसे हमेशा नजरअंदाज किया गया है। कभी उसे उपज के बदले दाम नहीं मिला। हरित क्रांति भी आई लेकिन किसान जहां का तहां है। उत्पादन अच्छा होने की दशा में भी किसान उसी दौर से गुजर रहा है। यदि लघु एवं सीमांत किसान की ओर देखा गया तो स्थिति कुछ और ही होती है। जो छोटा किसान अपनी उपज पर निर्भर है तो वह कम दाम में बेचने को मजबूर होने पर घाटा उठाता है। इसके साथ ही वह अगली फसल के लिए और ऋण लेता है।
सरकार द्वारा किसान आय दोगुनी करने की रणनीति को किस नजरिए से देखते है?
सरकार को बताना चाहिए कि इसका रोडमैप क्या है। वह किस प्रकार 2022 तक आय दोगुनी करेगी। सिंह का मानना है कि ऐसे में सिर्फ किसान का ऋण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि 2022 तक सिर्फ किसानों का ऋण सौगुना बढ़ेगा। आज 14 लाख करोड़ रुपए के लगभग कर्ज हो गया है। और इस समस्या का कारण सिर्फ सही दाम न मिलना। उपज का सही दाम देकर ही आय दोगुनी हो सकती है। यह योजना नहीं मात्र एक ढिंढोरा पीटा जा रहा है जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।
विभूति नारायण
पत्रकार, कृषि जागरण
English Summary: Interview of VM SIngh
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