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किसानों को समर्पित है SIETZ की नई मशीनें

Seitz

भारत में खेती सदियों से होती आई है, लेकिन फिर भी यहां के किसानों के हालात दयनीय हैं. बदलते हुए जलवायु में आज़ पुराने तरीकों से खेती करना अपने आप में टेढ़ी खीर के समान है. आज़ के संदर्भ में अगर कृषि की बात करें तो आभास होगा कि नई तकनीक के साथ खेती करने वाला किसान ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है. नए-नए कृषि उपकरणों के माध्यम से ना सिर्फ वो पैदावार कई गुणा बढ़ा रहा है, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहा है. खेती में मशीनों का कितना महत्व है और किस तरह की नई मशीनें किसानों के लिए बाज़ार में उपलब्ध है, इन्ही सभी बातों का जवाब जानने के लिए हमारी जा पहुंची कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी Sietz टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में, जहां हमारी टीम से मुलाकात हुई यहां के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर क्रांति दीपक शर्मा से. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश -

1. आपकी कंपनी किस तरह के उत्पादों का निर्माण कर रही है?

उत्तर: जी 1997 के बाद से ही हमारी कंपनी टू व्हीलर सीट्स, ट्रैक्टर्स के लिए एयर क्लीनर्स, थ्री पॉइंट और फ्रंट आक्सलेस आदि महत्तवपूर्ण मशीनों का मैन्युफैक्चरिंग करती आई है. शायद यही कारण है कि आज़ के समय में किसान सबसे अधिक हमारी कृषि मशीनों पर भरोसा करते है.

2. कंपनी किस तरह की नए मशीनें किसानों के लिए लेकर आने वाली है?

उत्तर: हमारा मुख्य लक्ष्य इस समय मशीनों के माध्यम से सवस्थ कृषि को बढ़ावा देना है, इसलिए कंपनी ने बहुत सी नई मशीनों को बनाना शुरू किया है. किसानों के लिए हम दमदार, मजबूत एवं उच्च गुणवत्ता वाला रोटावेटर मशीन लेकर आएं हैं. इस मशीन के अलावा कंपनी कल्टीवेटर एवं अन्य तरह की सॉइल टेक मशीनें भी बनाने जा रहे हैं.

3. क्या चीजें आपकी कंपनी की मशीनों खास बनाती है?

उत्तर: देखिए देश में आज़ के समय में दर्जनों कंपनियां कृषि मशीनों का निर्माण कर रही है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को गुणवत्ता वाली मशीनें नहीं मिल रही है. वो इन मशीनों को लेने से डरता है, क्योंकि एक तो इनके दाम बहुत ज्यादा हैं. हमारा मुख्य उद्देश्य है किसानों को उचित मूल्य पर सर्वश्रेष्ठ कोटी की मशीनों को उपलब्ध कराना. हमारी मशीनें एक तरफ ना सिर्फ श्रम को कई गुना कम करती है, बल्कि समय एवं पैसों की बचत भी करती है.

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4.देश के किन राज्यों में किसान सबसे अधिक मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं?

उत्तर: देखिये हरियाणा, पंजाब जैसे राज्य तो बहुत पहले से मशीनों का प्रयोग करते आएं हैं. लेकिन बदलते हुए वक्त के साथ-साथ यूपी, मध्यप्रदेश में भी मशीनों की मांग बढ़ी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रायः पारंपरिक तरीकों से खेती करने वाले राज्य बिहार-झारखंड भी मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं.

5.किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगें?

उत्तर: किसानों से हम यही कहना चाहेंगें कि तकनीक या मशीनों के प्रयोग से वो अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं, लेकिन अपनी खून-पसीने की मेहनत द्वारा कमाए पैसों से गलत या घटियां क्वालिटी की मशीनें खरीदने से बचें. घटिया क्वालिटी की मशीनें दो पैसा सस्ती हो सकती है, लेकिन ध्यान रहे कि इससे आपको जाम-माल का खतरा है. मशीन खरीदते समय सरकार द्वारा तय किए गए मापदंड़ों को जरूर परखें.

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English Summary: interview of seitz chief executive officer kranti deepak sharma

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