लोगों के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए आवश्यक है कि बीमार व्यक्ति को दवाएं समय पर मिले. पर उससे भी ज्यादा जरूरी है कि गरीब व्यक्ति को कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध हो पाएं. जनऔषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाई जाती है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल भर के अंदर जन औषधि केंद्रों की संख्या को बढ़ाकर 10,000 पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. मोदीजी (PM Modi) ने जन औषधि दिवस (Jan Aushadhi Day) के मौके पर देश में 7500 वें जन औषधि केंद्र को देश को समर्पित किया था .
सरकार देश के कई हिस्सों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (Pradhan Mantri Jan Aushadhi Kendra) खोलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी कर रही है. इस बारे में संसद में क्या विशेष जानकारी दी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने, पढ़ें इस लेख में साथ ही जाने प्रधानमंत्री जन औषधी योजना के बारे में हर जरुरी जानकारी
क्या कहा रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने
संसद में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया था कि ,"पीएमबीजेके देश के सभी जिलों को कवर करते हुए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं. इस वर्ष की 20 जुलाई तक, देश भर में 7,938 पीएमबीजेके काम कर रहे हैं."
मंत्री ने यह भी कहा कि योजना को जारी रखने पर विचार करने से पहले, इसका मूल्यांकन नीति आयोग द्वारा अनुमोदित निजी मूल्यांकन एजेंसी द्वारा किया गया था. योजना की आंतरिक समीक्षा भी की गई. विस्तृत समीक्षा के बाद सिफारिशों पर विधिवत विचार किया गया और स्थायी वित्त समिति (एसएफसी) के समक्ष विचार के लिए रखे गए प्रस्ताव में उपयुक्त परिवर्तन किए गए.
प्रत्येक पीएमबीजेके में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए तंत्र के बारे में, मंडाविया ने कहा, "पीएमबीजेपी में मूल्य वर्धित सेवाओं के लिए पॉइंट-ऑफ-सेल एप्लिकेशन के साथ सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम एंड-टू-एंड आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को लागू किया गया है. इसके अलावा, रसद प्रणाली को मजबूत किया गया है."
वर्तमान में, गुरुग्राम, चेन्नई और गुवाहाटी में तीन गोदाम काम कर रहे हैं. इसके अलावा, दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की आपूर्ति का समर्थन करने के लिए देश भर में 37 वितरकों को नियुक्त किया गया है.
मंडाविया ने कहा कि आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में सूचीबद्ध सभी जेनेरिक दवाएं लैब अभिकर्मकों को छोड़कर पीएमबीजेके में उपलब्ध कराई जाती हैं. प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के उत्पाद समूह में 1,451 दवाएं और 204 शल्य चिकित्सा शामिल हैं.
सभी प्रमुख चिकित्सीय समूह जैसे कि एंटी इंफेक्टिव, एंटी-एलर्जी, एंटी-डायबिटिक, कार्डियोवस्कुलर, एंटी-कैंसर, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल दवाएं, न्यूट्रास्यूटिकल्स, आदि भी इसमें शामिल हैं. मंत्री के अनुसार वर्ष 2020-21 के वित्तीय वर्ष में, पीएमबीजेपी के तहत 65 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और इसका पूरी तरह से उपयोग किया गया था.
आखिर क्या है जन औषधि योजना
जन औषधि योजना की शुरूआत 2015 में केंद्र सरकार ने की थी. इस योजना के तहत मरीजों को सस्ती दरों में दवाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है. बहुधा यही देखा जाता है कि गरीब तबके के मरीज डॉक्टरों द्वारा लिखी गई महंगी दवाओं को खरीदने में असमर्थ रहते हैं, जिसकी वजह से कई मौकों पर उनकी जान चली जाती है. इन्हीं स्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2015 में इस योजना की शुरूआत की थी.
इस योजना के तहत मरीजों को सस्ती दरों पर दवाएं मिलने का प्रावधान है, जो दवाएं इस योजना के तहत दी जाती है, उन्हें जेनरिक दवाएं कहते हैं और जो महंगी दवाएं डॉक्टर द्वारा लिखी जाती है, वो जेनरिक नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी फॉर्मा कंपनियों द्वारा बनाई गई होती हैं.
जनऔषधि योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि समाज के हर वर्ग के लोगों को समय पर उपचार मिल सकें. गरीब मरीजों को सुलभता से उपचार मिल सकें. और यह सब कुछ जन औषधि योजना की वजह से संभव हो पाया है. विगत पांच वर्षों से यह योजना लोगों को फायदा पहुंचा रही है.
जेनरिक दवाओं में कोई कमी तो नहीं?
अब आपके जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर जेनरिक दवाएं इतनी सस्ती क्यों है? क्या इन दवाओं की गुणवत्ता में कोई कमी है? वास्तव में इन दवाओं की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है. यह बिल्कुल कारगर है. यह किफायती दरों में लोगों को उपलब्ध हो जाती है.
लोगों को हो रहा है फायदा
इस योजना से लोगों को काफी हद तक फायदा हो रहा है. वो इसलिए, क्योंकि डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं जहां 500 रूपए की आती है, तो वहीं जेनरिक दवाएं महज 100 रूपए में आ जाती है और उनकी गुणवत्ता भी बिल्कुल डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं के जैसी ही होती है. जिसकी वजह से लोगों को इस योजना से काफी फायदा हो रहा है.
आप भी खोल सकते जन औषधि केंद्र
समाज के हर तबके को सस्ती दवाओं की सुविधा मिल सके, इसलिए सरकार की तरफ से लोगों को जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. वर्तमान में देश में 850 जन औषधि केंद्र हैं.
जानें, क्या है केंद्र खोलने की पूरी प्रक्रिया
जन औषधि केंद्र कोई भी खोल सकता है. इसके लिए पहले आपको आवेदन करना होगा. आवेदन करने के लिए आपके पास मुख्य दस्तावेजों का होना अनिवार्य है. जैसे- आधार कार्ड, पैन कार्ड व प्रमाण पत्र. प्रमाणपत्र में आपको एनजीओ या किसी अस्पताल के प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी. तभी आप जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकेंगे.
क्या कोई शुल्क भी लगेगा
यदि आप जन औषधि केंद्र खोलने के इच्छुक हैं तो आपको रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम से लेना होगा. इसके लिए वेबसाइट पर विजिट करके फार्म डाउनलोड करना पड़ेगा. पहले के मुकाबले इस स्कीम में एक बदलाव यह भी हुआ है कि अब बतौर आवेदन शुल्क 5000 का भुगतान करना पड़ेगा. पहले सरकार कोई आवेदन शुल्क नहीं लेती थी. इस संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं,तो http://janaushadhi.gov.in/ वेबसाइट से प्राप्त कर सकते है
अब 7 लाख रुपये तक मिल रही प्रोत्साहन राशि
नये जन औषधि केंद्र खोलने वालों को मोदी सरकार 5 लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दे रही है. लेकिन अगर यही केंद्र किसी आकांक्षी जिले में खोला जाए तो 2 लाख रुपये और मिलेंगे. यानी इस स्थिति में प्रोत्साहन राशि 7 लाख रुपये होगी. अगर कोई महिला, विकलांग, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति जनऔषधि केंद्र खोलता है तो उसे भी मोदी सरकार 7 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि देगी. कुछ समय पहले तक यह प्रोत्साहन राशि सिर्फ 2.5 लाख रुपये थी.
दवाओं की बिक्री पर 20 फीसदी तक कमीशन
अब सरकार इस योजना के तहत जनऔषधि केंद्र के फर्नीचर और अन्य जरूरी सुविधाओं को तैयार करने के लिए प्रति केंद्र 1.5 लाख रुपये की मदद कर रही है. साथ ही कंप्यूटर और प्रिंटर समेत बिलिंग की व्यवस्था विकसित करने के लिए केंद्र सरकार हर जन औषधि केंद्र को 50,000 रुपये दे रही है. जन औषधि केंद्र से दवाओं की बिक्री पर 20 फीसदी तक कमीशन मिलता है. इसके अलावा हर महीने होने वाली बिक्री पर अलग से 15 फीसदी का इंसेंटिव मिलता है.
ख़बर उत्तर प्रदेश के जन औषधि केन्द्रों की
वैसे तो सरकार हर योजना आम जनता की बेहतरी के लिए ही लेकर आती है, लेकिन इनका सुचारू क्रियान्वयन न हो पाने की वजह से आम जनता को इसका फायदा नहीं मिल पाता है. अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर से एक खहर आई थी, जहां जन औषधि केंद्रों में दवाई लेने पहुंचे लोग खाली हाथ ही लौट रहे थे, क्योंकि उन्हें केंद्रों से दवाईयां नहीं मिल पा रही है. बाध्य होकर उन्हें मेडिकल स्टोर से महंगी-महंगी कीमतों में दवाईयां लेने पर मजबूर होना पड़ रहा था.
वहीं, यह स्पष्ट है कि अगर इस योजना का सुचारू ढंग से क्रियान्वनय किया गया तो आम जनता को इसका भी फायदा मिलेगा. अभी कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने अपने एक संबोधन में कहा था कि जन औषधि केंद्र खोलने से देशभर के गरीबों को सालाना लगभग 50 हजार करोड़ रूपए की बचत हुई है. निसंदेह अगर इस योजना की मौजूदा खामियों को ठीक किया जाए, तो इसका फायदा समाज की अंतिम पंक्ति में मौजूद व्यक्ति को मिल सकता है. बस, जरूरत है, इस दिशा में सही कार्य करने की.
सरकार की योजनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए आप पढ़ते रहिए...कृषि जागरण हिंदी.कॉम
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