राजस्थान में कई किसान परंपरागत खेती को छोड़ कर तकनीकी का इस्तेमाल करके न केवल पैदावार को बढ़ा रहे हैं बल्कि सैकड़ों युवा किसानों को भी आगे के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
उदयपुर के 32 किसान 3 साल से अपने खेतों पर पॉली हाउस को तैयार करके खीरा और ककड़ी की खेती को करने का कार्य कर रहे है. परंपरागत खेती की तुलना में पॉली हाउस से खेती करने में 5 गुना तक ज्यादा आय भी आसानी से प्राप्त कर सकते है.
किसानों का कहना है कि जिले में कम जमीन होने के कारण पहले गेंहू, मक्का की फसल लेते थे. जिससे एक बीघा में 10 हजार रूपए तक की आय प्राप्त होती थी. पॉली हाउस लगाने के एक माह में 50 हजार रूपए तक की आय प्राप्त हो रही है.
कम से कम 2 हजार स्कवायर फीट का हो पॉली हाउस (Poly house should be at least 2 thousand square feet)
किसान - झालोड़ के किसान का कहना है कि 2013 में उन्होंने 4 हजार स्कावायर फीट का पॉली हाउस लगाया था जिसमें ककड़ी की खेती को लगाया था. वह गेंहू और मक्का की परंपरागत खेती करते थे जिससे एक माह में मुश्किलें 5 से 11 हजार की औसत आय प्राप्त होती थी. पॉली हाउस में खीरा और ककड़ी का उत्पादन लेने के बाद एक माह में औसत 50 हजार रूपये की आय प्राप्त कर रहे है.
बाह्मपुरी के गुलाब डांगी ने बताया कि 2 हजार स्कावयर फीट मीटर पॉली हाउस लगाने के बाद खीरा- ककड़ी उत्पादन का कार्य शुरू किया है. समें खीरा-ककड़ी से 14 माह में तीन बार उत्पादन में ले सकते है. एक उत्पादन के सालाना 5 लाख रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है.मघन मेघवाल ने बताया कि 2017 में 4000 स्कावायर मीटर का पॉली हाउस लगाया था.
वह खुद के खेत पर पिता के साथ सामान्य खेती करते थे. जब उनको पॉली हाउस के बारे में पता चला तो योजना में आवेदन के लिए जिसके बाद उन्होंने उद्यान विभाग से कहकर बाग को लगवाया है. वह पिछले दो सालों से खीरा और ककड़ी का उत्पादन कर रहे है और साल का 8 लाख रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है.
इतनी मिल रही है सब्सिडी (Getting so much subsidy)
किसानों ने यह पॉली हाउस राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत 1000, 2000 और 4000 स्कावायर मीटर में लगाए है. 2 हजार स्कावायर मीटर पर लगाने के लिए 20 लाख रूपए की लागत आती है.
सामान्य किसानों को सरकार से 50 प्रतिशत, एससी और एसटी और लघु सीमांत किसानों को 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है. इसमें क किसान को करीब 7 लाख रूपए चुकाने होते है. किसानों को वास्तव में सरकारी सहायता से कृषि क्षेत्र में काफी लाभ प्राप्त हो रहा है.
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