मुख्यमंत्री पशुधन योजना (MukhyamantriPashudhanYojana) के तहत झारखंड (Jharkhand) राज्य प्रशासन ने पशुधन वितरण (livestock distribution) के लिए दिशा-निर्देश बदलने का फैसला किया है, जिसका उद्घाटन 2020 में किया गया था.
दरअसल, दुग्ध उत्पादकों (Milk producers) के यह कहने के बाद कि उन्हें नीतिगत बाधाओं के कारण योजना से कोई लाभ नहीं मिला है. इसी के चलते अब इस योजना को दोबारा से रीवाइस (Revise the plan again) किया जायेगा.
कमियों को सुधारा जायेगा (Deficiencies will be corrected)
साथ ही इस योजना (MukhyamantriPashudhanYojana) के संशोधन के लिए 8 दिसंबर को कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख (Agriculture, Animal Husbandry and Cooperation Minister BadalPatralekh) को एक प्रस्ताव भेजा गया था.
वहीं डेयरी विकास विभाग (Dairy Development Department) के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-2021 में योजना के तहत कुल 6324 दुग्ध उत्पादकों को पशु खरीदने पर सब्सिडी मिली है. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) के उपलक्ष्य में एक सभा में भाग लेते हुए, राज्य के दुग्ध उत्पादकों ने योजना की कमियों की ओर इशारा किया गया था.
क्या है मुख्यमंत्री पशुधन योजना (What is MukhyamantriPashudhanYojana)
इस योजना के अंतर्गत पशुपालन विभाग, गव्य विकास विभाग और कल्याण विभाग (Animal Husbandry Department, Agriculture Development Department and Welfare Department) की ओर से बकरी पालन, सूअर पालन, मुर्गी पालन आदि अन्य योजना से जड़ी जानकारी दी जाती है.
सरकार मवेशियों की कीमत पर 50% सब्सिडी प्रदान करती है
-
राज्य सरकार मुख्यमंत्री पशुधन योजना (MukhyamantriPashudhanYojana) के तहत मवेशियों की लागत पर 50% सब्सिडी प्रदान करती है, लेकिन शेष लागत के लिए किसान जिम्मेदार हैं.
-
किसानों का आरोप है कि वे अधिक उपज देने वाले मवेशी प्राप्त करने या प्रतिस्पर्धी दरों को खोजने में असमर्थ हैं क्योंकि विक्रेताओं की संख्या जिनसे वे पशुधन खरीद सकते हैं वो पहले से ही सीमित हैं.
-
झारखंड मिल्क फेडरेशन (Jharkhand Milk Federation) के एक अधिकारी का कहना है कि, 'किसानों का मानना है कि यह व्यवस्था उनके लिए नहीं, बल्कि वेंडरों के फायदे के लिए है.
-
कृषि विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने कहा, "योजना कहती है कि निदेशालय आपूर्तिकर्ताओं को सूचीबद्ध करेगा, और किसान उनमें से किसी से भी खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं".
मवेशी वितरण के दो कारण (Two reasons for cattle distribution)
-
डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा, इस योजना के तहत मवेशियों के कम वितरण के दो प्रमुख कारण हैं.
-
पहला, पशु मेला को पहले एक महामारी के खतरे के कारण गैरकानूनी घोषित किया गया था.
-
दूसरा, पहले से मौजूद ऐसी ही योजना में किसानों को 90% सब्सिडी मिलती है.
-
हालांकि, मौजूदा ढांचे के तहत यह 50-50 का विभाजन है.
-
कैसे निकलेगा हल (How to solve)
इस मुद्दे को हल करने के लिए, सचिव ने शिकायत निपटान को सुनिश्चित करने के लिए दो किसानों- एक दूध उत्पादक और दूसरा पशुपालन किसान से मिलकर एक समिति बनाने का फैसला किया है.
अबूबकर सिद्दीकी ने किसान के चयन की तकनीक के बारे में विस्तार से बताया कि "किसान को ग्राम सभा द्वारा चुना जाता है, जो बीडीओ को एक सिफारिश करता है और इसे बीडीओ के माध्यम से जिला कमेटी के पास लाया जाएगा. साथ ही अंतिम निर्णय उपायुक्त के नेतृत्व वाली एक समिति ही करेगी"
Share your comments