'परंपरागत कृषि विकास योजना' का उद्देश्य दीर्घावधिक मृदा उर्वरता, संसाधन संरक्षण सुनिश्चित करने और रसायनों का प्रयोग किए बिना जैविक खेती को बढ़ावा देना है. इस योजना के उद्देश्यों में न केवल कृषि पद्धति प्रबंधन बल्कि गुणवत्ता और नवाचारी साधनों के माध्यम से किसानों को सशक्त करना है. पीजीएस-इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भागीदारी गारंटी प्रणाली पीकेवाई के अंतर्गत गुणवत्ता हेतु प्रमुख पद्धति होगी. पीकेवीवाई के संशोधित दिशानिर्देश वेबसाइट - www.agricoop.nic.in में उपलब्ध हैं.
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के दिशानिर्देश
पीकेवीवाई के अंतर्गत जैविक खेती को पहाड़ी, जनजातीय और उन वर्षा सिंचित क्षेत्रों जहां रसायन उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम होता है, पहुंचाया जाएगा.
1000 क्षेत्रफल तक के बड़े खंडों में समूह पद्धति अपनाई जाएगी.
चुने गए समूह संस्पर्शी खंडों में होंगे, जहां तक संभव हो, कुछ समीप वाले गांवों में विस्तारित किया जाए.
ग्राम पंचायत आधारित किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा अथवा पहले से मौजूद एफपीओ को इस योजना के तहत बढ़ावा दिया जाएगा.
राज सहायता की सीमा जिसके लिए एक किसान पात्र होता है. अधिकतम एक हैकटेयर के लिए होगी. एक समूह में, कम से कम 65 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान होने चाहिए.
क्या करें ?
कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त विभिन्न फसल प्रणाली के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना ( पीकेवीवाई ) को बढ़ावा दें.
जैविक खेती और अधिक जैव-रसायनों, जैव- कीटनाशकों और जैव-उर्वरकों का प्रयोग करें.
किससे संपर्क किया जाए ?
राज्य स्तर पर-राज्य के निदेशक ( बागवानी/कृषि )
जिला स्तर पर-जिला बागवानी अधिकारी, राज्यों के जिला कृषि अधिकारी/ परियोजना निदेशक.
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