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किसानों के लिए चिंता का विषय बनी केसीसी योजना, जानें क्या है समाधान?

KCC Scheme: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराती है, जिससे वे कृषि कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, किसानों तक इसकी सीमित पहुँच, जटिल बैंकिंग प्रक्रियाएँ, कम ऋण राशि और प्राकृतिक आपदाओं के कारण ऋण चुकाने में समस्याएँ प्रमुख बाधाएँ हैं. सुधार जरूरी है.

लोकेश निरवाल
लोकेश निरवाल
KCC Scheme
KCC योजना: किसानों के लिए वरदान या परेशानी?

भारत में किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना की शुरुआत की गई थी. यह योजना 1998 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य किसानों को आसान और सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना था. KCC के माध्यम से किसान बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई, और अन्य कृषि संबंधी खर्चों के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं.

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के लाभ

  1. कम ब्याज दर – किसानों को अन्य ऋण योजनाओं की तुलना में KCC पर कम ब्याज दर (लगभग 4% तक) पर ऋण मिलता है.
  2. सरल ऋण प्रक्रिया – किसानों को कम दस्तावेजों में ही ऋण उपलब्ध कराया जाता है.
  3. फसल बीमा कवर – इस योजना के तहत किसानों को फसल बीमा का लाभ भी मिलता है.
  4. रिवॉल्विंग क्रेडिट सुविधा – KCC के तहत किसान को एक बार कार्ड मिलने के बाद, उसे हर बार नया ऋण आवेदन नहीं देना पड़ता.
  5. आकस्मिक जरूरतों के लिए भी ऋण – किसान कृषि कार्य के अलावा अन्य घरेलू और आपातकालीन जरूरतों के लिए भी इस कार्ड का उपयोग कर सकते हैं.
  6. ATM और डिजिटल लेनदेन की सुविधा – किसान अपने KCC को डेबिट कार्ड के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं.

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से जुड़ी समस्याए

1. किसानों तक KCC की पहुंच सीमित

हालाँकि सरकार KCC को बढ़ावा दे रही है, लेकिन अभी भी कई छोटे और सीमांत किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. इसके पीछे मुख्य कारण हैं:

  • किसानों की जानकारी और जागरूकता की कमी.
  • बैंकिंग प्रक्रियाओं की जटिलता.
  • ग्राम स्तर पर बैंक शाखाओं की कमी.

2. दस्तावेज़ीकरण और बैंकिंग जटिलताए

कई किसानों के पास भूमि रिकॉर्ड, आधार, बैंक खाता, और अन्य आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं होते, जिससे उन्हें KCC का लाभ नहीं मिल पाता.

3. ब्याज दर और पुनर्भुगतान की समस्या

  • हालाँकि ब्याज दरें कम हैं, लेकिन समय पर ऋण चुकाने में असमर्थ किसानों को बाद में ब्याज और जुर्माने का भारी बोझ उठाना पड़ता है.
  • कई किसानों को ऋण माफ़ी योजनाओं का इंतजार रहता है, जिससे वे ऋण चुकाने में देरी करते हैं.

4. बिचौलियों और बैंक अधिकारियों की समस्याएँ

  • कई बार किसानों को बैंक से ऋण लेने में बिचौलियों और दलालों की मदद लेनी पड़ती है, जो उनसे अवैध रूप से पैसे वसूलते हैं.
  • कुछ बैंक अधिकारी भी किसानों से घूस मांगते हैं या दस्तावेजों को लेकर अनावश्यक समस्याएँ खड़ी करते हैं.

5. प्राकृतिक आपदाओं से फसल खराब होने पर ऋण चुकाने की मुश्किलें

  • कई बार सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, या टिड्डी हमले जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसल खराब हो जाती है, जिससे किसान ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं.
  • ऐसी स्थिति में, उन्हें ऋण पुनर्गठन (लोन रीशेड्यूलिंग) की सुविधा नहीं मिल पाती, जिससे वे और अधिक आर्थिक संकट में फँस जाते हैं.

6. छोटे किसानों के लिए सीमित ऋण राशि

  • छोटे और सीमांत किसानों को KCC के तहत बहुत कम राशि का ऋण दिया जाता है, जिससे उनकी कृषि संबंधी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं.
  • कई बार उन्हें बिचौलियों या महाजनों से ऊँची ब्याज दर पर उधार लेना पड़ता है, जिससे उनका कर्ज और बढ़ जाता है.

समाधान और सुधार के उपाय

KCC योजना की अधिक जागरूकता

  • किसानों को बैंकिंग प्रक्रियाओं और KCC के लाभों के बारे में ग्राम पंचायत, कृषि विभाग, और NGOs के माध्यम से जानकारी दी जानी चाहिए.
  • डिजिटल माध्यम (SMS, मोबाइल ऐप, रेडियो, टीवी, और सोशल मीडिया) के द्वारा भी जागरूकता फैलाई जा सकती है.

प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना

  • KCC आवेदन और ऋण स्वीकृति प्रक्रिया को डिजिटल और पेपरलेस बनाया जाए.
  • बैंक अधिकारी और कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि किसानों को बिचौलियों की जरूरत न पड़े.

छोटे किसानों को अधिक ऋण राशि देना

सीमांत किसानों के लिए KCC की न्यूनतम ऋण सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि वे पूरी तरह से कृषि आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत

  • फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को ऋण चुकाने के लिए अतिरिक्त समय और ब्याज दरों में छूट दी जानी चाहिए.
  • बीमा योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए, ताकि किसानों को नुकसान की भरपाई समय पर मिल सके.

सरकारी निगरानी और हेल्पलाइन सेवा

  • बैंकों में KCC से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसान हेल्पलाइन और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत किया जाए.
  • भ्रष्टाचार और घूसखोरी को रोकने के लिए बैंकों की नियमित निगरानी की जाए.

निष्कर्ष:

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना भारत के किसानों के लिए आर्थिक सहारा साबित हो सकती है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन में कई बाधाएँ हैं. यदि सरकार और बैंक इन समस्याओं का समाधान करें, तो KCC न केवल किसानों की आर्थिक स्थिरता में मदद करेगा बल्कि कृषि क्षेत्र को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देगा.

लेखक:  रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण, बलिया, उत्तर प्रदेश

English Summary: kisan credit card Yojana benefits and problems for farmers Published on: 25 February 2025, 02:56 IST

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