इस साल के अंत तक बिहार के किसानों को एक नया तोहफा मिलने वाला है. सरकार ने डीजल पर निर्भरता खत्म करने एवं किसानों को अलग से बिजली देने के लिए कृषि फीडर का निर्माण कार्य 31 दिसंबर से पहले तक करने का लक्ष्य रखा है. इस बारे में ऊर्जा विभाग द्वारा कर्मियों को सख्त निर्देश दिये जा चुके हैं. खबरों के अनुसार अभी तक लगभग 70 फीसदी कार्य हो चुका है और बाकि 30 फीसदी कार्य को इस साल के अंत तक करने की योजना है.
गौरतलब है कि करीब छह हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला 1312 डेडीकेटेड कृषि फीडर कृषि क्षेत्र के लिए नया वरदान साबित होने वाला है. इसके बनने के बाद ना तो सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं पड़ेगी और ना ही लागत अधिक आयेगी. योजना के मुताबिक खेतों तक तीन शिफ्ट में चार-चार घंटे बिजली मिलेगी और सिंचाई प्रति एकड़ 1500 रुपये से घटकर करीब 200 रुपये तक हो जायेगी, जो महीने के मोबाइल रिचार्ज से भी सस्ती होगी.
ये है सरकार का लक्ष्य
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस साल के 31 दिसंबर तक राज्य में डेडीकेटेड कृषि फीडर बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके तहत कुल 1312 डेडीकेटेड कृषि फीडर बनाये जाने की योजना थी. फिलहाल कृषि कार्य के लिए अभी तक लगभग 181 सब स्टेशनों का निर्माण किया जा चुका है. इसी तरह ट्रांसफॉर्मर लगाने का कार्य भी 80 से 85 फीसदी पूरा हो गया है.
किसानों को क्या होगा फायदा
इस योजना के पूरे होते ही अनुदान के रूप में हर साल करीब दो अरब रुपये सरकार को नहीं मिलेंगें. सबसे अच्छी बात है कि सिंचाई के लिए पंपिंग सेट का उपयोग बंद हो जायेगा और जहरीले धुएं और आवाज से राहत मिलेगी. सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भरता कम हो सकेगी और फसलों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा. माना जा रहा है कि इस योजना के बाद फसल उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.
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