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पान की खेती के लिए मिल रही है 75,600 रूपये की सब्सिडी

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पान की खेती के विकास लिए साल 2018-19 की अवधि में शासन ने आजमगढ़ जिले को भी शामिल कर लिया है. पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बरेजा बनाने वाले को सब्सिडी देने का प्रावधान भी रखा है. आजमगढ़ जिले के किसानों को एक बरेजा पर 75,600 रूपये की सब्सिडी देगी. शेष राशि किसान को खर्च करनी होगी.

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पान की खेती के विकास लिए साल 2018-19  की अवधि में शासन ने आजमगढ़ जिले को भी शामिल कर लिया है. पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बरेजा बनाने वाले को सब्सिडी देने का प्रावधान भी रखा है. आजमगढ़ जिले के किसानों को एक बरेजा पर 75,600 रूपये की सब्सिडी देगी. शेष राशि किसान को खर्च करनी होगी. अनुदान के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन करके जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में जमा कर सकते है.

आजमगढ़ जिला उद्यान अधिकारी बालकृष्ण वर्मा ने बताया कि हमारे देश की जलवायु गर्म और शुष्क होती है इसलिए यहाँ पान की खेती बंद संरक्षणशालाओं (बरजों) में की जाती है. बरजों का निर्माण एक बिशेष विधि द्वारा किया जाता है. इसके निर्माण में मुख्यत:  बांस के लठ्ठे, बांस, सूखी पत्तियाँ, सन व घास, तार आदि का सहारा लिया जाता है. पान की बेहतर उपज के लिए जमीन की गहरी जुताई करके खुला छोड़ दिया जाता है. उसके बाद उसकी दो उथली जुताई करते हैं फिर बरेजा का निर्माण किया जाता है. यह प्रक्रिया 15-20 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाती है. फरवरी के अंत या मार्च के पहले सप्ताह तक तैयार बरजो में पान के पौधों को पंक्ति में रोप देते हैं. बीज के रोपण के रूप में पान बेल से मध्य भाग की कलम ली जाती है. पौधों के संरक्षण के लिए पानी देकर नमी बनायी जाती है ताकि बरेजों में आ‌द्रता की मात्रा कम न रहे.

पंक्तियों के बीच में उचित दूरी का होना जरूरी

बेहतर पैदावार पाने के लिए पंक्ति के बीच में उचित दूरी होनी चाहिए. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 बाई 30 सेमी या 45 बाई 45 सेमी रखी जाती है. फसल को प्रभावित करने वाले जीवाणु व फफूंद को नष्ट करने के लिये पान कलम को रोपण के पहले भूमि का शोधन करवाना जरुरी होता है. इसके लिये बोर्डो मिश्रण के घोल का छिड़काव करते हैं. पान की कलम जब 42 दिन की हो जाती है तो उसे डंडे, सनई या जूट की डंडी का प्रयोग कर बेलों को ऊपर चढ़ाते हैं. सात-आठ हफ्ते बाद बेलों को पौधे से अलग कर लिया जाता है. इस प्रक्रिया को पेडी का पान कहा जाता है. प्रतिदिन तीन से चार बार (गर्मियों में) जबकि ठंड में दो से तीन बार¨सिंचाँई की आवश्यकता होती है. जल निकासी की उत्तम व्यवस्था भी पान की खेती के लिये आवश्यक है. अधिक नमी से पान की जड़ें सड़ जाती हैं जिससे उत्पादन प्रभावित होता है. अत: पान की खेती के लिये ढाल सर्वोत्तम होता है.

प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण

English Summary: Getting subsidy for paddy cultivation is Rs 75,600 Published on: 06 December 2018, 10:40 IST

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