कल तक अपने भविष्य को संवारने की चाहत में शहरों की ओर पलायन करने वाले लोग अब गांवों में रहना ही मुनासिब समझ रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि अब उनके सारे ख्वाब गांव में रहकर ही मुकम्मल हो सकते हैं. गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि अब उन्हें वे सभी सुख सुविधाएं महज गांव में रहकर ही मिल सकती है, जिसकी चाहत में वे कभी शहरों की ओर पालयन करते थे. अच्छा स्कूल, अच्छा कॉलेज, एक बेहतर रोजगार समेत तमाम आधारिक संरचनाओं से युक्त सभी सुविधाएं अब गांवों में रहकर ही प्राप्त की जा सकती है.
यह गांव में रहने वाले लोगों का कहना है, कि यह सब कुछ अगर आज संभव हो पाया है, तो इसका पूरा श्रेय केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ को जाता है. आइए, इस लेख में आगे इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी योजना के नाम संचालित होने वाली योजना ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ का शुभारंभ मोदी सरकार ने 21 फरवरी 2016 में की थी. इस योजना उद्देश्य भारत के गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना है. इस योजना का उद्देश्य ही यही है कि गांवों में रहने वाले लोगों को गांवों में रहकर ही रोजगार के साधन प्राप्त हो जाएं. गांवों में रहकर ही उच्च शिक्षा प्राप्त हो जाएं. कुल मिलाकर यही कहना है कि वे सभी चीज जिसकी तलाश में लोग गांवों से शहरों की ओर पालयन करते हैं, वे सभी सुविधाएं उन्हें गांवों में रहते ही प्राप्त हो जाए.
गौर करने वाली बात यह है कि इस योजना के काफी सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं. आइए, अब इस लेख में जानते हैं कि आखिर केंद्र सरकार ने क्यों इस योजना का शुभारंभ किया है.
..तो इसलिए इस योजना का हुआ शुभारंभ हुआ
जैसा कि सर्वविदित है विगत कई वर्षों से जिस तरह से शहरीकरण का सिलसिला अपने चरम पर पहुंचा है, उसके दृष्टिगत कई मौकों पर सरकारी नुमाइंदों की ओर से चिंता जताई जाती रही है. प्राचीन काल से भारत की ऐसी संरचना रही है कि जिसकी कल्पना गांवों के बिना ही नहीं की जा सकती है. भारत की 65 फीसद गांवों में रहती है. ऐसे में अगर गांवों की सारी आबादी शहरों की ओर पालयन करेगी तो स्थिति भयावह हो सकती है. इन्हीं सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार यह योजना लेकर आई थी.
आखिर इस योजना का प्रारूप क्या है
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में 300 कल्स्टर को समाहित कर आर्थिक गति को बढ़ावा देना है.
इनमें से 296 कल्स्टरों का चयन किया जा चुका है. 240 कल्स्टरों के लिए पंजीकृत किए जा चुके हैं. खैर, अभी इस योजना को लेकर कार्य चल रहा है. यह योजना अभी-भी प्रभावी है. अब ऐसे में आगामी कुछ वर्षों इस योजना क्या कुछ परिणाम निकलकर सामने आते हैं.
नवीनतम सूचना
केंद्रीय योजना श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन के तहत अभी हाल ही में वाराणसी के विकास खंड चोलापुर के ग्राम धौरहरा कलस्टर में चयनित 12 गांवों को मॉडल बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है. अभी कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री ने इसी कलस्टर में 7.72 करोड़ रूपए की दो पेयजल परियोजना का लोकापर्ण किया था. इस संदर्भ में 12 गांवों से कार्य योजना मांग गया है.
इस परियोजना के तहत कई सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं. अब ऐसे में इस योजना का आगे चलकर फिलहाल क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि क्षेत्र से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए...कृषि जागरण.कॉम
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