कोरोना महामारी की वजह से जहाँ एक ओर भारत की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, तो वहीँ दूसरी ओर भारत के आने वाले कल, उज्ज्वल भविष्य यानि बच्चों की पढ़ाई को भी इस महामारी ने प्रभावित किया है. मीडिया रिपोर्ट या अन्य सरकारी आकड़ों की भी मानें, तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित कक्षा 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स हुए.
अचानक से बढ़ता संक्रमण और उस पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा लगाए गये लॉकडाउन ने बनी-बनाई व्यवस्था को हिला कर रख दिया. भारत में इस एजग्रुप में 13 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स आते हैं, जो अपना भविष्य तय करने की राह पर थे और अभी भी हैं और जिन्हें बेहतरीन शिक्षा के साथ रोजगार के पूरे अवसर भी चाहिए. मगर इस बढ़ती महामारी ने सब कुछ बर्बाद कर छोड़ दिया है.
अब ऑनलाइन होगी बच्चों की पढ़ाई
इन्हीं बातों के साथ कई अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए आज यूनियन बजट 2022-2023 सरकार द्वारा पेश किया गया. बजट के दौरान ये ऐलान किया गया कि प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना के तहत एक चैनल,एक क्लास योजना शुरू करेगी. जिसके तहत 200 ई-विद्या टीवी चैनल खोले जाएंगे. इस योजना का लाभ उठाकर कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चे ऑनलाइन पढ़ सकते हैं. इसके साथ ही बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में भी शिक्षा सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को फिर से स्कूल और पढ़ाई से जोड़ना है, ताकि महामारी से जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की जा सके. ऑनलाइन क्लास की कीमत इतनी अधिक होती है कि हर माँ-बाप ये खर्चा उठाने में असमर्थ होते हैं. ऐसे में सरकार द्वारा चलाई गई ये योजना ग्रामीण और माध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए बेहद ही लाभदायक साबित हो सकती है.
डिजिटल यूनिवर्सिटी में कई भाषा में होगी पढ़ाई
कोविड की वजह से प्रभावित शिक्षा को बढ़ावा देने में ना सिर्फ मदद मिलेगी, बल्कि इसकी मदद से अन्य कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा. एक डिजिटल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी, जिसमें कई भाषाओं में पढ़ाई होगी. देश की टॉप यूनिवर्सिटी को भी इस प्रोग्राम से जोड़कर शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाएगा, ताकि भारत के उज्जवल भविष्य को और भी मजबूत बनाया जा सके.
आंगनवाड़ी को बनाया जाएगा और भी बेहतर
देशभर में करीब 2 लाख आंगनवाड़ियों को मॉडर्न बनाने का प्रयास सरकार कर रही है. जिसके तहत सभी पुरानी आंगनवाड़ी को अपग्रेड किया जाएगा.
इस बार बजट में रोजगार को लेकर हुआ बड़ा ऐलान
बेरोजगारी एक ऐसा अभिशाप बनता जा रहा है, जिसे दूर करना सरकार के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है. देश में युवाओं की संख्या जिस कदर बढ़ती जा रही है, वो हमारे लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं. लेकिन फिर भी बेरोजगारी कम होने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे में इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए आज के बजट 2022 में रोजगार को लेकर सरकार ने अपना पिटारा खोल दिया है. हालांकि देखना यह है कि आने वाले दिनों में सरकार जमीनी स्तर पर कितना काम करती है.
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16 लाख नौकरियां दी जाएंगी आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत.
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60 लाख नौकरियां मेक इन इंडिया के तहत.
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कौशल विकास कार्यक्रमों को नई सिरे से शुरू किया जाएगा, ताकि रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें.
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नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन प्रोग्राम उद्योगों की जरूरत के अनुसार बनाया जाएगा.
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राज्यों में संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों को भी जरूरत के अनुसार अपग्रेड किया जाएगा.
बेरोजगार दर का डर
सरकार दावा कर रही हैं कि बेरोजगारी की दर पहले से कम हुई है, जबकि हकीकत कुछ और है. इसे समझने के लिए पहले ये समझें कि बेरोजगार कहते किसे हैं. बता दें कि बेरोजगार वे लोग कहलाते हैं, जो नौकरी मांगने के लिए बाजार में यानि बाहर निकलते हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिलती है. अंग्रेजी में इसे लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन यानी (LFP) कहते हैं.
मतलब यह कि अगर आप काम करने के योग्य हैं, लेकिन नौकरी मांगने नहीं जाते हैं, तो आपकी गिनती बेरोजगारों में नहीं होगी. सच यह कि नौकरी मांगने वालों की संख्या कम होने की वजह से बेरोजगारी दर कम नजर आ रही है.
अब सवाल यह कि नौकरी करने के योग्य होने के बावजूद लोग नौकरियां मांग क्यों नहीं रहे हैं? इसका जवाब यह है कि स्टूडेंट और नौजवान हताश हैं. वे उम्मीद खो चुके हैं कि मांगने पर ना तो बेहतर शिक्षा मिल रही है और ना ही कहीं नौकरी मिलेगी.
लगातार बढ़ रही ग्रेजुएट्स की संख्या
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वर्ष 2000 में भारत में 86 लाख छात्रों ने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी.
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वर्ष 2016 में ग्रेजुएट होने वाले छात्रों की संख्या 3 करोड़ 46 लाख पहुंच गई थी.
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4 करोड़ स्टूडेंट ग्रेजुएट होकर हर साल नौकरी की तैयारी में लगते हैं.
12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों पर एक नजर
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2000 में 99 लाख छात्र 12वीं कक्षा में पास हुए थे.
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2016 में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या लगभग ढाई करोड़ थी,
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3 करोड़ बच्चे 12वीं पास करके हर वर्ष नौकरी या उच्च शिक्षा में जाते हैं.
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