एलोवेरा की खेती औषधीय उत्पादन के लिए की जाती है और इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है. जिससे जल सरंक्षण को भी बढ़ावा मिलता है. एलोवेरा (ग्वारपाठा) का जूस गठिया के रोगियों के लिए अत्यन्त लाभकारी होता है. एक हेक्टेयर में एलोवेरा की खेती करने पर लगभग 96 हजार की लागत आती है, उसमें भी 30 प्रतिशत (लगभग 18 हजार रुपए) अनुदान उद्यान विभाग की ओर से दिया जाता है.
यह योजना उद्यान विभाग की ओर से संचालित औषधि पौधा मिशन के अन्तर्गत आती है, उद्यान विभाग किसानों को परंपरागत खेती के साथ ही औषधीय खेती के लिए भी प्रेरित कर रहा है. एक बार फसल लगाने पर यह लगभग तीन साल तक उत्पादन देती है. पहली बार फसल का उत्पादन लगभग 15 महीने बाद शुरू हो जाता है.
एलोवेरा से लाभ (Benefits from Aloe vera)
एलोवेरा केम प्लांट होने की वजह से पानी का उत्सर्जन बहुत ही कम करता है, जिससे इसकी खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं रहती है. साथ ही इसके कई औषधीय महत्व भी है जिसके कारण इसकी मांग बाजार में हमेशा रहती है. एक हेक्टेयर में एलोवेरा की खेती करने पर किसानों को तीन लाख की आमदनी प्रतिवर्ष बड़े अराम से हो सकती है. एलोवेरा त्वचा की कई समस्याओं के लिए बेहतर प्राकृतिक उपाय है. त्वचा की कई समस्याओं का समाधान इसके द्वारा किया जाता है. इसके इस्तेमाल से बालों में चमक आती है, साथ ही बाल सिल्की और मजबूती भी बनते हैं. खूबसूरती निखारने का सस्ता और बेहतरीन तरीका है एलोवेरा/ घृत कुमारी.
कहां से लें योजना का लाभ? (Where to take advantage of the Scheme)
इसकी योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को जिले के कृषि विभाग या उद्यान विभाग (Horticulture department) से सम्पर्क करना होगा, या कृषि अधिकारी से बात कर इसकी जानकारी ले सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए http://uphorticulture.gov.in/ वेबसाइट लॉग इन करें या 0522-4044414, 2623277 पर संपर्क करें.
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