
आज का दौर जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय क्षरण से परिभाषित है. ऐसे में, स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) की खोज एक वैश्विक प्राथमिकता बन गई है. दुनिया भर के उद्योग प्रगति और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने की चुनौती से जूझ रहे हैं, ऐसे नवोन्मेषी समाधानों की तलाश में हैं जो अतीत के नुकसान को पलट सकें और एक हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकें. इस सुनहरी क्रांति के अग्रणी मार्ग पर 1997 में डॉ. अजय रांका द्वारा स्थापित, जायडेक्स इंडस्ट्रीज है.
जायडेक्स इंडस्ट्रीज एक विशेष रसायन (स्पेशल्टी केमिकल) कंपनी के रूप में उभरी है, जिसका एकमात्र मिशन प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए पर्यावरण को स्थिर और टिकाऊ बनाना है. जायडेक्स की दूरदर्शिता केवल लाभ कमाने तक सीमित नहीं है; यह एक दर्शन है, एक जीवनशैली है जो मानव जीवन के मूलभूत आधारों- रोटी, कपड़ा, मकान और सड़क को सशक्त बनाने पर केंद्रित है. यह कंपनी प्रकृति से सीखती है और फिर विज्ञान के माध्यम से ऐसी तकनीकें विकसित करती है जो न केवल प्रदूषण-मुक्त हैं बल्कि हमारे इको-सिस्टम को बचाने और बेहतर बनाने का काम भी करती हैं.
1,100 से अधिक कर्मचारियों की एक टीम के साथ और 40 से अधिक देशों में अपनी पहुंच बनाकर, जायडेक्स ने वैश्विक स्तर पर एक ऐसे उद्यम के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जिसके इको-फ्रेंडली समाधानों को दुनिया भर में स्वीकृति और सराहना मिली है. यह लेख जायडेक्स की इसी यात्रा, उसके दर्शन, और विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में उसके गहन और परिवर्तनकारी योगदान पर केंद्रित है.
जायडेक्स: एक संक्षिप्त परिचय
स्थापना एवं मिशन
जायडेक्स की स्थापना 1997 में डॉ. अजय रांका ने की थी. उनका मूल विचार स्पष्ट और प्रेरणादायक था: संसाधनों के संरक्षण के माध्यम से एक टिकाऊ दुनिया बनाने के लिए नवप्रर्वतन करना. कंपनी का उद्देश्य केवल रसायन बेचना नहीं, बल्कि ऐसी तकनीकें विकसित करना है जो उद्योगों और किसानों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार तरीके से काम करने में सक्षम बनाएं.
वैश्विक उपस्थिति
आज जायडेक्स 40 से अधिक देशों में अपनी मजबूत उपस्थिति के साथ एक वैश्विक खिलाड़ी बन चुकी है. दुनिया भर की प्रमुख कंपनियों और संस्थानों ने इसके इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी समाधानों को अपनाया है.
व्यापार के चार स्तंभ: रोटी, कपड़ा, मकान, सड़क
डॉ. रांका ने मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कंपनी के व्यापार को चार मुख्य विभागों (वर्टिकल्स) में विकसित किया है.
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टेक्सटाइल डिवीजन: कपड़े के लिए सस्टेनेबिलिटी
सबसे पहले, डॉ. रांका ने टेक्सटाइल डिवीजन की शुरुआत की. इस विभाग ने पर्यावरण-अनुकूल (environment-friendly) इंक और केमिकल्स पेश किए, जिनका उद्देश्य डाईंग और प्रिंटिंग की प्रक्रिया में पानी की खपत को काफी कम करना और रसायन युक्त पानी से होने वाले प्रदूषण को रोकना था. यह टेक्नोलॉजी न केवल कपड़ा उद्योग की स्थिरता में योगदान दे रही है बल्कि उत्पादन लागत भी कम करती है.
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रोड एंड कंस्ट्रक्शन डिवीजन: मजबूत सड़कें और भवन
दूसरे डिवीजन के रूप में रोड और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को चुना गया. इस डिवीजन ने ऐसे उत्पाद विकसित किए जो सड़कों को अधिक टिकाऊ और मजबूत बनाते हैं. ये उत्पाद सड़कों को पानी की वजह से से होने वाले नुकसान से बचाते हैं, जिससे उनका जीवनकाल बढ़ जाता है और बार-बार मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ती. यह टेक्नोलॉजी सड़कों को विपरीत मौसमी परिस्थितियों में भी बेहतर ढंग से बनाए रखने में मदद करती है.
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वॉटरप्रूफिंग एंड पेंट्स डिवीजन: टिकाऊ इमारतें
तीसरा बड़ा कदम था वॉटरप्रूफिंग और पेंट टेक्नोलॉजी को इंट्रोड्यूस करना. जायडेक्स ने एक पेनेट्रेटिव (भेदनशील) टेक्नोलॉजी विकसित की. पारंपरिक तरीकों में, इमारतों में दरार आने पर उसके ऊपर एक परत चढ़ा दी जाती है, जो अक्सर उखड़ जाती है. जायडेक्स की यह अनूठी टेक्नोलॉजी दरार के अंदर तक जाकर उसे भरती है, जिससे सीमेंट के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया होती है और एक स्थायी सील बन जाती है. यह सीपेज और लीकेज का एक स्थायी समाधान प्रदान करती है.
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एग्रीकल्चर डिवीजन (एग्रो सॉल्यूशंस): पोषक भोजन का सफर
चौथा और सबसे महत्वपूर्ण विभाग है एग्रीकल्चर या एग्रो सॉल्यूशंस डिवीजन. इस विभाग का विजन था: "हम सभी लोगों को स्वस्थ और पोषक भोजन किस तरीके से प्रदान करने में मदद करें." यह विभाग किसानों की सबसे बड़ी समस्याओं- मिट्टी की गिरती सेहत, रासायनिक अवशेष, और पोषक तत्वों की कमी- का समाधान लेकर आया. यही इस लेख का मुख्य फोकस है.
भारतीय कृषि की चुनौतियां: समस्या की जड़
आज किसान और उपभोक्ता दोनों ही संकट में हैं. उपभोक्ता के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह है कि वह कैसे तय करे कि उसे स्वस्थ भोजन मिल रहा है. कीटनाशकों के रासायनिक अवशेष (केमिकल रेसिड्यू), दवाइयों का प्रभाव और भोजन में पोषक तत्वों की कमी एक बड़ी चिंता का विषय है. भले ही पैदावार बढ़ गई हो, लेकिन गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है.
इन सबके मूल में है- हमारी मिट्टी की बिगड़ती हुई सेहत. पिछले 50 वर्षों में उन्नत तकनीकों, भारी मशीनरी, रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग का एक गहरा साइड इफेक्ट यह हुआ है कि हमारी मिट्टी की संरचना (सॉइल स्ट्रक्चर) बुरी तरह प्रभावित हुई है.
एक स्वस्थ मिट्टी की संरचना के लिए तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं:
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छिद्रितता (Porosity/Aeration): मिट्टी में हवा का आवागमन होना चाहिए.
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जल धारण क्षमता (Water Holding Capacity): मिट्टी में पानी को रोककर रखने की ताकत होनी चाहिए ताकि नमी बनी रहे.
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कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter) और जैविक शक्ति: यह मिट्टी को नरम और भुरभुरा बनाता है और मित्र जीवाणुओं (beneficial microbes) के लिए भोजन का काम करता है, जो मिट्टी की जैविक शक्ति (Biological Support System) है.
दुर्भाग्यवश, वर्तमान में इन सभी पैरामीटर्स पर हमारी मिट्टी की स्थिति चिंताजनक है. मिट्टी सख्त, और कडक हो गई है और जैविक रूप से मृत होती जा रही है.
जायडेक्स एग्रो सॉल्यूशंस: समाधान का दर्शन
इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए डॉ. अजय रांका ने एक नई, पेटेंटेड और विशिष्ट टेक्नोलॉजी- जायटॉनिक टेक्नोलॉजी विकसित की. यह बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर पर आधारित तकनीक है.
इसका दर्शन सरल है: रासायनिक निर्भरता को कम करने के लिए सबसे पहले मिट्टी को सुधारना जरूरी है. जायडेक्स ने मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए एक समग्र (Holistic) और चरणबद्ध तरीका अपनाया है.

चरण 1: मिट्टी की भौतिक संरचना सुधारना: जायटॉनिक टेक्नोलॉजी
कैसे काम करती है जायटॉनिक टेक्नोलॉजी?
जायटॉनिक एक पानी में घुलनशील पाउडर है. जब इसे काम्पोस्ट खाद के साथ मिलाकर मिट्टी में डाला जाता है और नमी मिलती है, तो यह फूलने लगता है. यह फूलना मिट्टी के कणों के बीच में जगह बनाता है, जिससे मिट्टी का कड़कपन (Compaction) टूटता है और कण अलग-अलग हो जाते हैं. इससे मिट्टी नरम, भुरभुरी और हवादार बन जाती है, जिससे पानी और हवा का आवागमन आसानी से हो पाता है.
लाभ:
तेजी से परिणाम: प्राकृतिक तरीके से (जैविक खेती) मिट्टी सुधारने में 5-7 साल लगते हैं. जायटॉनिक टेक्नोलॉजी यही काम मात्र 30-45 दिनों में कर देती है.
अधिक अंकुरण: मिट्टी मे समुचित हवा और नमी हिने के कारण डाले गए 90-95% बीज अंकुरित हो जाते हैं जिससे खेत मे अपेक्षित मात्रा मे पौधे होने से उत्पादन पूरा मिलता है.
बेहतर जड़ विकास: नरम मिट्टी में पौधों की जड़ें आसानी से और गहराई तक फैल पाती हैं जिससे पोषक तत्व समुचित मात्रा मे अवशोषित होते है और समग्र विकास मे सहायता देता है.
जल धारण क्षमता बढ़ना: मिट्टी पानी को अधिक देर तक रोककर रख पाती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता और Frequency कम हो जाती है. पानी की बचत होती है.

चरण 2: कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter) बढ़ाना: जायटॉनिक गोधन
मिट्टी की संरचना सुधारने के बाद अगला कदम है उसमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाना, जो मित्र जीवाणुओं का भोजन है.
समस्या: पारंपरिक तरीके से गोबर की खाद (FYM) बनाने में 2 साल तक का समय लग जाता है. वर्मीकम्पोस्ट बनाना बेहतर है, लेकिन इसके लिए विशेष Infrastructure, तकनीकी ज्ञान और श्रम की आवश्यकता होती है.
समाधान: जायटॉनिक गोधन
जायटॉनिक गोधन एक ऐसा उत्पाद है जो गोबर एवं अन्य फसल/ चारे के अवशेष को उच्च-गुणवत्ता वाली खाद में बदलने की प्रक्रिया को तेज (Accelerate) करता है. इसमें लाभकारी कवक (फंगस) होते हैं जो गोबर में मौजूद लिग्निन और सेल्यूलोज को तोड़कर उसे जैविक रूप से पचाते हैं और शीघ्र ही खाद में बदल देते हैं.
लाभ:
शीघ्र परिणाम: जायटॉनिक गोधन की मदद से उत्तम खाद मात्र 45-60 दिनों में तैयार हो जाती है.
सरल प्रक्रिया: इसे बनाना बेहद आसान है. गोबर और चारे / फसल अवशेष के ढेर पर जायटॉनिक गोधन के घोल का छिड़काव करके उसे ढक दें. बाकी काम यह अपने आप करेगा.
अधिक प्रभावी: इस प्रक्रिया से बनी खाद अधिक गुणवत्तापूर्ण और Concentrate होती है. पारंपरिक खाद के मुकाबले एक ट्रॉली प्रति एकड़ की मात्रा ही पर्याप्त होती है, जबकि सामान्य खाद के लिए 4-5 ट्रॉली की जरूरत पड़ती है.
चरण 3: मिट्टी की जैविक शक्ति (Biological Power) बढ़ाना
मिट्टी को भौतिक रूप से तैयार करने और कार्बनिक पदार्थ देने के बाद, तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कदम है उसमें जैविक शक्ति का संचार करना. यहाँ जायडेक्स ने जायटॉनिक टेक्नोलॉजी के आधार पर ही तीन शक्तिशाली बायो-फर्टिलाइजर विकसित किए हैं.

1. जायटॉनिक-एम (माइकोराइज़ा)
माइकोराइज़ा एक लाभकारी कवक है जो पौधे की जड़ों के साथ एक सहजीवन (Symbiotic Relationship) बनाता है.
लाभ:
जड़ तंत्र का विस्तार: यह पौधे की जड़ों का क्षेत्रफल सैकड़ों गुना बढ़ा देता है, जिससे पौधा मिट्टी से अधिक पोषक तत्व और पानी सोख पाता है. इसी मे उपलब्ध ecto-mycorrhiza प्रजाति मिट्टी मे कवक की मात्रा बढ़ाकर गुणवत्ता युक्त करने मे सहायक है.
फॉस्फोरस की उपलब्धता: यह मिट्टी में स्थिर हुए फास्फोरस को घुलनशील बनाता है और पौधे तक पहुँचाता है.
तनाव प्रबंधन: यह पौधों को सूखे और बीमारियों के प्रति अधिक सहनशील बनाता है.

2. जायटॉनिक-एनपीके (NPK कंसोर्टिया)
इस उत्पाद में तीन प्रकार के लाभकारी बैक्टीरिया का कंसोर्टियम (समूह) होता है:
नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया: वातावरण से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में स्थिर करते हैं.
फॉस्फेट घोलक बैक्टीरिया: मिट्टी में स्थिर फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं.
पोटाश मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया: मिट्टी में स्थिर पोटैशियम को पौधे के लिए उपलब्ध कराते हैं.
लाभ: यह समूह मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों को "अनलॉक" करता है और पौधों को उपलब्ध करता है, जिससे रासायनिक खादों पर निर्भरता घटती है.

3. जायटॉनिक-जिंक (जिंक मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया)
जिंक पौधों, जानवरों और मनुष्यों सभी की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
लाभ:
इम्युनिटी बूस्टर: पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
जिंक की उपलब्धता: यह बैक्टीरिया मिट्टी में स्थिर जिंक को घुलनशील बनाकर पौधों के लिए उपलब्ध कराता है, न कि बाहर से जिंक डालता है. इससे पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है.
जायटॉनिक सिस्टम का संचालन और समग्र लाभ
जब कोई किसान जायटॉनिक टेक्नोलॉजी के इन उत्पादों को एक सिस्टम के तहत इस्तेमाल करता है, तो इसका जबरदस्त समग्र प्रभाव (Synergistic Effect) देखने को मिलता है:
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उत्तम अंकुरण (Better Germination): नरम, नम और हवादार मिट्टी बीजों के अंकुरण के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती है, जिससे अंकुरण दर 99% तक पहुंच जाती है.
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मजबूत जड़ें (Stronger Root System): माइकोराइज़ा और बेहतर मिट्टी की संरचना जड़ों के घने और मजबूत जाल का निर्माण करती हैं.
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पोषण की उपलब्धता (Nutrient Availability): एनपीके और जिंक बैक्टीरिया मिट्टी की "तिजोरी" में बंद पोषक तत्वों को खोलकर पौधे तक पहुंचाते हैं.
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पानी की बचत (Water Saving): बेहतर जल धारण क्षमता के कारण सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे 30-40% तक पानी की बचत होती है.
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रासायनिक खाद की बचत: मिट्टी से ही पोषण मिलने से रासायनिक खादों पर निर्भरता 50% या उससे अधिक तक कम की जा सकती है.
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स्वस्थ फसल, अधिक उपज: बेहतर पोषण, मजबूत इम्युनिटी और कम तनाव का सीधा असर फसल की सेहत और उत्पादन पर पड़ता है, जिससे उपज और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है.
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कीटों एवं रोगों में कमी:संतुलित पोषण और मजबूत इम्युनिटी के कारण फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप कम होता है.
जायडेक्स इंडस्ट्रीज: एक क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर
जायडेक्स की कहानी सिर्फ एक कंपनी की सफलता की कहानी नहीं है; यह एक दृष्टि, एक दर्शन और एक वैज्ञानिक सोच की सफलता है. डॉ. अजय रांका और जायडेक्स टीम न केवल उत्पाद बेच रहे हैं, बल्कि किसानों के लिए एक पूरी तरह से नई कृषि पद्धति का मार्ग प्रशस्त किया है. यह पद्धति हमें रासायनिक खेती की लत से निकालकर प्रकृति के साथ सहयोग करने वाली, टिकाऊ और लाभकारी कृषि की ओर ले जाती है.
जायटॉनिक टेक्नोलॉजी और एग्रो सॉल्यूशंस ने यह साबित कर दिया है कि अच्छी पैदावार और पर्यावरण का संरक्षण एक साथ संभव है. यह किसान की लागत कम करती है, उपज बढ़ाती है, पानी बचाती है और सबसे बढ़कर, हमारी धरती मां की सेहत लौटाती है. यह केवल एक उत्पाद नहीं, बल्कि भारतीय कृषि के भविष्य में एक स्थायी, स्वस्थ और समृद्ध क्रांति का आधार है. जायडेक्स का यह सफर वास्तव में रोटी, कपड़ा, मकान और सड़क, मानव जीवन के इन चारों पिलर्स को स्थिरता प्रदान कर, एक सशक्त और हरित भविष्य का निर्माण कर रहा है.
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