लहसुन की फसल में खरपतवार एक बड़ी समस्या है जो न केवल उत्पादन में कमी लाती है अपितु कीट एवं रोग को बढ़ाने में मदद करती है. अतः अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए समय-समय पर खरपतवार प्रबंधन करना अति आवश्यक होता है.लहसुन बुवाई के 3 दिनों के बाद प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. ताकि फसल में दोनों प्रकार के संकरी और चौड़ी पत्ती के खरपतवार को उगने से पहले ही नष्ट किया जा सके.
लहसुन की फसल में बुवाई के 10-15 दिनों के बाद भी यदि खरपतवार की समस्या खेत में दिखाई दे तो ऑक्साडायर्जिल 80% WP नाम की खरपतवारनाशी 50 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग करें. प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC खरपतवारनाशी का लहसुन लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग कर सकते है. इसके लिए इस खरपतवारनाशी की 250-350 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है जिससे फसल में लगने वाले खरपतवार को नष्ट कर फसल की उत्पादकता बढ़ सके.
शाकनाशी/खरपतवारनाशी का उपयोग करते समय रखे ये सावधानियां
खरपतवारनाशी का उपयोग करते समय किसानों को निम्न सावधानियां ध्यान रखनी चाहिए-
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फसल में उचित नोजल फ्लड जेट या फ्लेट फेन का ही उपयोग करना चाहिए.
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शाकनाशी रसायनों की उचित मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिए. यदि संस्तुति दर से अधिक शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है तो खरपतवारों के अतिरिक्त फसल को भी क्षति पहुँच सकती है.
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शाकनाशी रसायनों को उचित समय पर छिड़कना चाहिए. अगर छिड़काव समय से पहले या बाद में किया जाता है तो लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना बढ़ जाती है.
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शाकनाशी/ खरपतवारनाशी का घोल तैयार करने के लिए खरपतवारनाशी व पानी की अनुशंसित मात्रा का ही उपयोग करना चाहिए.
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एक ही रसायन का बार-बार फसलों पर छिड़काव न करें बल्कि बदल-बदल कर करें. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो खरपतवारों में शाकनाशी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सकती है.
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छिड़काव के समय मृदा में पर्याप्त नमी होना चाहिए तथा पूरे खेत में छिड़काव एक समान होना चाहिए.
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छिड़काव के समय मौसम साफ़ होना चाहिए. तेज धूप और आसमान में बादल छाए रहने पर खरपतवारनाशी के उपयोग से बचना चाहिए.
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यदि दवा इस्तेमाल से ज्यादा खरीद ली गई है तो उसे ठंडे, शुष्क एवं अंधेरे स्थान पर रखें तथा ध्यान रखें कि बच्चे एवं पशु इसके सम्पर्क में न आएं.
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फसल में उपयोग करते समय ध्यान रखिए कि रसायन शरीर पर न पड़े. इसके लिए विशेष पोशाक दस्ताने, चश्में का प्रयोग करें अथवा उपलब्ध न होने पर हाथ में पॉलीथीन लपेट लें तथा चेहरे पर गमछा (तौलिया) बांध लें.
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प्रयोग के पश्चात खाली डिब्बों को नष्ट कर मिट्टी में दबा दें. इसे साफ़ कर इसका प्रयोग खाद्य पदार्थो को रखने के लिए कतई न करें.
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छिड़काव समाप्त होने के बाद दवा छिड़कने वाले व्यक्ति साबुन से अच्छी तरह हाथ व मुँह अवश्य धो लें.
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