Moong ki Kheti: किसानों के लिए मूंग की खेती/Moong Cultivation काफी लाभकारी होती है. दरअसल, मूंग दलहनी फसलों की प्रमुख फसल है. बता दें कि किसान मूंग की खेती खरीफ और जायद दोनों ही सीजन में कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इसी क्रम में आज हम किसानों को मूंग की उन्नत किस्म/ Variety of Moong मूंग एम एच 1142 किस्म की जानकारी लेकर आए हैं. ताकि किसान कम समय व कम लागत में मूंग की बंपर पैदावार प्राप्त कर सके.
बता दें कि मूंग की उन्नत किस्म एम एच 1142/ Variety of Moong MH 1142 खेत में 63-70 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है. मूंग की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के द्वारा विकसित किया गया है. ऐसे में आइए मूंग की इस उन्नत किस्म की जानकारी के बारे में विस्तार से जान सकते हैं...
मूंग की इस उन्नत किस्म की खासियत
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इसमें पीला मोजेक, पत्ता झूरी, पत्ता मरोड़ जैसे विषाणु रोग और सफेद चूर्णी जैसे फफूंद रोगों से लड़ने की क्षमता है.
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इसके अलावा मूंग की इस किस्म में सफेद मक्खी और थ्रिप्स जैसे रस चूसक कीट और अन्य फली छेदक कीटों का प्रभाव भी पहले वाली किस्मों की तुलना में बहुत कम होता है.
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इस किस्म के बीज की फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है.
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इस किस्म का पौधा कम फैलावदार, सीधा और सीमित बढ़वार वाला होता है.
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इस किस्म की फलियां काले रंग की और बीज मध्यम आकार के हरे और चमकीले होते हैं.
बुवाई के लिए अनुशंसित क्षेत्र
मूंग की उन्नत किस्म एम एच-1142/ Improved variety of Moong MH-1142 उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम के किसानों के लिए उप्युक्त है. इन क्षेत्रों में मूंग की इस किस्म की बुवाई कर किसान कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, अगर हर प्रति एकड़ खेत में बीज दर की बात करें, तो प्रति एकड़ खेत के लिए बीज दर 4-6 किलो की आवश्यकता होगी.
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मूंग की उन्नत किस्म एम एच-1142 की पैदावार क्षमता
अगर किसान मूगं की उन्नत किस्म एम एच-1142 की बुवाई करते हैं, तो वह प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. किसान इस किस्म की बुवाई वसंत में 15 फरवरी, ग्रीष्म में 15 अप्रैल, खरीफ में जून से जुलाई के बीच कर सकते हैं.
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