तेला – सफ़ेद पीठ वाला व भूरा तेला के शिशु एवं व्यस्क पौधे के तने के निचले भाग से रस चूसते हैं. आक्रमण के कारण फसल पीली होकर सूख जाती है हरे तेले का आक्रमण गोलाकार टुकड़ियों में शुरू होता है जो धीरे धीरे बढ़ता जाता है और अंत में सारा खेत ही सूख जाता है इसे हॉपर बर्न के नाम से भी जाना जाता है
रोकथाम- खेत में 5-10 हॉपर प्रति पौधा नजर आने पर 330 मी.ली. बुप्रोफेज़ीन (ट्रिब्यून 25 एस.सी.)या 250 मी.ली. मोनोक्रोटोफोस 36 एस.एल. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडकें. इन कीटनाशकों का छिड़काव पौधे के निचले भाग की और करें. आवश्यकतानुसार कीटनाशकों को बदल बदल कर 10 दिन के बाद फिर से छिड़काव करें.
पत्ता लपेट सुंडी-यह हरे रंग की छोटी सी सुंडी काफी चुस्त होती है. यह पत्ते को अपने शरीर के उपर लपेट कर उसका हर भाग जुलाई से अक्टूबर तक खाती है. इसका पतंगा सुनहरे पीले रंग का होता है. इसके अगले पंख पर ढाई धारियां होती हैं.
रोकथाम- खेत में 1-2 सुंडी प्रति पौधा दिखने पर400 मी.ली. कविनाल्फोस (एकालक्स) या 200 मी.ली. मोनोक्रोटोफोस 36 एस.एल. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिडकें या 10 किलो मिथाइल परथिओन 2 प्रतिशत धूड़ा प्रति एकड़ धुड़े.
तना छेदक-तना छेदक का आक्रमण बासमती किस्मों में ज्यादा होता है. यह कीड़ा जुलाई से अक्टूबर तक नुकसान करता है लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान सितम्बर से अक्टूबर में होता है. गोभ की अवस्था से पहले आक्रमण होने पर गोभ सूख जाती है. जबकि गोभ में या बालियाँ निकालने के बाद आक्रमण होने पर पूरी बाल ही सूख जाती है.
रोकथाम- 500 मी.ली. मिथाइल परथिओन 50 ई.सी. या 1 लीटर क्लोरपय्रिफोस 20 ई.सी. का रोपाई से 30, 50, या 70 दिन बाद 2 छिड़काव करें या 7.5 किलो कारताप हाइद्रोक्लोरयिद को 10 किलो सूखी बालू में मिलाकर पौधारोपण के 30 व 50 दिन बाद प्रति एकड़ फसल में डालें. ऐसा करने से तना छेदक के साथ पत्ता लपेट सुंडी भी मर जाती है. इस कीट की रोकथाम 5 किलो 10 जी. प्रति एकड़ रोपाई के 30,50 व 70 दिन बाद 10 किलो रेत में मिलाकर खड़े पानी में डालने से भी की जा सकती है.
गाँधी बग या मलंगा- यह कीड़ा किसी किसी वर्ष ही आक्रमण करता है. इसके शिशु व व्यस्क बालियों में बन रहे कच्चे दानो में से रस चूसते हैं. जिसके कारण बालियों में दाना नहीं बनता. इस कीट का व्यस्क तीखी गंध छोड़ता है.
रोकथाम-10 किलो मिथाइल परथिओन 2 प्रतिशत धूड़ा प्रति एकड़ धुड़े.
धान के टिड्डे और सतही टिड्डे पनीरी और रोपी गयी फसल के पत्तों को खाकर हानि पहुंचाते हैं.
रोकथाम-10 किलो मिथाइल परथिओन 2 प्रतिशत धूड़ा प्रति एकड़ धुड़े.
डॉ. मीनू, डॉ. योगिता बाली एवं डॉ. गुलाब सिंह
कृषि विज्ञान केंद्र, भिवानी
चौ.च. सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
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