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मॉनसून में अरहर की ये 5 किस्में हैं किसानों के लिए वरदान, कम समय में देगी 1 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन

Monsoon Crops: अगर किसान मॉनसून में सही किस्म की अरहर चुनें, तो उन्हें कम समय में बेहतर पैदावार मिल सकती है. ये पांच किस्में वैज्ञानिकों द्वारा परखी और अनुशंसित हैं, जो न केवल अधिक उत्पादन देती हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी मजबूत हैं. समय पर बुवाई करके किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं.

लोकेश निरवाल
Pigeon Pea Varieties
सावन में अरहर की ‘बंपर खेती’ के लिए चुनें ये 5 बेहतरीन किस्में! (सांकेतिक तस्वीर)

Pigeon Pea Varieties: सावन के महीने में जहां मॉनसून रफ्तार पकड़ लेता है. वहीं, यह समय किसानों के लिए भी बेहद खास होता है. दरअसल, सावन के माह में खेती से अच्छा मुनाफा पाया जा सकता है. खासतौर पर खरीफ सीजन की प्रमुख दलहनी फसलों से किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. इस दौरान किसान अगर अपने खेतों में दलहनी फसल अरहर (तुअर) की बुवाई करते हैं, तो अधिक लाभ पाएंगे. इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए अरहर की ऐसी 5 उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम समय में अधिक उत्पादन देती है.

जिन किस्मों की हम बात करने जा रहे हैं, उन्हें वैज्ञानिकों ने भी किसानों के लिए फायदेमंद बताया है. ये किस्में कम समय में पककर तैयार हो जाती हैं, साथ ही रोग प्रतिरोधक भी हैं और पैदावार भी अच्छी देती हैं. आइए जानें इन खास किस्मों के बारे में...

1. पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16)

यह अरहर की अगेती किस्म यानी जल्दी पकने वाली है. इस किस्म की बुवाई जुलाई में करनी चाहिए. यह 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. पौधे की लंबाई छोटी और दाने मोटे होती है. औसत उत्पादन 1 टन प्रति हेक्टेयर तक होता है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है.

2. टीएस-3आर (TS-3R)

यह एक पछेती किस्म यानी थोड़ी देर से पकने वाली है. इस किस्म की बुवाई मॉनसून आने के बाद की जाती है. पकने में 150 से 170 दिन का समय लगता है. यह किस्म विल्ट और मोज़ेक वायरस जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है. औसत उपज भी लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर है. इसे भी IARI द्वारा विकसित किया गया है.

3. पूसा 992 (Pusa 992)

अरहर की यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. दाना भूरे रंग का, मोटा और चमकदार होता है. 120 से 140 दिन में फसल तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ 6 क्विंटल तक उपज देती है. विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान में लोकप्रिय है.

4. आईपीए 203 (IPA 203)

यह किस्म रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है. फसल को कई बीमारियों से बचाने में सक्षम है. इस किस्म से औसत उपज 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है. बुवाई जून महीने में कर देनी चाहिए.

5. आईसीपीएल 87 (ICPL 87)

अरहर की इस किस्म के पौधों की लंबाई कम होती है, जो 130 से 150 दिन में फसल तैयार हो जाती है. फलियां मोटी, लंबी और गुच्छों में आती हैं. औसत उपज 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.

English Summary: Top 5 pigeon pea varieties for monsoon farming high yield in less time farmers Published on: 19 July 2025, 11:28 AM IST

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