गन्ना की खेती मुख्य रूप से इसके रस के लिए खेती की जाती है जिसमें से चीनी (शर्करा) संसाधित की जाती है. विश्व में गन्ना उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है.
भारत में विश्व के लगभग 17 प्रतिशत गन्ना का उत्पादन किया जाता है, इसके उत्पादन में देश का लगभग 50 प्रतिशत गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश राज्य का क्षेत्र है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, हरियाणा और पंजाब हैं. गन्ना की अच्छी पैदावार पाने के लिए निम्नलिखित उन्नत किस्में है -
गन्ने की किस्में और उनकी विशेषता (Sugarcane varieties and their characteristics)
1.को.से 13452: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. 86 से 95 टन प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होगी. इसमें व्यावसायिक शर्करा उपज 12.08 पाया गया है.
2.को.से 13235: बाकी गन्नों की तुलना में यह शीघ्र पकने वाला गन्ना है. इसकी फसल 10 माह में पक कर तैयार हो जाती है. इसकी उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर है. व्यावसायिक शर्करा 11.55 पाया गया है. इस प्रजातियो को 0238 के विकल्प के रूप में माना जा रहा है.
3.कोसा 10239: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. जल भराव की स्थिति में इसकी पैदावार 63 से 79 टन प्रति हेक्टेयर होती है. ऊसर या बंजर जमीन पर इसकी पैदावार 61 से 70 टन पाई गई है.
रोगमुक्त गन्ने की किस्म (Disease free sugarcane Variety)
कुछ समय पहले तक किसानों के बीच co 0238 किस्म का गन्ना काफी मशहूर था. क्योंकि इस किस्म से किसान और शुगर मिलों को अच्छा फायदा होता था. इस कारण किसानों ने जरूरत से ज्यादा इसकी खेती की. नतीजा यह हुआ कि co 0238 गन्ने की खेती ज्यादा होने के कारण इसकी अच्छी कीमत मिलना बंद हो गई.
इसके साथ ही इस किस्म में लाल सड़न रोग (Red Rot Disease) फ़ैल गया और किसानों को भारी नुकसान हुआ. इस स्थिति को देखते हुए गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने तीन नई किस्में तैयार कीं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये किस्में फिलहाल रोगमुक्त हैं.
इन राज्यों में होती है गन्ने की खेती (Sugarcane is cultivated in these states)
गन्ना खेती को पांच जोन में बांटा गया है. इसमें शामिल हैं नॉर्थ वेस्ट जोन, नॉर्थ सेंट्रल ज़ोन, नॉर्थ ईस्टर्न जोन, पेनिनसुलर जोन और कोस्टल ज़ोन.
इन सभी जोन में गन्ने की सबसे अधिक पैदावार अर्ध उष्ण्कटिबंधीय क्षेत्र में होती है. बताया जाता है कि भारत में गन्नेअ की खेती का 55 प्रतिशत से भी हिस्सा उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब से आता है. जबकि बाकी हिस्सा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, गोवा, पुडुचेरी से आता है.
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