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तिल की खेती में करें कांके सफ़ेद किस्म की बुवाई, होगी बंपर पैदावार

अगर आप खेती-किसानी करते हैं और इस बार खरीफ के सीजन में तिल लगाने की सोच रहे हैं तो तिल की नई किस्मों और उसकी खेती करने की प्रक्रिया के बारे में जरूर जान लीजिए..

देवेश शर्मा
This variety of Til will give you more production in less time
This variety of Til will give you more production in less time

देश में अभी खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. ऐसे में कुछ लोग बाजरा लगाते हैं, कुछ मक्का तो कुछ तिल भी लगाते हैं, इसलिए खरीफ सीजन में मदद करने के लिए उन्हें इस लेख के माध्यम से तिल की ऐसी किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें लागत कम आती है और उत्पादन ज़्यादा होता है.

तिल की नई किस्म और उसकी खेती करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:

तिल की नई किस्म कांके सफ़ेद क्या है

भारत में तिल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों की ओर से बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. इसके तहत कई प्रकार की नई किस्मों को और नई तकनीक का विकास किया जा रहा है. अभी हाल ही में झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कांके सफेद  नाम की एक किस्म विकसित की गई है जिसकी खेती किसान गरमा और खरीफ दोनों सीजन में कर सकते हैं. इसके संबंध में  तिलहन फसल विशेषज्ञ डॉ. सोहन राम ने बताया है कि कांके सफेद किस्म अन्य दूसरी किस्मों से ज़्यादा उत्पादन दे सकती है

कांके सफ़ेद की ख़ासियत और इसके लाभ

  • तिल की यह कांके सफेद नामक तैयार की गयी किस्म 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

  • इसकी उत्पादन क्षमता 4 से 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बताई गयी है.

  • तेल की मात्रा इस किस्म में 42 से 45 प्रतिशत तक होती है.

  • यह कम पानी में भी आसानी से जीवित रह जाती है.

ज़्यादा उपज लेने के लिए करें इस प्रकार से खेती

  • सबसे पहले तिल की बुवाई बारिश शुरू होने के बाद जून मध्य से जुलाई महीने के अंत तक की जा सकती है.

  • तिल की बुवाई करते समय यह ध्यान रखें कि एक हेक्टेयर में बुआई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज की ही जरुरत होती है.

  • बुवाई करते समय में कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

  • बुवाई होने के साथ हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए ताकि ज़मीन में नामी बनी रहे और बेहतर बीज अच्छे तरीके से अंकुरित हो सके.

  • बुवाई के समय 52 किलो ग्राम यूरिया, 88 किलो ग्राम डीएपी और 35 किलो ग्राम म्यूरिएट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए.

  • खरपतवार नियंत्रित करने के लिए पहली निकाई और गुड़ाई 15 से 20 दिन के भीतर करनी चाहिए और दूसरी 30 से 35 दिन के भीतर होनी चाहिए.

तिल की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

हमारे देश में तिल की खेती मुख रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलांगाना में की जाती है. इनमें से सबसे अधिक तिल का उत्पादन उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किया जाता है. 

English Summary: This variety of til will give you more production in less time Published on: 12 July 2022, 05:59 PM IST

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