आलू की फसल किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि आलू की सब्जी का उपयोग लगभग सभी घरों में किया जाता है. इसलिए आलू को सब्जियों का राजा भी कहा गया है. भारत के दक्षिण हिस्से को छोड़कर देश के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है.
इस कड़ी में आलू की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए एक बेहद ही अच्छी खबर है. दरअसल, तिरुवनंतपुरम में स्थिति सीटीसीआरआई ने आलू की ऐसी नई किस्म विकसित की है, जिससे किसान भाइयों को अधिक मुनाफा होगा. बता दें आलू की ये नई किस्में कसावा और चाइनीज हैं. किसानों के लिए इस किस्म की खेती करना काफी फायदेमंद साबित होगा. आइये जानते हैं इस किस्म की क्या है खासियत.
इस किस्म की खासियत (characteristic Of This variety)
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ये किस्म कीट प्रतिरोधी है
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रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए किसानों को रासायनिक दवा का छिडकाव नहीं करना होगा.
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इसमें कम लागत है.
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इसकी खेती से किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा
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यह किस्म गुणवत्ता से भरपूर है.
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ये आकार में बड़ा होता है.
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बाज़ार में इसकी कीमत अच्छी मिलती है.
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यह अन्य किस्मों की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा पैदावार होता है.
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कई जगह प्रशिक्षण किया गया (Training Has Been Done In Many Places)
तिरुवनंतपुरम में स्थिति सीटीसीआरआई में आलू की दोनों किस्म विकसित की गई है. इन दोनों किस्मों का कुछ किसानों के खेत पर प्रशिक्षण भी किया गया है. दोनों प्रयोगों में इन दो नई किस्मों की उच्च उपज क्षमता देखने को मिली है. इसके सफल प्रयोग को देखकर किसान अब अपने खेतों में इन कंद फसलों की खेती का विकल्प चुन रहे हैं साथ ही कसावा की श्री रक्षा किस्म की खेती के लिए बीज और अन्य रोपण सामग्री की मांग के साथ संस्थान आ रहे हैं. सीटीसीआरआई ने दर्जन भर किसानों को बीज, रोपण सामग्री और अनुकूल उर्वरक वितरित किए हैं.
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