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नारियल की उन्नत खेती कैसे करें?

नारियल का पौधा सबसे लम्बे समय तक फल देने वाला पौधा होता है. नारियल का पौधा 80 साल का होने के बाद भी हरा भरा रहता है. नारियल के फल का उपयोग हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता हैं. नारियल के पौधे को स्वर्ग का पौधा भी कहते हैं. इस पौध की लम्बाई 10 मीटर से भी ज्यादा होती है. वहीं, इसका तना पत्ती और शाखा रहित होता है.

स्वाति राव
Coconut Farming
Coconut Farming

नारियल का पौधा सबसे लम्बे समय तक फल देने वाला पौधा होता है. नारियल का  पौधा 80 साल का होने के बाद भी हरा भरा रहता है. नारियल के फल का उपयोग  हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता हैं. नारियल के पौधे को स्वर्ग का पौधा भी कहते हैं. इस पौध की लम्बाई 10 मीटर से भी ज्यादा होती है. वहीं, इसका तना पत्ती और शाखा रहित होता है.

कच्चे नारियल का इस्तेमाल नारियल के पानी के रूप में होता है. और कच्चे नारियल के गुदें को खाया जाता है. नारियल के पेड़ का प्रत्येक हिस्सा किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है. नारियल एक ऐसा फल है, जिससे आप अधिक कमाई कर सकते हैं. अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं, तो आइये आपको बताते हैं नारियल की खेती की जानकारी-

नारियल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil Suitable For Coconut Cultivation)

नारियल की खेती के लिए दोमट बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है. इसके साथ ही नारियल की खेती के लिए खेत में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए. नारियल की खेती के लिए जमीन का पी.एच.मान 5.2 से 8.8 तक होना चाहिए.

नारियल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (Suitable Climate And Temperature For Coconut Cultivation)

नारियल के पौधों की अच्छी वृद्धि एवं फलन के लिए उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु आवश्यक है, लेकिन जिन क्षेत्रों में निम्नतम तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तथा अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक लम्बी अवधि तक नहीं रहता हो उन क्षेत्रों में भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.

नारियल की खेती के लिए खाद एवं रासायनिक उर्वरक (Manure And Chemical Fertilizers For Coconut Cultivation)

नारियल की खेती के लिए लंबी अवधि तक अधिक उत्पादन के लिए अनुशंसित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का नियमित प्रयोग जरुरी होता है. बड़े नारियल के पौधों में हर साल प्रथम वर्षा के समय जून के माह में 30-40 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा, उचित मात्रा में यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करना चाहिए.

नारियल की खेती के लिए उपयुक्त सिंचाई (Suitable Irrigation For Coconut Cultivation)

नारियल की पौध में सिंचाई ड्रिप विधि से की जाती है, क्योंकि ड्रिप सिंचाई विधि के माध्यम से पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता रहता है. जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है और पैदावार में भी फर्क देखने को मिलता है. गर्मी के मौसम में पौधे को तीन दिन के अंतराल में ज़रुर पानी देना चाहिए. जबकि सर्दी के मौसम में सप्ताह में इसकी एक सिंचाई काफी होती है.

नारियल फलों की तुड़ाई (Coconut Fruit Plucking)

नारियल फल का रांग जब हरा हो जाता है तब इसकी तुडाई की जाती है. इसके फल को पकने में 15  महीने से ज्यादा समय लगता है. इसके फल  की तुडाई फल के पूरी तराह पकने के बाद ही की जाती है. 

नारियल फल का उत्पादन  (Coconut Fruit Production)

नारियल की पौध से फलों का उत्पादन उनकी अलग - अलग किस्मों के आधार पर होता है. जिसमें बौनी प्रजाति के पौधे ज्यादा उत्पादन देते हैं,  क्योंकि इस प्रकार की किस्म में फल 3 साल के बाद ही लगने शुरू हो जाते हैं. जबकि बाकी प्रजातियों पर 8 साल तक फल लगने शुरू होते हैं.

नारियल की किस्में (Coconut Varieties)

नारियल की किस्मों को दो वर्गों में बांटा गया है.  लम्बी किस्में एवं बौनी किस्में-

  • लम्बी पौधे वाली किस्में - इस किस्म की पौध में फल 7 – 8 वर्षों में लगने लगते हैं. इसमें पाई जाने वाली गारी में तेल की मात्रा अधिक होती है.

  • बौनी किस्में - इस किस्म की पौध में फल 4- 5 वर्ष में ही आने लगते हैं. नारियल पानी के लिए ये किस्में अधिक उत्तम मानी जाती है.

ऐसी ही खेती बाड़ी से सम्बंधित जानकारी जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.

English Summary: how to do advanced cultivation of coconut Published on: 28 August 2021, 07:18 PM IST

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