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शिमला मिर्च की ये उन्नत किस्में देंगी दोगुनी पैदावार

आजकल बाजार में अलग-अलग रंगों की शिमला मिर्च की काफी डिमांड है. यह अच्छे दामों में बिकती हैं. ऐसे में कई प्रदेशों के किसान शिमला मिर्च की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. शिमला मिर्च के अच्छे उत्पादन के लिए अच्छी किस्मों का उपयोग जरूरी है.

राशि श्रीवास्तव
शिमला मिर्च की ये उन्नत किस्में देंगी दोगुनी पैदावार
शिमला मिर्च की ये उन्नत किस्में देंगी दोगुनी पैदावार

आजकल बाजार में अलग-अलग रंगों की शिमला मिर्च की काफी डिमांड है. यह अच्छे दामों में बिकती हैं. ऐसे में कई प्रदेशों के किसान शिमला मिर्च की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. शिमला मिर्च के अच्छे उत्पादन के लिए अच्छी किस्मों का उपयोग जरुरी है. आज के इस लेख में हम आपको शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जो अच्छी मात्रा में पैदावार देती हैं. 

शिमला मिर्च मुख्य तौर पर 3 प्रकार की होती है लाल, हरी और पीली. लेकिन आजकल बाजारों में बैंगनी, संतरी, भूरी रंग की शिमला मिर्च की किस्में भी उपलब्ध हैं. शिमला मिर्च की खेती एक साल में 3 बार की जा सकती है. पहली बुवाई जून से जुलाई के बीच, दूसरी बुवाई अगस्त से सितंबर और तीसरी बुवाई नवंबर से दिसंबर के महीने तक की जाती है. शिमला मिर्च की खेती खुले खेत और पॉलीहाउस में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए ज्यादा बिकने वाली किस्मों का चुनाव करें.

शिमला मिर्च की उन्नत किस्में इस प्रकार हैं

ओरोबेल: यह किस्म ठंगे मौसम के लिए अच्छी होती है. इसकी खेती ग्रीन हाउस या खुले खेत, दोनों में की जा सकती है. यह पीले रंग की किस्म है जो कि कई रोगों के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म की मिर्च का वजन करीब 130 से 150 ग्राम तक का होता है.  

सोलन हाइब्रिड 2:  यह सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है. यह सड़न रोग व जीवाण जनित रोग प्रतिरोधी है. इस किस्म की फसल रोपाई के करीब 60 से 65 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती हैं. इस किस्म से 130 से 150 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार आसानी से प्राप्त हो सकती है. 

इन्द्रा: यह किस्म भी अच्छी पैदावार देती है. इससे प्रति एकड़ 110 क्विंटल तक पैदावार मिलती है. इसके पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं. इसकी मिर्च का वजन 100 से 150 ग्राम होता है. मिर्च मोटी व गुदे वाली होती है.  

बॉम्बेः यह लाल रंग वाली शिमला मिर्च की किस्म है. इसकी प्रति मिर्च का वजन 125 से 150 ग्राम का होता है. कच्ची मिर्च हरे रंग की होती है, पकने पर लाल हो जाती है. इसके सही विकास के लिए इसकी खेती छांव वाले स्थान पर की जाती है. 

पूसा दीप्ती शिमला मिर्च: यह पौधा मध्यम आकार का होता है. इसका रंग हल्का हरा होता है, जो बाद में लाल हो जाता है. यह हाईब्रिड किस्म का पौधा है. पौधे की रोपाई के 70 से 75 दिनों के बाद मिर्च पकने लगती है एवं तुड़ाई के लिए भी तैयार हो जाती है. 

कैलिफोर्निया वन्डर: यह विदेशी किस्म है, जो अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है. इससे प्रति हेक्टेयर 125 से 150 क्विंटल तक पैदावार मिलती है. इसके पौधे रोपाई के 75 दिन बाद पैदावार देने लगते हैं. यह चमकीले हरे रंग की होती हैं.

ये भी पढ़ें: अप्रैल में ऐसे करें शिमला मिर्च की खेती, मिलेगा बेहतर उपज

इसके अलावा भारत, ग्रीन गोल्ड, सोलन हाइब्रिड 1, यलो वंडर, कैलिफोर्निया वंडर, अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, हरी रानी, किंग ऑफ नार्थ, आदि शिमला मिर्च की उन्नत किस्में हैं.

English Summary: These improved varieties of capsicum will double the yield Published on: 22 December 2022, 04:59 PM IST

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