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हाइड्रोपोनिक्स बनाम एरोपोनिक्स खेती

हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स खेती करने का नया वैज्ञानिक तरीका है. खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती मांग के चलते वैज्ञानिकों ने इस नई विधि का ईजाद किया है

रवींद्र यादव
हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स खेती
हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स खेती

क्या है एयरोपोनिक्स 

एयरोपोनिक्स खेती का एक वर्तमान तरीका है., जिसमें पौधों को कोहरे और हवा के वातावरण के अनुरूप उगाया जाता है. इसमें पौधौं को उगाने के लिए पानी, मिट्टी और सूर्य के प्रकाश की आवश्कता बिल्कुल ही नहीं होती है. इस तकनीकी में छोटे-छोटे पौधों को बॉक्स में रखकर लटका दिया जाता हैं और फिर हर एक बॉक्स में पौधौं में पोषक तत्व, खाद और पानी डाल दिया जाता है, जिससे इनकी जड़ों में नमी बरकार रहे.

खेती करने का तरीका 

यह विधि सब्जियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है. ऐसे पौधों की जड़ें ऑक्सीजन और नमी की सर्वोत्तम स्थिति में अपना खाना बनाने में सक्षम रहती हैं. इस तकनीक में पौधों के लिए जरूरी तापमान और आद्रता की स्थिति नियंत्रित कर पौधों को उगाया जाता है. एरोपोनिक्स तकनीक से किसान हर प्रकार की सब्जियों में पोषक तत्व आसानी से सम्मिलित कर सकते हैं. आपको बता दें कि इस तकनीक में परंपरागत खेती की तुलना में पानी की बचत के साथ-साथ उर्वरक का उपयोग भी कम करना पड़ता है, जिसस किसान भाइयों की बचत भी होती है.

इस खेती पर किए गए एक शोध के अनुसार, अगर आप पारंपरिक रूप से 1 किलो टमाटर का उत्पादन करते हैं तो इसके लिए आपको लगभग 200 से 300 लीटर पानी की जरूरत होती है. इसकी तुलना में एरोपोनिक्स खेती में समान उत्पादन के लिए पानी की खपत बस 15 से 20 लीटर तक ही होती है.

क्या है हाइड्रोपोनिक्स

हाइड्रोपोनिक्स खेती का एक वर्तमान तरीका है. इसमें खनिज, उर्वरक आदि को पानी में मिलाकर मिट्टी के बिना पौधों की खेती की जाती है. इस प्रक्रिया में पौधे की जड़ें हमेशा पानी में रहती हैं और इस पौष्टिक तरल के संपर्क के जरिए अपने खाने का निर्माण करती हैं. हाइड्रोपोनिक तकनीक में उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्व जैसे की मछली का मलमूत्र, बत्तख की खाद, रासायनिक उर्वरक और वर्मी कम्पोस्ट आदि शामिल रहते हैं. 

खेती करने का तरीका

हाइड्रोपोनिक तकनीक में छेदों वाली पाइप का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पौधे की जड़े पाइप के अंदर होती हैं, जिसके जरिए पाइप में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के तनों के द्वारा उसके हर भाग तक पहुंचाया जाता है. इस तकनीक में फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्निशियम, कैलशियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन जैसे पोषक तत्वों तथा खनिज पदार्थों को एक संतुलित मात्रा में मिलाया जाता है. आपको बता दें कि इस मिश्रण को एक निर्धारित समय पर ही पौधों को दिया जाता है, जिससे पौधों को सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलते रहें.

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वर्तमान समय में इस तकनीक का इस्तेमाल केवल छोटे पौधों की खेती के लिए ही किया जाता है. हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाए जाने वाले पौधे मुख्यत: टमाटर, मिर्च, खीरे, स्ट्रॉबेरी, बैंगन, शिमला मिर्च, मटर, मिर्च, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी,गाजर, शलजम, ककड़ी, मूली, आलू आदि तरह के पौधे शामिल हैं.

English Summary: hydroponics vs aeroponics farming Published on: 23 December 2022, 04:56 PM IST

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