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दीमक का प्रकोप किसानों के लिए बन रहा खतरा, रसायनिक तथा घरेलू तरीकों से करें रोकथाम

भारत में लगभग 45% से ज्यादा फसलों को दीमक नष्ट कर देती है. दीमक जमीन में सुरंग बनाने में सिद्धहस्त होती है. यह पौधों की जड़ों ही नहीं तनों को भी नुकसान पहुंचाती है.

डॉ. अलका जैन
दीमक का प्रकोप किसानों के लिए बन रहा खतरा
दीमक का प्रकोप किसानों के लिए बन रहा खतरा

दीमक हमारी खेती की एक बहुत बड़ी बीमारी है. यह किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर देती है. जिस पौधे में यह लग जाती है उसे बचा पाना किसानों के लिए बहुत मुश्किल होता है. खेती को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में सबसे ज्यादा खतरनाक दीमक   है.

चाहे घर का फर्नीचर हो, बगीचे के पौधे हों या हमारे खेत खलिहान, दीमक हर जगह धावा बोल देता है.

क्या है दीमक (what is termite)

दीमक चींटी की तरह दिखने वाले या उससे भी छोटे कीट होते हैं जो घर में लकड़ी से निर्मित वस्तुओं, दीवारों तक को जर्जर कर डालता है और घर के बाहर हमारे बाग बगीचों और खेतों पर हमला बोल देता है. यूं तो दीमक किसी भी मौसम में लग जाता है लेकिन बरसात का नमी वाला मौसम दीमक के लिए अनुकूल है.

दीमकों की भी होती हैं बस्तियां 

दीमक हमारे बीच कोई आज या कल की बात नहीं है यह 20 से 30 लाख वर्ष पुराना कीट है. चीटियों की तरह इनकी भी बस्तियां होती है यह प्राय गर्म और शीतोष्ण क्षेत्रों में ज्यादा पनपती हैं. चीटियों की तरह इनकी भी बस्तियां होती है और इनकी बस्तियों को termitarium कहा जाता है. आप सोच रहे होंगे कि यह बस्तियां बनाते कैसे हैं. दीमक हल्की गीली और नमी वाली मिट्टी में अपनी लार को मिलाकर बस्तियों का निर्माण करते हैं.

दीमक की लार में जो द्रव्य पाया जाता है वह जब मिट्टी के साथ मिल जाता है और उस पर धूप पड़ती है तो यह कठोर हो जाता है. दीमक की बस्तियों की ऊंचाई 2 फुट से लेकर 10 मिनट तक हो सकती है. 

चीटियों की तरह ही दीमक को भी राजा, रानी, श्रमिक और सैनिक दीमक में बांटा गया है और जो हानि हमारे घरों, बाग- बगीचों और खेत खलिहानों को पहुंचाई जाती है, उसके लिए श्रमिक दिमाग को ही उत्तरदाई माना जाता है.

दीमक से छुटकारा पाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि जब भी तब जब यह एक बार लग जाती है तो बहुत सारा नुकसान कर चुकी होती है. दीमक को भगाने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों ही तरीके अपनाए जाते हैं.

पेड़-पौधों को दीमक से बचानें के रासायनिक तरीके 

पौधों को दीमक से छुटकारा दिलाने के लिए बहुत जरूरी है कि मिट्टी को संभाला जाए. मिट्टी में यदि दीमक के संक्रमण को रोक दिया जाए तो यह पेड़-पौधों तक नहीं पहुंचेगा. वर्षा ऋतु में जब नए संक्रमण की शुरुआत होती है तब पौधों, फसलों बगीचों और घर के फर्नीचरों के लिए क्लोरपीरिफॉस का उपयोग करना चाहिए क्योंकि यह लंबे समय तक असर दिखाने वाला कीटनाशक है। इसे कुल 19 लीटर पानी में 1 लीटर मिलाया जाता है.

लिंडेन 20% ईसी (Lindane 20% EC) की एक लीटर मात्रा को 19 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में छिड़काव किया जाता है. इमिडाक्लोप्रिड 30.5% एससी की  10.5 मिली लीटर मात्रा को 5 लीटर पानी में मिलाकर पेड़ पौधों की जड़ों में छिड़काव किया जाता है. यह इस तरह का कीटनाशक है जिसका अनुमान दिमाग लगा ही नहीं पाती और चकमा खा जाती है.

ऑररसैनिकडाइऑक्साइड जिसे वाइट ऑरसैनिक भी कहा जाता है, यह भी एक गंधहीन और स्वादहीन सफेद रंग का रसायनिक पाउडर है जो पानी में घुल जाता है. इसका छिड़काव दीमक नियंत्रण के लिए किया जाता है. पर्मेथ्रिन (Permethrin) का प्रयोग भूमिगत दीमक के नियंत्रण के लिए किया जाता है.

 दीमक से बचाव के प्राकृतिक तरीके

पेड़ पौधों को दीमक से बचानें के प्राकृतिक तरीके भी बहुत चलन में है. इसके लिए सूत्रकृमि का उपयोग किया जा सकता है. परजीवी कीड़ों को भी दीमक की कॉलोनियों को नष्ट करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. परजीवी निमेटोड को दीमक बहुत पसंद होती है और यह आसपास की दुकानों में आसानी से मिल जाता है. इसे ऑनलाइन भी ऑर्डर किया जा सकता है. नेमाटोड लगातार प्रजनन करते हैं और दीमक को तब तक खाते हैं, जब तक कि पूरी कॉलोनियां समाप्त नहीं हो जातीं है.

गीले गत्ते का जाल बना कर भी दीमक को नष्ट किया जा सकता है. खेतों की गीली घास हटाकर भी इसके संक्रमण को खत्म किया जा सकता है क्योंकि दीमक को नमी बहुत पसंद होती है, यदि उसे नमी नहीं मिलेगी तो पनपने का ज्यादा अवसर भी नहीं मिलेगा. खेतों से समय-समय पर दीमक वाली मिट्टी को हटाते रहें ताकि उसे अधिक पनपने का अवसर न मिले.

इसके अलावा प्राकृतिक कीटनाशकों के रूप में पुदीने और लहसुन का उपयोग भी किया जा सकता है. हमारे किसान भाई दीमक नियंत्रण के लिए रासायनिक और प्राकृतिक तरीके अपना सकते हैं और अपने खेतों को दीमक से बचा सकते हैं.

English Summary: termites problems in crops are becoming threat for farmers Published on: 25 May 2022, 11:21 PM IST

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