अरबी भारत में होने वाली एक मुख्य फसल है, जिसे घुईया, कुचई आदि नामों से भी जाना जाता है. इसकी खेती के लिए खरीफ मौसम सबसे उपयुक्त है. मुख्य तौर पर इसका उपयोग घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है. वहीं इसकी पत्तियों को भी भाजी और पकौड़ों आदि के रूप में सेवन किया जाता है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.
जलवायु
अरबी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है. इसकी खेती ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में आराम से हो सकती है. हमारे देश में उत्तर भारत की जलवायु इसके लिए उपयुक्त मानी गई है.
भूमि की तैयारी
अरबी के लिए रेतीली दोमट भूमि सबसे बढ़िया है. खेती से पहले भूमि की तैयारी जरूरी है. दो से तीन बार मिट्टी पलटने वाले हल और उसके बाद देशी हल से जुताई करें. बिजाई से पहले खेत की तैयारी करते वक्त गोबर की सड़ी खाद का उपयोग कर सकते हैं. इसे बुवाई के 15-20 दिन पहले खेतों में मिलाएं.
बुवाई का समय
खरीफ के मौसम में जून से मध्य जुलाई में इसकी खेती कर सकते हैं. खेती के लिए मेड़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सें.मी. की दूरी पर कंदों की बुवाई करें. बुवाई के बाद कंद को मिट्टी में ढक देना बेहतर है.
सिंचाई
गर्मियों के समय 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. बरसात के समय सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. अरबी को नियमित अंकुरण के लिए स्थिर सिंचाई की जरूरत होती है.
कटाई
अरबी की कटाई पत्तों के पीले पड़ने पर बिजाई के बाद की जाती है. इसकी कटाई के लिए तेजधार औज़ारों का उपयोग करें. कटाई के बाद ठंडी और शुष्क जगह पर इसको स्टोर किया जा सकता है.
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