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ठंड के मौसम में पशुओं का चारा प्रबंधन और होने वाले रोग नियंत्रण करने का तरीका

अक्टूबर-नवंबर आते-आते भारत के कई राज्यों में ठंड का दस्तक हो जाता है. बदलते मौसम में यह पता नहीं चलता है की पशु को कैसे वातावरण के अनुकूल ढालें.

प्राची वत्स
Animal Farm
Animal Farm

अक्टूबर-नवंबर आते-आते भारत के कई राज्यों में ठंड  का दस्तक हो जाता है. बदलते मौसम में यह पता नहीं चलता है की पशु को कैसे वातावरण के अनुकूल ढालें. तुरंत गर्मी तो वहीं अगले ही क्षण ठंढक महसूस होने लगती है.

ऐसे में हर किसी के लिए जरुरी है कि स्वास्थ का विशेष ख्याल कैसे रखा जाए. फिर वो मनुष्य हो या जानवर. वहीँ, देश के अलग-अलग राज्यों में ठंड  की शुरुआत हो चुकी है. बदलते मौसम के साथ पशुओं के भी बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है.

ठंड के मौसम में पशुपालकों को यह चिंता लगी रहती है और उनके लिए जिम्मेदारी बढ़ जाती है की वो विशेष ध्यान दें. इस समय पशुओं की उचित देखभाल नहीं करने पर उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर तो होता ही है. इसके साथ ही पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता में भी कमी आ जाती है. इसलिए जरुरी है की ठंड  आते ही पशुओं का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाए. अधिकतर किसानों को यह पता नहीं चल पता की पशुओं को जब ठंड  लगती है तो इसके शुरूआती लक्षण क्या होते हैं.

पशुओं में ठंड लगने के लक्षण मनुष्यों के लक्षण से काफी मिलते जुलते होते हैं. इसलिए अगर आप ध्यान से उन्हें उस दौरान देखेंगे तो आपको पता लगाना आसान होगा. ठंड लगने पर पशुओं के नाक एवं आंखों से पानी आने लगता है, भूख में कमी आती है और शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं. ऐसे में जरुरी है की हम पशुओं के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें. जिसके तहत  पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुओं को जूट के बोरे पहनाएं. जिससे उन्हें ठंड  कम लगे और वो खुद को ठंड  से बचा कर रख सकें.

  • इस मौसम में पशुओं को संतुलित आहार दें. ठंड में पाचन क्रिया उतनी अच्छी नहीं होती जिस वजह से पशुओं का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है.

  • पशुओं के आहार में हरा चारा एवं मुख्य चारा को 1:3 के अनुपात में मिलाकर खिलाएं.

  • ठंड के मौसम में पशुओं को ठंडा चारा ना दें. अधिकतर किसान जो अपने खेतों में साग और सब्जियां उगाते हैं वे अक्सर गोभी और मूली के पत्ते पशुओं को चारे के तौर पर देते हैं. ऐसा करने से आपके पशु बीमार हो सकते हैं. इसलिए जरुरी है की उसमे मिलावट कर पशुओं को खिलाया जाए.

  • पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं.

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  • पशुओं के रहने की व्यवस्था दिन में खुले स्थानों में रखें. जिससे उन्हें धूप मिलती रहे.

  • पशु आवास की खिड़कियों पर बोरे लगाएं. इससे पशुओं का ठंड हवाओं से बचाव होता है.

  • वातावरण में नमी होने के कारण पशुओं में खुरपका, मुंहपका तथा गलाघोंटू रोग होने की समस्या बढ़ जाती है. पशुओं को इस रोगों से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण कराएं.

  • ठंड के मौसम में अक्सर पशुओं में दस्त की शिकायत होती है. पशुओं को दस्त होने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें.

  • सर्दियों में दुधारू पशुओं को उर्जा प्रदान करने के लिए समय-समय पर शीरा अथवा गुड़ अवश्य खिलाते रहना चाहिए. इस मौसम में गाय-भैंस के बच्चों और बकरियों को 30 से 60 ग्राम गुड़ जरूर खाने को देना चाहिए. बकरियों को 50 ग्राम और बड़े पशुओं को 200 ग्राम तक मेथी सर्दियों में प्रतिदिन खिलाने से जाड़े से बचाव होता है और साथ ही दूध उत्पादन भी अच्छा होता है. बकरियों को अधिक हरे चारे की जगह नीम, पीपल, जामुन, बरगद, बबूल आदि की पत्तियां खिलाना चाहिए. सर्दियों में दुधारू पशुओं को चारा-दाना खिलाने, पानी पिलाने व दूध दोहन का एक ही समय रखें. अचानक बदलाव करने से दूध उत्पादन प्रभावित हो सकता है.

English Summary: Take care of animals in winter, profit will increase income Published on: 26 November 2021, 02:49 PM IST

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