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ऐसे करें तगर की उन्नत खेती, होगी बंपर कमाई

तगर एक खुशबूदार जड़ी बूटी है, जिसकी लम्बाई 50 सेमी. तक होती है. इसके प्रकंद 6 से 10 सेंटीमीटर मोटी होती है, लम्बी रेशेदार जड़ें गाँठदार असमानरूप से वृत्तों में फैली हुई होती है. पौधे को नमी वाली दोमट मिट्टी के साथ समशीतोष्ण जलवायु में 1200 मीटर से 3000 मीटर (समुन्द्र तल से ) की ऊंचाई में बोया जाता है.

मनीशा शर्मा

तगर एक खुशबूदार जड़ी बूटी है, जिसकी लम्बाई 50 सेमी. तक होती है. इसके प्रकंद 6 से 10 सेंटीमीटर मोटी होती है, लम्बी रेशेदार जड़ें गाँठदार असमानरूप से वृत्तों में फैली हुई होती है. पौधे को नमी वाली दोमट मिट्टी के साथ समशीतोष्ण जलवायु में 1200  मीटर से 3000 मीटर (समुन्द्र तल से ) की ऊंचाई में बोया जाता है.

रोपण सामग्री :

बीज, प्रकंद और जड़

प्रकंद के माध्यम से इस फसल को उगाने की सलाह दी जाती है.

नर्सरी विधि :

पौध तैयार करना

वर्षा ऋतु होने पर या अप्रैल - मई में 4 -5 सेमी. की गहराई में प्रकंदो को नर्सरी में प्रत्यारोपित किया जाता है.

पौध तैयार होने पर तीन महीने के भीतर इनकों प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए.

पौध दर और पूर्व उपचार :

एक हेक्टेयर भूमि के लिए 2.5 - 3.0 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है.

बीजों को किसी पूर्व उपचार की आवश्यकता नहीं होती है.

खेत में रोपण :

भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रयोग :

खेत को कम से कम तीन बार जोतकर समतल करने की सलाह दी जाती है.

यदि फसल प्रकंदों / जड़ों के माध्यम से उगाई जा रही है तो पहली बार जून में खेत की जुताई करनी चाहिए.

दूसरी जुताई से पहले जून - जुलाई में 25 -30 टन खाद को एक हेक्टेयर भूमि में समान रूप से मिलाया जाता है.

जुलाई के बाद 35 -40  टन  खाद एक हेक्टेयर भूमि में मिलाया जाना चाहिए.

पौधा रोपण और अनुकूलतम दूरी :

प्रकन्द को जुलाई से अक्टूबर में लगाया जाना चाहिए.

40 -50 सेंटी मीटर की पंक्ति में 20 -30 सेंटी मीटर की दूरी में पौध लगानी चाहिए.

अंतर फसल प्रणाली :

तगर को किवी, सेब आदि अन्य फसलों के साथ उगाया जा सकता है.

 खरपतवार नियंत्रण और रख रखाव पद्धतियाँ :

भूमि को समतल करने के समय प्रति हेक्टयर 10 -15 टन उर्वरक मिलाया जाता है.

25 -30 दिनों के अंतराल में हाथों से निराई की जानी चाहिए.

सिंचाई :

नये पौधों को स्थापित करने के लिए प्रतिदिन सिंचाई की आवश्यकता होती है.

फसल प्रबंधन :

फसल पकना और कटाई :

 जड़ों को दूसरों वर्ष में काटा जाता है, क्योंकि पहले वर्ष में पैदावार बहुत ही कम होती है.

सितंबर - अक्टूबर में जड़ों को खोदने और काटने का कार्य किया जाता है.

फसल पश्चात प्रबंधन :

प्रकंदों को साफ़ पानी से धोना चाहिए और छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए.

सूखे हुए प्रकंदों को गनी थैलों  में या बॉस की टोकरियां में भंडारित करना चाहिए.

पैदावार :

प्रथम वर्ष में एक हेक्टेयर  में 35 -40 क्विण्टल ताजी जड़ तथा 8 -10 क्विण्टल सूखी जड़ें  प्राप्त की जाती है.

English Summary: Tagara cultivation : In this way, improved cultivation of Tagara, you will get a bumper income Published on: 21 December 2019, 01:20 PM IST

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