Strawberry cultivation in march: स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है, जो दिखने के साथ-साथ स्वाद में भी लाजवाब होता है. इसकी खेती ठंडे जलवायु वाले क्षेत्र में की जाती है. हमारे देश भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती यूं तो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, हालांकि अब बदलते वक्त के साथ अन्य राज्यों में भी इसकी खेती की जा रही है. इसका पौधा कुछ ही दिनों में फल देने के लिए परिपक्व हो जाता है. अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़ फलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती की जानकारी देने जा रहे हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती कब की जाती है?
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त समय सितंबर से अक्टूबर के बीच का माना जाता है. मगर ठंडे जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी खेती फरवरी और मार्च में भी की जाती है. इसके अलावा पॉली हाउस और अन्य संरक्षित विधि से खेती करने वाले किसान इसकी बुवाई अन्य महीनों में भी करते हैं.
स्ट्रॉबेरी की किस्में
देखा जाए तो पूरी दुनिया में स्ट्रॉबेरी की 600 से अधिक किस्में मौजूद हैं. जिसमें से भारत में मुख्य रुप से ओफ्रा, स्वीड चार्ली, चांडलर, कमारोसा, फेयर फॉक्स और एलिस्ता किस्मों की खेती की जाती है.
स्ट्रॉबेरी की खेती के खेत की तैयारी
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को बारिक बनाया जाता है, जिसके बाद क्यारियां बनाईं जाती हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ध्यान रहे कि क्यारियों की उंचाई 15 सेंमी ऊंची होनी चाहिए. साथ ही पौधे से पौधे की दूरी और कतार से कतार की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए.
स्ट्रॉबेरी के पौधे रोपित करने के कुछ समय बाद इसमें फूल आने शुरू हो जाएंगे और इस समय आपको मंल्चिग विधि अपनानी चाहिए. मल्चिंग अपनाने से फसल में खरपतवार और फल सड़ने की संभावना बेहद कम रहती है और साथ ही पैदावार भी अच्छी होती है.
पर्वतीय इलाकों में स्ट्रॉबेरी की खेती
पहाड़ी राज्यों में जलवायु ठंडी होने के कारण स्ट्रॉबेरी की पैदावार काफी अच्छी होती है. लेकिन इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में बारिश होती रहती है, इसको देखते हुए किसानों को स्ट्रॉबेरी की फसल पर खासा ध्यान देना होता है. कृषि विशेषज्ञ बरसात के दौरान स्ट्रॉबेरी के पौधों को पॉलीथीन से ढकने की सलाह देते हैं, ताकि फसल सड़े गले नहीं. सिंचाई के लिए स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने के बाद खेत में स्प्रिकंलर या ड्रिप विधि से सिंचाई करनी चाहिए.
ये भी पढ़ेंः स्ट्रॉबेरी की खेती इस तकनीक से करें, होगी 12 लाख तक कमाई
स्ट्रॉबेरी की पैदावार
स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने के 1.5 महीने बाद इसमें फल आने शुरू हो जाते हैं. ध्यान रहे कि जब फल लाल हो जाएं तो इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए.
Share your comments