अधिकतर किसान धान और गेहूं की बुवाई श्री विधि से करते हैं, जिससे उन्हें फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त होता है. अगर किसान सरसों की बुवाई भी श्री विधि से करते हैं, तो उन्हें इस फसल से भी दोगुना उत्पादन प्राप्त हो सकता है. दरअसल सरसों अनुसंधान निदेशालय, राजस्थान के प्रधान वैज्ञानिक का कहना है कि किसान श्री विधि से सरसों की बुवाई करके अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
इस विधि से बुवाई करना एकदम मुश्किल भी नहीं होता है. ऐसे में किसान नवंबर में श्री विधि से सरसों की बुवाई कर सकते हैं. आइए किसान भाईयों को श्री विधि से सरसों की बुवाई करने का तरीका बताते हैं.
सरसों के बीज का चुनाव (Mustard seed selection)
श्री विधि से सरसों की बुवाई करने में कोई खास किस्म के बीज की आवश्यकता नहीं होती है. किसान अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित बीज का चुनाव कर सकते हैं. ध्यान रहे कि पुराने बीज की जगह नए बीज का प्रयोग करें.
सरसों के बीज की मात्रा (Mustard seeds quantity)
फसल की अवधि पर बीज की मात्रा निर्भर करती है. अगर अधिक दिनों की किस्म है, तो बीज की मात्रा कम लगती है. अगर कम दिनों की किस्म है, तो बीज की मात्रा अधिक लगती है.
सरसों के बीज का उपचार (Mustard seed treatment)
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बीज की मात्रा के हिसाब से दोगुना पानी लें.
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इसके बाद पानी गुनगुना कर लें और बीज को पानी में डालकर हल्के और ऊपर तैर रहे बीजों कों बाहर कर दें.
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अब गुनगुने पानी में बीज की मात्रा से आधी मात्रा में गोमूत्र, गुड़ और वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं और लगभग 6 से 8 घंटे के लिए छोड़ दें.
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बीज को तरल पदार्थ से अलग कर दें. इसके बाद 2 ग्राम बाविस्टीन या कार्बेण्डाजिम दवाई मिलाकर सूती कपड़ा में बांधकर पोटली बनाकर अंकुरित होने के लिए 12 से 18 घंटे के लिए रख दें.
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ध्यान रहे कि अंकुरित बीज को नर्सरी में 2 गुणा 2 इंच की दूरी में आधा इंच गहराई में डालना है.
सरसों की नर्सरी की तैयारी (Mustard nursery preparation)
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इसके लिए सब्जी वाले खेत का चुनाव करना चाहिए.
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फसल की अवधि के हिसाब से छोटा-बड़ा नर्सरी बेड बनाना चाहिए.
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जिस खेत में नर्सरी बेड तैयार करना है, उसमें नर्सरी के क्षेत्रफल के प्रति वर्ग मी. में 2 से 2.5 किग्रा. वर्मीकम्पोस्ट, 2 से 2.5 ग्राम कार्बोफ्यूरान मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं.
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नर्सरी बेड की चौड़ाई 1 मीटर और लम्बाई सुविधानुसार रखें.
ध्यान रहे कि नर्सरी बेड जमीन से 4 से 6 इंच ऊंचा होना चाहिए.
इसके अलावा 2 बेड के बीच 1 फिट की नाली बनानी चाहिए.
नर्सरी में बीज की बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होनी चाहिए.
अंकुरित बीज को 2 इंच कतार से कतार और 2 इंच बीज से बीज की दूरी पर डालना चाहिए, तो वहीं गहराई आधा इंच रखनी चाहिए.
नर्सरी बेड को बीज की बुवाई के बाद वर्मीकम्पोस्ट और पुआल से ढक दें.
अब सुबह- शाम झारी सिंचाई करें.
इस तरह 12 से 15 दिनों में रोपाई के लिए पौध तैयार हो जाएगी.
सरसों के खेत की तैयारी (Mustard field preparation)
खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.
अगर खेत सूखा गया है, तो सिंचाई करके जुताई करना चाहिए, साथ ही मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए.
खरपतवार को हाथ से ही निकाल देना चाहिए.
कतार से कतार और पौध से पौध से 6 इंच चौड़ा व 8 से 10 इंच गहरा गड्ढा कर लें.
इसे 2 से 3 दिनों के लिए छोड़ दें.
अब 1 एकड़ खेत के लिए लगभग 50 से 60 क्विटंल कम्पोस्ट खाद में 4 से 5 किग्रा. ट्राइकोडर्मा, 27 किग्रा. डीएपी, और 13.5 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश को अच्छी तरह मिलाएं और हर एक गड्ढे में डालकर एक दिन के लिए छोड़ दें.
बुवाई के लगभग 2 घंटे पहले नर्सरी में नमी बना लें और मिट्टी समेत पौध को नर्सरी बेड से निकालें.
इसक बाद लगभग आधे घंटे के अंदर गड्ढे में बुवाई कर दें.
बुवाई के 3 से 5 दिन तक खेत में नमी बनाकर रखें, जिससे पौधा अच्छी तरह से लग जाए.
सरसों की फसल की देखरेख (Mustard crop care)
बुवाई के लगभग 15 से 20 दिन के अंदर पहली सिंचाई कर देना चाहिए.
सिंचाई के 3 से 4 दिन बाद खेत में 3 से 4 क्विटंल वर्मी कम्पोस्ट में 13.5 किग्रा. यूरिया मिलाकर जड़ों के समीप देकर कुदाल या खुरपा या वीडर चला दें.
इसके बाद दूसरी सिंचाई सामान्यता पहली सिंचाई के 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए.
सिंचाई के पश्चात रोटरी वीडर/कोनीबीडर या कुदाल से खेत की गुड़ाई आवश्यक कर दें. इसके साथ ही आवश्यकतानुसार पौधे पर हल्की मिट्टी भी चढ़ा दें.
बुवाई के 35 दिन बाद सरसों फसल की देख रेख (Mustard crop after 35 days of sowing)
पौधों को अधिक नमी और पोषण की जरूरत होती है, इसलिए बुवाई के 35 दिन बाद तीसरी सिंचाई कर दें.
इसके बाद लगभग 13.5 किग्रा. यूरिया और 13.5 किग्रा. पोटाश को वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर जड़ों के पास डाल दें.
अब वीडर या कुदाल से अच्छी तरह जड़ों के ऊपर मिट्टी चढ़ा दें.
जिस तरह आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाते हैं, वैसे ही कतार से कतार 1 फीट ऊंची तक श्री विधि से सरसों की खेती में भी मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है.
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