फर्टिलाइजर के प्रयोग एवं भारी मशीनें (जैसे ट्रैक्टर रोटावेटर आदि) से की जा रही गहरी जुताई से मिट्टी में भीतर एक ठोस परत बनती जाती है। असल में वह मिट्टी को दो भागों में बांट देती है। एक वह जो हमें जुताई के बाद ऊपर से देख रही है और दूसरी वह जो उस परत के नीचे हैं जिसमें पुरानी जड़े और जीवाश्म आदि जैविक तत्व मौजूद है।
अब किसानों को यह सीख दी जाती है कि बीज को गहरा रोपे ताकि गहराई में मौजूद जैविक तत्वों को प्राप्त कर पायें लेकिन भीतर बन चुकी वह कठोर परत पौधों की जड़ों को गहराई में दबे जैविक तत्व तक पहुंचने नहीं देती। एक तो इसमें किसानों की दुगनी मेहनत और समय लगता है और दुसरा वह ठोस परत पौधों की जड़ों को दुसरी तरफ नहीं पहुंचने देती।
इसी के स्थान पर यदि सर्फेस कल्टीवेशन (सतह पर हल्के साधनों से की जाने वाली जुताई) की जाए तो इस समस्या का हल हो सकता है। मिट्टी में पुरानी दबी जड़े जब बैक्टीरिया/ फंगस द्वारा सड़ा दी जाती है तो इसके दो फायदे होते हैं। एक तो वहां कार्बन/ह्यूमस आदि जैविक तत्व उपस्थित होने के साथ-साथ बैक्टीरिया और फगंस की संख्या में वृद्धि होती है। दूसरा ने पौधों की जड़ों को तेजी से गहराई में जाने के लिए पहले से बना एक रास्ता मिल जाता है जो पौधों को मजबूत बनाता है।
ट्रैक्टर के प्रयोग से एक नुकसान यह भी है कि मिट्टी की सघनता बढ़ने से नीचे का पानी ऊपर या ऊपर का पानी नीचे नहीं जा पाता। जल किसी समतल तलाब की तरह खेत में फैलता है या बह जाता है। भूमि से पौधों को केवल वहीं जल मिल पाता है जो भूमि की ऊपरी सतह में है।
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घनत्व बढ़ने से पौधों की जड़ें बहुत गहराई तक नहीं पहुंच पाती कि वे स्वत: ही पौधे के लिए गहराई में जाकर जल ढोने का काम कर सके।
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रबीन्द्रनाथ चौबे कृषि मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश।
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