कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस माह में कौन - सा कृषि कार्य करें. क्योंकि मौसम कृषि कार्य को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो अलग- अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि सितंबर माह में किसान कौन -सा कृषि कार्य करें-
धान
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धान का भंडारण करते समय आद्रता स्टार 10 – 12 प्रतिशत से कम होना चाहिए.
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धान का भंडारण कक्ष और जुट के बोरों को विसंक्रमित करना चाहिए.
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धान भंडारण के समय कीड़ों के नियंत्रण के लिए फोस्टोक्सिन दावा का प्रयोग करें.
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कीड़ों से बचाव हेतु स्टॉक को तरपोलीन से ढ़क दें .
सरसों
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इस माह में सरसों की अगेती क़िस्मों जैसे पूसा सरसों – 25, पूसा सरसों - 28, पूसा सरसों – 27 एवं पूसा तारक की बुवाई करें.
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सरसों में सफेद रतुआ के बचाव हेतु मेटालैक्सिल (एप्रॉन 35 एस॰ डी॰ ) 6 ग्राम प्रति किग्रा॰ बीज दर से या बैविस्टीन 2 ग्राम / किग्रा॰ बीज दर से उपचारित करें.
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सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले 2.2 लिटर / हैक्टेयर फ्लूक्लोरोलिन का 600 – 800 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
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यदि बुवाई से पूर्व खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया है तो 3.3 लिटर पेंडीमिथालिन (30 ई सी ) को 600 – 800 पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन बाद छिड़काव बनाकर करें.
बागवानी कार्य
सब्जियां
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गोभी की पूसा सुक्ति, पूसा पौषजा प्रजातियों की नर्सरी तैयार करें.
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बंद गोभी – गोल्डेन एकर, पूसा कैबेज हाइब्रिड 1
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पालक – पूसा भारती की बुवाई आरंभ कर सकते है.
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बैगन की पौध पर 3 ग्राम मैंकोजेब + 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम लिटर की दर से छिड़काव करें.
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अगेती गाजर की पूसा वृष्टि किस्म की बुवाई करें.
• गाजर को स्क्केरोटिनियाविगलन से बचाव के लिए 15 ग्राम प्रति 3 लिटर पानी में घोल बनाकर मृदा को सींचें.
फल फसलें–
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वयस्क आम के पौधोंमें बची हुई उर्वरक की मात्रा (500 ग्राम नत्रजन, 250 ग्राम फास्फोरस, 500 ग्राम पोटाश) को मानसून की बारिश के पश्चात डाले.
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नींबू वर्गीय फलों में यदि डाईबे, स्केब तथा सूटी मोल्ड बीमारी का प्रकोप हो तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम / लीटर पानी ) का छिड़काव करे.
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कैंकर बीमारी की रोकथाम के लिए पौधों में स्ट्रेप्टोसाइक्लीन तथा कॉपर सल्फेट ( 5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन, 10 ग्राम कॉपर सल्फेट / 100 लीटर पानी में ) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लिटर पानी में डाले.
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