
Papaya ringspot disease: फलों की खेती से किसान कम वक्त में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. इसलिए तो इन दिनों किसान फलों की खेती की ओर ज्यादा रुख करने लगे हैं, क्योंकि फलों की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. इसी कड़ी में आज हम आपको पपीते की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
बता दें कि पिछले कुछ समय से किसानों की रुचि बागवानी की तरफ बढ़ी है. सरकार की तरफ से भी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें किसानों को सब्सिडी व अन्य सुविधाएं भी दी जाती है.
पपीता एक ऐसा फल है, जिसे डॉक्टर द्वारा भी खाने की सलाह दी जाती है. क्योंकि यह कई बीमारियों से लड़ने में बेहद कारगर है. इतना ही नहीं पपीते के पत्ते भी बीमारी में औषधि का काम करते हैं. पपीते की खेती के लिए अक्टूबर का महीना अनूकूल माना जाता है. पपीते के पौधे की यदि शुरू से ही देखभाल की जाए तो किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी.
अक्सर किसानों को पपीते की फसल में नुकसान झेलना पड़ता है, क्योंकि इसमें सबसे अधिक गलन की समस्या (Papaya Ring Spot) का सामना करना पड़ता है. इससे किसानों को बहुत बार बड़ा नुकसान झेलना पड़ता हैं. ऐसे में किसानों को पहले से ही इस बीमारी से निजात पाने की जरूरत है, नहीं तो पौधा सूख जायेगा. तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
कैसे पौधे को बीमारियों से बचाएं?
पपीते की पौधे को पपाया रिंग स्पॉट (Papaya Ring Spot) विषाणु रोग से मुक्त करने के लिए जरूरी है कि 2% नीम के तेल के साथ 0.5 मिली प्रति लीटर स्टीकर में मिलाकर रोपण के एक महीने से 8वें महीने तक छिड़काव करें.
यह भी पढ़ें: Mustard Crop Protection: सरसों के प्रमुख कीट और उनकी रोकथाम की सम्पूर्ण जानकारी
इसके साथ ही अच्छी क्वालिटी के पपीते के उत्पादन के लिए यूरिया @04 ग्राम, जिंक सल्फेट 04 ग्राम तथा घुलनशील बोरान 04 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल में 8 महीने कर छिड़काव करें. ऐसा करने से किसानों को पपीते की खेती में इस समस्या से छुटकारा मिलेगा और पैदावार अच्छी होगी.
Share your comments