भारत में कई औषधीय पौधे उगाए जाते हैं, जो कि देश के लगभग 60 से 80 प्रतिशत आबादी, विशेषकर ग्रामीण गरीबों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के स्रोत का निर्माण करते हैं, लेकिन इनका वितरण उपयोग की दृष्टि से समान नहीं है. कई क्षेत्रों में इन औषधियों की अधिकता है, तो कहीं दुर्लभ हैं.
मौजूदा समय में विश्व स्तर पर औषधियों पौधों (Medicinal Plants) की अहम हिस्सेदारी है. ऐसे में देश के किसान औषधीय पौधों की खेती (Medicinal Plants Cultivation) की तरफ रूख कर सकते हैं. आज हम इस लेख में अतीस की खेती (Atis Cultivation) के बारे में बताने जा रहे हैं.
अतीस की जड़ द्विवर्षीय होती हैं, तो वहीं तना सीधा, शाखाएं रहित या विरली एक या दो संख्या में होती हैं. इसकी पत्ती बिना डंठल वाली होती है और चिकनी और विविध प्रकार के आकार वाली होती हैं. इसके कंदों की लम्बाई 3 सेमी. होती है, जो कि शंकु के आकार में होती हैं.
उपयुक्त जलवायु (suitable climate)
अतीस की खेती (Atis Cultivation) वार्षिक होती है. मगर इस पौधे के लिए गर्मियों के महीनों में प्रचुर मात्रा में हवा, नम मिट्टी व खुली धूप वाले क्षेत्र अधिक उपयुक्त माने जाते हैं.
उपयुक्त मिट्टी (suitable soil)
इसकी खेती के लिए जैविक और रेतीली दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त मानी जाती है.
भूमि तैयार करना और उर्वरक का प्रयोग (Land preparation and fertilizer application)
अगर शीत मौसम है, तो खेतों की जुताई अच्छी तरह से करके भूमि को समतल बना लें. प्रत्यारोपण से 10 से 15 दिन पहले खाद को मिट्टी में मिला लें.
रोपण सामग्री (planting material)
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बीज
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कंद
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तना
पौध तैयार करना (planting seedlings)
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बीजों को मिट्टी और खाद (एफवाईएम) (1:2) में, 05 सेमी. की गहराई तक 2 सेमी. × 2 सेमी. की दूरी पर लगाया जाता है.
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बीजों को अक्टूबर-नवम्बर या फिर मार्च-अप्रैल में 1800 से 2200 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है. इसके अलावा फरवरी-मार्च में 600 से 1000 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है.
पौध दर (planting rate)
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1 हेक्टेयर भूमि के लिए लगभग 1.5 किलो बीज
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1 हेक्टेयर भूमि के लिए लगभग 1,11,000 कंद
पौधों के बीच अंतर (difference between plants)
मार्च-अप्रैल है, तो इस दौरान 30सेमी. × 30 सेमी. की दूरी पर बीजों/प्रजनकों को प्रत्यारोपित करें.
संवर्धन विधि (promotion method)
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बारिश के दौरान निराई हर हफ्ते आवश्यक होती है.
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बाकी अन्य मौसम में आवश्यकतानुसार निराई की जाती है.
सिंचाई (Irrigation)
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गर्मियों में सिंचाई जल्दी करना होता है.
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शुष्क मौसम में मिट्टी में नमी बनी रहे, इसके लिए सप्ताह में एक बार सिंचाई करना चाहिए.
फसल का पकना और कटाई (Crop harvest)
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प्राकृतिक रूप से फूल सितम्बर में आ जाते हैं, जबकि फल अक्टूबर से नवम्बर में पकते हैं.
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इसके बीजों के पकने के बाद अक्टूबर से नवम्बर में कंदों को मिट्टी से खोदकर बाहर निकालना चाहिए.
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फसल की कटाई नवम्बर के पहले सप्ताह में की करनी चाहिए.
फसल प्रबंधन (crop management)
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कंद को मिट्टी की खुदाई करके बाहर निकालें.
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कंद को आंशिक रुप से छायादार स्थान पर सूखाएं.
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सूखे कंदों के हिस्सों को लकड़ी के बक्सों या बंद हवा वाले पोलिथिन थैलों में रखें.
उत्पादन (Production)
अगर उन्नत तकनीक से अतीस की खेती की जाए, तो 1 हेक्टेयर से लगभग 518 किलोग्राम कंद प्राप्त किए जा सकते हैं.
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