खाने में बेहद स्वादिष्ट मशरूम कई पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन समेत कई औषधीय तत्व पाए जाते हैं. तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए आजकल मशरूम की खेती सालभर की जा रही है. व्यवसायिक रूप से बटन मशरूम की खेती बेहद फायदेमंद होती है. दुनियाभर में बटन मशरूम की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. यह खाने में टेस्टी व कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है.
बटन मशरूम की खेती के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसके लिए कम्पोस्ट तैयार करने की होती है. पारंपरिक तरीके से बटन मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार करने में अधिक श्रम, समय और पूंजी लगती है. मशरूम उत्पादन करने वाले किसानों की इन्हीं चुनौतियों को कम करने के मद्देनजर बिहार के समस्तीपुर स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पुसा) के कृषि वैज्ञानिकों ने, कम्पोस्ट तैयार करने की एक बेहद आसान और सरल तकनीक ईजाद की है. इस खास तकनीक को बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने की पाईप मैथड नाम दिया गया है. इस विधि से महज 15 दिनों में बटन मशरूम के लिए कम्पोस्ट तैयार की जा सकती है. तो आइए जानते हैं इस विधि से कैसे बटन मशरूम खाद तैयार की जाती है-
बटन मशरूम की कम्पोस्ट के लिए आवश्यक सामग्री (Ingredients for Button Mushroom Compost)
इस खास विधि से कम्पोस्ट तैयार करने के लिए 10 क्विंटल भूसा, 3 क्विंटल मुर्गी खाद, 2 क्विंटल चोकर, 30 किलो जिप्सम, 25 किलो यूरिया तथा 6 अच्छी क्वालिटी के पाइप की जरूरत पड़ती है. पाइप में अच्छी तरीके से छिद्र किए हुए होते हैं.
क्या है बटन मशरूम की कम्पोस्ट विधि? (What is the compost method of button mushroom?
इस विधि में पाइप की मदद से कम्पोस्ट तैयार की जाती है. इन पाइप में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं. इस विधि द्वारा महज 15 दिनों में अच्छी क्वालिटी की कम्पोस्ट तैयार की जा सकती है. जिससे न सिर्फ समय, श्रम बल्कि पैसों की भी बचत होती है. वहीं मशरूम का उत्पादन भी बढ़ जाता है, जिससे किसानों को अच्छी आमदानी हो सकती है. यह बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने की एक कारगर विधि मानी जा रही है जो मशरूम की खेती करने में मददगार है.
आइए समझते हैं बटन मशरूम की कम्पोस्ट पूरी प्रक्रिया (Button mushroom compost full process)
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सबसे पहले 10 क्विंटल भूसे को पानी से अच्छी तरह भिगोया जाता है. जब भूसा पूरी तरह भीग जाए और नरम हो जाए तब इसे दो दिनों के लिए वैसे ही छोड़ देते हैं.
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अब इसके बाद इस भूसे में मुर्गी खाद, चोकर, जिप्सम और यूरिया को अच्छी तरह मिला देते हैं. ध्यान रहे भूसे में यह सामग्री बराबर मात्रा में अच्छी तरह मिल जानी चाहिए.
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अब इस तैयार मिश्रण का 7 फीट चौड़ा और 5 फीट ऊंचा बेड बनाया जाता है. सबसे पहले 2 फीट ऊंचा बेड तैयार करके उस पर 3 पाइपों को लगा देते हैं. अब दोबारा से 2 फीट ऊंचाई का बेड लगाते हैं. इसके बाद दो पाइप को फिर लगा देते हैं. अब बचे मिश्रण की एक और परत बनाई जाती है, जिस पर एक पाइप लगा दिया जाता है और मिश्रण से अच्छी तरह ढंक देते हैं.
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अब इस बेड को एक पॉलिथीन की मदद से अच्छी तरह ढंक दिया जाता है. ध्यान रहे बेड को पॉलिथीन से इस प्रकार ढंकना चाहिए कि किसी भी तरह से हवा लीक नहीं होनी चाहिए. अब 4 दिनों बाद पॉलिथीन को हटाकर पाइप को खोल देते हैं. पांचवें दिन पॉलिथीन को बगल से भी हटा देते हैं, वहीं 6 दिनों बाद पॉलिथीन को पूरी तरह से हटाकर बेड को तोड़ लेते हैं. इसे पहली पलटाई कहा जाता है.
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पहली पलटाई के बाद अब एक बार फिर से बेड को उसी तरह तैयार करके ढंक देते हैं. 9 वें दिन एक बार फिर पाइप पर पन्नी को हटा दिया जाता हैं. वहीं 11 वें दिन पॉलिथीन को एक साइड से हटा देते हैं. 13 वें दिन पॉलिथीन हटा देतें हैं और बेड की दूसरी पलटाई कर देते हैं.
बटन मशरूम कम्पोस्ट की जांच करनी चाहिए (Must Check Button Mushroom Compost)
15 वें दिन बटन मशरूम कम्पोस्ट की जांच की जाती है. यह देखने में भूरे रंग की होती है. जांच के लिए चुटकी भर खाद लें. जिसे एक बर्तन में थोड़ा पानी डालकर अच्छी तरह घोलिए. अब एक पीएच पेपर लेकर टेस्ट करें. यदि पीएच मान 7 से 7.5 के बीच है तो यह एक अच्छी गुणवत्ता की खाद है. बता दें कि इस विधि से तैयार की गयी खाद उत्तम गुणवत्तापूर्ण होती है. तैयार कम्पोस्ट गहरे भूरे रंग की होती है जिससे अमोनिया की महक आती है. खेती से संबंधित हर जानकारी के लिए जरुर पढ़े कृषि जागरण हिंदी वेब पोर्टल के लेख.
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