मोती का नाम सुनते है हमारे मन में सिर्फ उससे बने गहनों की आ जाती है. इससे बहुत खूबसूत आभूषण बनाए जाते हैं, जिसकी वजह से बाजार में इसकी कीमत बहुत हाई है. क्या कभी आपके दिमाग में मोती की खेती करने का विचार आया है? अगर नहीं आया है तो ये लेख पढ़कर आ जाएगा.
थोड़ी सी ट्रेनिंग लेकर कोई भी मोती की खेती के जरिए अपनी किस्मत चमका सकता है. पीएम मोदी (PM Modi) ने भी अपने रेडियो पर अपने कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) में इसका जिक्र किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ प्रोग्राम के 67वां संस्करण में मोती की खेती करने वाले की तारीफ की थी. जिसमें उन्होंने बिहार के कुछ युवाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि कुछ युवा सामान्य नौकरी छोड़कर मोती की खेती कर रहे हैं, और वे अच्छी कमाई के साथ साथ प्रवासियों को भी इसी जानकारी दे रहे हैं.
अगर परंपरागत खेती से लागत के मुताबिक अच्छी कमाई नहीं हो रही है तो कुछ अलग सोचना होगा, और मोती की खेती भी उनमें से एक विकल्प है. अगर आपको अच्छी कमाई चाहिए तो मोती की खेती में किस्मत आजमा सकते हैं. करीब 2 लाख रुपए का निवेश करके इसकी खेती आरंभ की जा सकती है. कई लोग मोती की खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इस तरह की खेती या काम शुरू करने के लिए सरकार भी आर्थिक मदद करती है.
मोती की खेती में कितनी जगह और लागत चाहिए?
वैसे तो कोई भी काम शुरू करने के लिए लागत इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी जगह का इस्तेमाल कर रहें है. आप मोती की खेती लगभग 500 वर्गफीट के एक तालाब से भी शुरू कर सकते हैं. बहुत लोग घरों में गड्ढे खुदवाकर मोती की खेती कर रहे हैं. अगर 500 वर्गफीट का तालाब है तो उसमें 100 सीप डालकर मोती की खेती शुरू कर सकते हैं.
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बाजार में सीप की कीमत - 15 से 25 रुपए
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ताबाल में स्ट्रक्चर सेट करने का खर्च- 10000 से 12000 रुपए
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वाटर ट्रीटमेंट पर खर्च लगभग 1000 रुपए
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इसमें 1000 रुपए के उन्य उपकरण लग जाएंगे
मोती कितने प्रकार के होते हैं?
नोगट- इसमें एक चमकदार गोल आकार का सुंदर मोती होती है. इसके आकार और चमक के आधार पर इसकी कीमत 1 हजार से 50 हजार तक के बीच होती है.
केवीटी- इसमें सीप के अंदर फारेन बॉडी डालकर मोती तैयार किया जाता है. जो चमक के आधार पर हजारों रुपए की कीमत में बिकता है.
मेंटलटीसू- इसमें सीप के भीतर सीप की बॉडी का हिस्सा डाला जाता है. इस मोती का उपयोग खाने के पदार्थों में होता है.
ऐसे बनता है मोती
सबसे पहले सीप को 2 से 3 दिन के लिए खुले पानी में डाला जाता है ताकि सीप के ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाए. ध्यान रहे कि अगर सीपों को ज्यादा समय के लिए पानी से बाहर रखा गया तो ये खराब हो सकती हैं. सीपों की मांशपेशियों में नरमी आने के बाद मामूली सर्जरी के माध्यम से उसकी सतह पर 2 से 3 एमएम के छेद करते हैं. अब छेद में से रेत का एक छोटा सा कण डालते हैं. इसके बाद 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के जालीदार बैग में रखकर तालाब में बांस या किसी पाइप के सहारे पानी में लटका दिया जाता है. लगभग 14 महीने के बाद मोती तैयार हो जाते हैं. अब कवच को तोड़कर मोती निकाल सकते हैं.
Training: ट्रेनिंग की होगी जरूरत
मोती की खेती करने के लिए ट्रेनिंग जरूरी है, इसके प्रशिक्षण के लिए आप इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के तहत एक नया विंग बनाया गया है. इस विंग का नाम सीफा यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर है. यहां मोती की खेती के लिए 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है.
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर, ओडिशा या Central Institute of Freshwater Aquaculture की वेबसाइट पर विजिट करें
इसके अलावा आप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी Indian Council of Agricultural Research में भी संपर्क कर सकते हैं, यहां सपर्क करने के लिए 91-11-25843301 पर डायल करें
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