पपीता (Papaya) भारत में उगाई जाने वाली व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों में से एक है. यह अपने उच्च औषधीय और पोषण मूल्य के कारण महत्व रखता है. विश्व के कुल पपीते के उत्पादन में भारत का हिस्सा 46% है, जो इसे सबसे बड़ा पपीता उत्पादक देश बनाता है. इनमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल है. आइए एक नजर डालते हैं भारत में पपीते की सर्वोत्तम किस्मों पर!
पूसा बौना (Pusa Dwarf)
इस किस्म के पेड़ मध्यम आकार के और अंडाकार से आयताकार आकार के होते हैं और प्रत्येक फल का वजन लगभग 1-2 किलोग्राम होता है. यह प्रकार बौने पौधों के साथ उच्च घनत्व वाली खेती के लिए उपयुक्त है. यह एक द्विअंगी प्रजाति है, जिसका अर्थ है कि फल उत्पादन दो अलग-अलग पौधों के बीच होता है- एक नर और एक मादा.
पूसा मेजेस्टी (Pusa Majesty)
इस किस्म के फल मध्यम आकार होते हैं. प्रत्येक फल का वजन लगभग 1- 1.5 किलोग्राम फल होता है. ये फल आकार में गोल होते हैं और इनका स्वाद और गुणवत्ता अच्छी होती है. यह एक गाइनोडायसियस रेखा है, जिसका अर्थ है कि यह एक ही स्थान पर पौधों की मादा और उभयलिंगी आबादी दोनों के सह-अस्तित्व से फल पैदा करती है. ये पौधे रोपाई की तारीख से 145-150 दिनों में फल देना शुरू कर सकते हैं.
पूसा जाइंट (Pusa Giant)
पूसा जाइंट तेजी से बढ़ने वाला किस्म है जो हवाओं का सामना करने और मजबूत विकास दिखाने के लिए सक्षम है. इस किस्म के फल ज्यादातर डिब्बाबंदी उद्योगों में उपयोगी होते हैं. ये फल काफी बड़े होते हैं और इनका वजन 2.5- 3 किलो तक हो सकता है. यह भी एक द्विअंगी प्रकार का संकर है.
पूसा डिलीशियस (Pusa Delicious)
पपीते की एक अन्य प्रजाति जो औसत ऊंचाई वाले पौधे पैदा करती है. ये पौधे अच्छी गुणवत्ता वाले फल देते हैं और रोपाई की तारीख से लगभग आठ महीने में उपज देना शुरू कर देते हैं. फल एक टेबल उद्देश्य किस्म के रूप में काम करते हैं. फल मध्यम आकार के होते हैं और लगभग 1-2 किलो वजन के होते हैं. गुद्दे का रंग नारंगी आकार का होता है, और स्वादिष्ट स्वाद होता है, जिससे वे भारत में पपीते की सबसे अच्छी किस्मों में से एक बन जाते हैं.
महाबिंदु (Mahabindu)
यह कूर्ग हनी ड्यू के रूप में भी लोकप्रिय है. इसके फल पीले-हरे रंग के अंडाकार या तिरछे आकार के होते हैं. फल लंबे होने के साथ-साथ स्वाद से भी भरपूर होते हैं. फलों की शानदार गुणवत्ता के कारण यह किस्म बाजार में उच्च कीमतों पर बिकती है.
सोलो (Solo)
इस किस्म के फल आपके किचन गार्डन के लिए सबसे अच्छे होते हैं. फलों में गाढ़ा गुलाबी गूदा और आश्चर्यजनक रूप से मीठा स्वाद होता है. अगर आप अपने यार्ड में पपीते का पेड़ उगाना चाहते हैं तो यह किस्म सबसे बेहतर है.
रांची (Ranchi)
भारत में सबसे अच्छे प्रकार के पपीते में से एक बिहार और झारखंड राज्यों से भी आता है. यह किस्म दक्षिण भारतीय राज्यों में भी लोकप्रिय किस्म है. फलों में पीले रंग का गूदा होता है जिसका स्वाद मीठा होता है. एक ही पेड़ एक मौसम में कई फल भी दे सकता है.
सीओ1 (CO1)
यह लोकप्रिय किस्म पपीते की उपरोक्त रांची की खेती में से एक है. यह मध्यम आकार के फल पैदा करता चिकनी त्वचा के साथ गोल आकार होते हैं. इसके ऊपर पीले-हरे रंग के धब्बे होते हैं. ये फल अपने दृढ़ लेकिन नरम पीले गूदे के कारण अच्छी गुणवत्ता के साथ उगते हैं.
वाशिंगटन (Washington)
ये फल दिखने में गोल या तिरछे होते हैं. इसमें नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं और फलों के उत्पादन के लिए दोनों की आवश्यकता होती है. ये फल पूरी तरह परिपक्व होने पर चमकीले पीले रंग के हो जाते हैं और प्रत्येक फल का औसत वजन लगभग 1.5-2 किलोग्राम होता है.
ताइवान 786 (Taiwan 786)
यह किस्म अंडाकार आकार, मीठे गूदे और कम बीजों के साथ लगभग 1-3 किलोग्राम वजन का होता है. इस किस्म के फलों का स्वाद अच्छा होता है और इनकी सेल्फ लाइफ लंबी होती है.
पपीते का आर्थिक महत्व (Economic Importance of Papaya)
पपीता प्रकृति में अत्यधिक पौष्टिक और औषधीय (nutritional and medicinal) है. इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण, पपीते के फल और पपीते के गूदे का उपयोग विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण और पेय उद्योगों में किया जाता है.
पपीते का उपयोग प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे- जैम, जेली, मुरब्बा, फल पनीर और अमृत के निर्माण में किया जाता है. चूंकि पपीते का स्वाद, रंग और सुगंध सुखद होता है, इसलिए इसका उपयोग केक, पुडिंग, मिठाई और टॉपिंग में किया जाता है.
चूंकि फलों के गूदे उद्योग के बढ़ने की उम्मीद है, पिछले कुछ वर्षों में पपीता आधारित जूस और प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है. पपीता प्यूरी और पपीता सांद्र का उपयोग फलों के पेय, स्मूदी, स्क्वैश और अन्य पपीता आधारित पेय जैसे पेय पदार्थों के निर्माण में किया जाता है. पपीता प्यूरी डेयरी उद्योग में एक प्रमुख घटक है. इसका उपयोग पपीते के स्वाद वाले योगहर्ट्स, मिल्कशेक और आइसक्रीम बनाने में किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों (International Market) में विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में पापेन की बहुत मांग है. Papain का उपयोग दवा उद्योग, कपड़ा, कागज और सीवेज उपचार में भी किया जाता है.
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