देश के सभी हिस्सों में मानसून पहुंच चुका है, जिससे किसानों ने धान की बुवाई करनी शुरू कर दी है, तो वहीं कई किसान फसल बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं. इस दौरान किसानों को ध्यान रखना है कि वह अपने खेतों में धान की उन्नत किस्मों की ही बुवाई करें. बता दें कि मौजूदा समय में कृषि वैज्ञानिक खाने की वस्तुओं में पोषक तत्वों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि फसलों में पोषक तत्वों द्वारा की कमी को पूरा किया जा जाए.
इसी कड़ी में भारतीय चावल अनुसंधान (Indian Rice Research) द्वारा कुछ ऐसी नई किस्में विकसित हुई हैं, जिनमें पोषक तत्वों की दोगुनी मात्रा पाई जाती है. इन नई किस्मों की खासियत है कि इससे लोगों में कुपोषण की समस्या दूर की जा सकती है. बता दें कि देश में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पंजाब में खास तौर पर धान की खेती की जाती है. ऐसे में किसानों को इन नई किस्मों की बुवाई करना चाहिए.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक (According to agricultural scientists)
शरीर में जिकं और आयरन की भरपूर मात्रा पाए जाने बहुत जरूरी है. दुनियाभर में इसकी कमी से कई लोग प्रभावित हैं. अगर देश की बात करें, तो जिंक की कमी से लगभग 30 प्रतिशत लोग प्रभावित होते हैं. मगर धान की नई किस्मों द्वारा व्यक्ति को 58 प्रतिशत तक जिंक की मात्रा मिल पाएगी.
बता दें कि जिंक शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण खनिज है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होता है. यह इम्युनिटी सिस्टम को भी मजबूत बनाए रखता है.
धान की 6 नई किस्में हुई विकसित (6 new varieties of paddy developed)
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हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा चावल की नई किस्म विकसित की गई थी. इनमें डीआरआर धान 45, डीआरआर धान 49 शमिल हैं.
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उड़ीसा स्थित केंद्रीय चावल अनुसंधान द्वारा सीआर धान 310, सीआर धान 311 किस्म विकसित कई गई हैं.
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रायपुर, छत्तीसगढ़ स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जिंक ओ राइस और सीजीज़ेडआर किस्में विकसित की हैं.
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नई किस्मों की खासियत (Specialty of new varieties)
धान की इन किस्मों की खास बात है कि इन किस्मों के चावल खाने से शरीर में जिंक की कमी को दूर हो पाएगी. कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो देश में अधिकतर जगह खाने में चावल जरूर पकाया जाता है. ऐसे में संस्थान द्वारा कुछ ऐसी नई किस्में विकसित की गई हैं, जो कि देश में जिंक की कमी को पूरा करेंगी.
अगर नई किस्मों की बात की जाए, तो इनमें अन्य चावल की तुलना में जिंक की मात्रा 25 पीपीएम होती है, जबकि अऩ्य किस्मों में जिंक की मात्रा 2 पीपीएम पाई जाती है. मतलब साफ है कि नई किस्मों में जिंक की मात्रा दोगुनी पाई जाएगी. उपयुक्त धान की किस्मों को हाल ही में विकसित किया गया था. इनमें जिंक की अच्छी मात्रा में पाई जाती है.
अगर किसान इन किस्मों की बुवाई करता है, तो फसल की अच्छी पैदावार हासिल होगा, साथ ही बाजार में भाव भी अच्छा मिलेगा. अगर कोई किसान इन किस्मों की बुवाई करना चाहता है, तो इन संस्थान या अपने क्षेत्र की निजी बीज कंपनियों से संपर्क कर सकता है.
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