मध्य प्रदेश में किसानों ने हाल ही में लहसुन की बुवाई पूरी कर ली है. वहीं प्याज की खेती के लिए नर्सरी में बीजों की रोपाई कर दी है. जबकि कुछ किसान सितंबर के अंत तक प्याज के बीज की नर्सरी तैयार कर चुके हैं.
ऐसे में नवंबर-दिसंबर में प्याज की नर्सरी से खेत में रोपाई की जाएगी. तो आइए जानते हैं प्याज की रोपाई के समय कौन-सी सावधानियां बरतें-
नर्सरी लगाने के फायदे (Benefits of nursery)
बहुत से किसान प्याज को छिटकन विधि से लगाते हैं लेकिन इससे प्याज की पैदावार में काफी नुकसान होता है. दरअसल, छिटकन विधि से प्याज लगाने पर कहीं तो पौधे दूर-दूर होते हैं वहीं काफी नजदीक. जो प्याज दूर होती है वह ज्यादा मोटी हो जाती है वहीं नजदीक रहने वाली प्याज छोटी रह जाती है. जिससे प्याज की पैदावार पर काफी फर्क पड़ता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व एग्रीकल्चर साइंटिस्ट डॉ. धीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि अधिक लाभ और पैदावार के लिए प्याज की नर्सरी तैयार की जाती है.
सावधानियां (Precautions)
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पौधे को नर्सरी से निकालते समय पर्याप्त नमी होना चाहिए. वहीं पौधे सावधानी एवं ध्यानपूर्वक निकालना चाहिए ताकि पौधे की जड़ न टूट पाए.
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बीमारी से ग्रसित पौधों को नर्सरी से निकालते समय ही अलग कर देना चाहिए. ऐसे पौधों की रोपाई नहीं करना चाहिए.
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पौधे को उपचार करने के बाद लगाए ताकि पौधा अच्छी तरह से ग्रोथ कर सकें.
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पौधे की रोपाई के समय खेत में अत्यधिक नमी नहीं होना चाहिए. वहीं मिट्टी भूरभूरी होना चाहिए.
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अत्यधिक छोटा या बारीक बीज नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसे पौधे को ग्रोथ करने में समय लगता है.
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