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अब हींग की खेती में देश बनेगा आत्मनिर्भर, पीएम मोदी ने दिया बड़ा बयान

भारत विभिन्न मसालों में अभी आत्मनिर्भर है लेकिन हींग के मामले में ऐसा नहीं है. अब भी हम मीडिल ईस्ट के देशों से हींग का आयात करते हैं. दुनियाभर में हींग का उपयोग औषधीय और दवाईयों में किया जाता है लेकिन हम मसाले में इसका उपयोग करते हैं. हमारे विभिन्न जायके हींग के बगैर अधूरे है. लेकिन अब भारत ने भी हींग में आत्म निर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ा दिए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हींग की खेती को लेकर बड़ा बयान दिया है.

श्याम दांगी

भारत विभिन्न मसालों में अभी आत्मनिर्भर है लेकिन हींग के मामले में ऐसा नहीं है. अब भी हम मीडिल ईस्ट के देशों से हींग का आयात करते हैं. दुनियाभर में हींग का उपयोग औषधीय और दवाईयों में किया जाता है लेकिन हम मसाले में इसका उपयोग करते हैं. हमारे विभिन्न जायके हींग के बगैर अधूरे है. लेकिन अब भारत ने भी हींग में आत्म निर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ा दिए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हींग की खेती को लेकर बड़ा बयान दिया है.

100 मिलियन डॉलर का खर्च

पीएम मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हींग का उत्पादन भारत में शुरू हो गया है. देश में हींग उत्पादन की पहल काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च ने की है. भारत हींग ईरान, अफगानिस्तान और मीडिल ईस्ट के कुछ देशों से आयात करता है. ईरान में बड़े पैमाने पर हींग का उत्पादन होता है. यहां के लार शहर में हींग का उत्पादन होता है. लेकिन अब भारत ने भी हींग के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ा दिए है.

दुनिया की 40 फीसदी हींग का उपयोग

भारत में भले ही हींग का उत्पादन नहीं होता है लेकिन खपत में हम दुनिया में सबसे आगे है. इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारे ज्यादातर पकवानों में हींग का प्रयोग किया जाता है. जबकि दुनिया के अन्य देशों में हींग का उपयोग महज औषधीय और दवाईयों में  ही किया जाता है. भारत में हींग ईरान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से आती है. भारत ने साल 2019 में इन देशों से 1500 टन हींग आयात की थी जिसकी कीमत 100 मिलियन डॉलर से अधिक है.

हिमाचल में शुरू हुई हींग की खेती

खबरों के अनुसार, भारत में 2020 में हींग की खेती शुरू हुई है. हिमाचल प्रदेश की लाहौलघाटी में हींग की खेती की जा रही है. हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी के सहयोग से यहां के किसान हींग का सफल उत्पादन करेंगे. दरअसल, लाहौलघाटी का ठंडा रेगिस्तान और जलवायु हींग की खेती के लिए उपयुक्त है. काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च का कहना है कि 15 अक्टूबर, 2020 को यहां के क्वारिंग गांव में हींग पहला बीज बोया गया था. यहां फेरूला एस्टोफेडिया के बीजों को एग्रो टेक्नो लॉजी को डेवलप करके सफल रूप से उगाया जा रहा है. इससे पहले इस पौधे को उगाने में जरूरी तत्वों की कमी आ रही थी.

10 लाख रूपये तक का मुनाफा

काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च के डायरेक्टर संजय कुमार के मुताबिक, हींग की खेती में प्रति हेक्टेयर 3 लाख रूपये तक की लागत आती है. पांच सालों के लिए हींग की खेती होती है. हमारा फोकस है किसानों को 5 वें साल 10 लाख रूपये का मुनाफा हो. उन्होंने कहा कि देश का ठंडा रेगिस्तान हींग की खेती के लिए उपयुक्त है. हिमाचल के अलावा अरूणाचल प्रदेश औ उत्तराखंड की जलवायु हींग की खेती के लिए आदर्श है.

English Summary: Now the country will become self-sufficient in the cultivation of asafoetida, PM Modi made a big statement Published on: 05 June 2021, 01:09 PM IST

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