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New Maize Varieties: वैज्ञानिकों ने मक्के की 2 नई किस्में विकसित की, जो देंगी 42 क्विंटल तक पैदावार

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिकों ने मक्के की 2 नई किस्मों को विकसित किया है. यह किस्में 42 क्विंटल तक बंपर उत्पादन दे रही हैं. साथ ही फसल कटाई के बाद अवशेषों को चारे के लिए किया जाएगा इस्तेमाल....

निशा थापा
New Maize Varieties: वैज्ञानिकों ने मक्के की 2 नई किस्में विकसित की, जो देंगी 42 क्विंटल तक पैदावार
New Maize Varieties: वैज्ञानिकों ने मक्के की 2 नई किस्में विकसित की, जो देंगी 42 क्विंटल तक पैदावार

Top Maize Varieties: कृषि वैज्ञानिक कृषि विकास के लिए फसलों की नई- नई किस्में ईजाद करते रहते हैं, जो ना सिर्फ उपज में अच्छी होती है, बल्कि पौष्टिक गुणों से भरी रहती है. वैसे तो मक्का खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है. मगर रबी सीजन में भी अक्टूबर से लेकर नवंबर इसकी खेती की जाती है. 

इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र, बैंगलोर (KVK Bangalore) के कृषि वैज्ञानिकों ने मक्के की 2 नई किस्मों को ईजाद किया है. जिससे किसान कम वक्त में अच्छा उत्पादन कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा फसल के अवशेषों को पशुओं के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि फसल पकने के बाद भी मक्के के पौधे हरे भरे रहते हैं. हरा चारा पोषण से भरपूर होता है, जो पशुओं के लिए लाभदायक हैं.

मक्का की 2 नई किस्में

वैज्ञानिकों द्वारा उगाई गई इन मक्के की किस्मों का नाम एमएएच 14-138 (MAH 14-138) और एमएएच 15-84 (MAH 15-84) है.  वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्में मूल लाइन्स द्वारा बनाई गई हैं, जिससे उत्पादन अच्छा मिलता है. खास बात यह कि इसका चारा पशुओं के लिए बेहद लाभदायक है. इन किस्मों के उत्पादन से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा.

मक्के की नई किस्मों की खासियत

  • मक्के के नई किस्म एमएएच 14-138  को विकसित करने में वैज्ञानिकों की 8 सालों की मेहनत लगी है, जिसे अब व्यावसायिक खेती के लिए भी मंजूरी दे दी गई है.

  • मक्के की एमएएच 14-138  किस्म बुवाई के 120 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

  • एमएएच 14-138  किस्म की उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 35 से 38 क्विंटल है.

  • मक्के के दूसरी नई किस्म एमएएच 15-84 को वैज्ञानिकों ने व्यवसायिक खेती के लिए मंजूरी नहीं दी है, लेकिन उम्मीद लगाई जा रही है कि अगले साल तक मंजूरी दी जा सकती है.

  • मक्के की एमएएच 15-84 फसल बुवाई के 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है.

  • एमएएच 15-84 की उपज क्षमता 40 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

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मक्के का रकबा बढ़ रहा

आंकड़े देखें तो पूरे विश्व में मक्के की मांग बढ़ती ही जा रही है, जो कि किसानों के लिए अच्छी खबर है. दुनियाभर में मक्का की बढ़ती डिमांड किसानों के लिए अच्छा संकेत है. किसान प्रोसेस्ड प्रॉडक्ट्स के माध्यम से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो बीते 2 दशकों में मक्का के खेती का दायरा 10 मिलियन हेक्टेयर पहुंच गया, जो कि पहले 6 मिलियन हेक्टेयर था. मक्का के उत्पादन में भी 12 मिलियन टन की वृद्धि हुई है. भारत में मक्के की पैदावार 12 मिलियन टन से बढ़कर 32 मिलियन टन हो गई है.

English Summary: New Maize Varieties: Scientist developed 2 new varieties of maize, will yield up to 42 quintals Published on: 18 November 2022, 05:07 PM IST

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