खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती को प्रमुख स्थान दिया जाता है. यह दलहन की जगह एक तिलहन फसल (Oilseed crop) मानी जाती है. सोयाबीन मानव पोषण और स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है, इसलिए इसको खाद्य का मुख्य स्त्रोत माना जाता है. इसमें प्रोटीन और वसा समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके चलते बाजार में इसकी मांग ज्यादा बनी रहती है.
ऐसे में किसान इसकी खेती से अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं. ध्यान रहे कि सोयाबीन की खेती (Soyabean Farming) में खरपतवार प्रबंधन क्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए फसल के पोषक तत्वों का निर्णय सावधानीपूर्वक लेना चाहिए.
सोयाबीन में एकीकृत खरपतवार प्रबंधन (Integrated Weed Management in Soybean)
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फसल बुवाई के बाद 30 से 45 दिनों तक खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक होता है.
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बतर आने पर डोरा या कुल्फा चलाकर खरपतवार नियंत्रण करें.
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इसके बाद एक निदाई अंकुरण होने के 30 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण करें.
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रासायनिक विधि से खरपतवारों का नियंत्रण- फसल बुवाई के बाद और अंकुरण से पहले डायक्लोसुलम 84% डब्ल्यूडीजी (स्ट्रॉग आर्म) 12.5 ग्राम प्रति एकर बुवाई से 3 दिन के अंदर 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़क दें.
खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती और घास खरपतवारों का नियंत्रण- इमाईज़ेथापायर 10 प्रतिशत एसएल (परशूट) 400 मिली प्रति एकर+एमएसओ एडजुवेंट 400 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर खरपतवारों की 1 से 2 पत्ती अवस्था या बुवाई के 15-20 दिन बाद भूमि में नमी होने पर छिड़क दें.
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खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती और घास कुल के खरपतवारों का नियंत्रण- इमज़ामोक्स 35 प्रतिशत+ इमेजेथाफायर 35 प्रतिशत डब्ल्यूजी (ओडिसी) 40 ग्राम+एमएसओ एडजुवेंट 400 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर में घोलकर बुवाई के 15 से 20 दिन बाद खेत में नमी होने पर छिड़क दें.
खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती और सकरी पत्ती के खरपतवारों का नियंत्रण- प्रोपैक्विज़ाफॉप 2.5 प्रतिशत+इमेज़ैथायर 3.75 प्रतिशत एमडब्ल्यू (साकेड) 800 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर 15 से 20 दिन बाद खेत मे नमी होने पर छिड़क दें.
डॉ. एस. के. त्यागी, कृषि विज्ञान केंद्र, खरगौन, मध्य प्रदेश
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