अच्छी सेहत और आँखों की रोशनी को सही रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां बहुत फायदेमंद होती हैं. हरी सब्जी न सिर्फ आपके सेहत बल्कि आपके त्वचा को भी स्वस्थ रखने में आपकी मदद करता है. जब हरी पत्तेदार सब्जियों की बात आती है, तो पालक को सबसे अधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है.
पालक में कई तरह के विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करते हैं. पालक की खेती करने के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है. ठण्ड में पालक की पत्तियों का उपज अधिक होता है वहीं अगर तापमान अधिक हो तो इसकी उपज रूक जाती है, इसलिए पालक की खेती के लिए मुख्यत: ठण्ड का मौसम ही चुना जाता है. लेकिन वहीं पालक की खेती मध्यम जलवायु में वर्षभर की जा सकती है. पालक की सफलतापूर्वक खेती के लिए उचित जल निकास वाली चिकनी दोमट भूमि बहुत ही आवश्यक होता है.
पालक की अच्छी पैदावार के लिए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भूमि का पी.एच. मान कितना है. सही पैदावार के लिए जरुरी है की पी.एच वैल्यू 6 से 7 के मध्य होन चाहिए. भूमि की तैयारी के लिए भूमि का पलेवा करके जब वह जुताई योग्य हो जाए तब मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई करना चाहिए, जिसके बाद 2 या 3 बार हैरो या कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को भूरभूरा बना लें और इसके बाद करना चाहिए पाटा चलाकर मिटटी को समतल कर लें. पालक की सफल खेती के लिए चयनित किस्मों की विशेषताओं का भी ध्यान रखना चाहिए. पालक की खेती के लिए कुछ किस्में ऐसी है जिसका चयन कर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. जैसे ऑलग्रीन, पूसा ज्योति, पूसा हरित, पालक नं. 51-16, वर्जीनिया सेवोय, अर्ली स्मूथ लीफ आदि.
बीज की मात्रा पालक की खेती के लिए खेत में पर्याप्त मात्रा में बीज की आवश्यकता होती है. अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जरुरी है की किसान सही व उन्नतशील बीज का चयन करें. वैसे एक हेक्टेयर. में 25 से 30 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होता है. बोने का समय पालक की बुवाई करते समय वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उपयुक्त वातावरण में पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है. पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितम्बर-अक्टूबर में की जा सकती है, जिससे पालक की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है.
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बुवाई विधि
अक्सर पालक की बुवाई छिड़काव यानि हाथों से छीट कर किया जाता है.लेकिन अगर आप पालक की खेती से अधिक और उच्च श्रेणी का पैदावार चाहते हैं तो इसके लिए पालक की बुवाई आपको पंक्तियों में करनी होगी. पालक की बुवाई पंक्ति में करने के लिए पंक्तियों व पौधों की आपस में दूरी क्रमश: 20 से 25 सेन्टीमीटर और 20 सेन्टीमीटर होनी चाहिए. पालक के बीज को 2 से 3 सेन्टीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए, इससे अधिक गहरी बुवाई करने पर इसका असर पैदावार पर दिख सकता है.
खाद व उर्वरक
पालक की खेती अच्छी व गुणवत्तायुक्त पालक प्राप्त करने के लिए खाद व उर्वरक की संतुलित मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए.भूमि में खाद व उर्वरक की मात्रा का निर्धारण करने के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी का परीक्षण करा लेना चाहिए, जिससे खेत में उपलब्ध पोषक तत्व की मात्रा ज्ञात हो जाये.
इसके बाद परीक्षण में दिये गये उर्वरक की अनुसंशित मात्रा का ही उपयोग करना चाहिए.
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