राजीव भास्कर, जिन्होने कभी सोचा नहीं था कि वीएनआर सीड कंपनी, जिसमें वह सेल्स और मार्केटिंग का काम संभाल रहे हैं. उस कंपनी में काम करते-करते उनका रुझान खेती में हो जाएगा. राजीव भास्कर आज के समय में थाई अमरुद की खेती कर हर साल करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं.
राजीव बताते हैं कि वीएनआर सीड कंपनी में काम करते समय वह देश के विभिन्न प्रकार के किसानों से मिलते रहते थे, जिस कारण उनका खेती में रुझान बढ़ने लगा. इस दौरान कुछ किसानों से उनको थाई अमरुद के बारे में पता चला था.
राजीव ने वर्ष 2017 में नौकरी छोड़ अपने हरियाणा के पंचकुला गांव के 5 एकड़ की जमीन पर थाई अमरुद की खेती शुरु की. इस खेती में उन्होने जैविक खाद को उपयोग किया. इस 5 एकड़ के अमरुद के खेत में उन्हे 20 लाख का फायदा हुआ. गांव में सफलता के बाद राजीव ने थाई अमरुद की और खेती के 55 एकड़ की जमीन पंजाब के रुपनगर में लीज पर ले ली और तीन इन्वेस्टर की मदद से खेती को बड़े स्तर पर ले जाने का सोचा.
राजीव और उनकी टीम ने 55 एकड़ जमीन पर अमरूद के पेड़ लगाए और वर्ष 2021 में इसे दिल्ली एपीएमसी बाजार में 10 किलो के क्रेट में अपना माल पहुंचाने लगे. आज वह प्रति एकड़ औसतन 6 लाख रुपये तक का लाभ कमा रहे हैं. राजीव अब अपने अमरूद के पौधों की औसत अधिकतम उपज को 25 किग्रा प्रति पौधा से बढ़ाकर 40 किग्रा प्रति पौधा करने की योजना बना रहे हैं. वह जैविक खेती के तरीकों पर जोर देते हैं. उनकी इस सफलता से पंचकुला के किसान बहुत प्रभावित हो रहे हैं, उन्होंने भी नई-नई तकनीक के माध्यम से खेती के विभिन्न तरीको को अपनाना शुरु कर दिया है.
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आपको बता दें कि थाई अमरुद के पौधे लगाने के 18 महीनों बाद ही फल आने लग जाते हैं. यदि इसका सही तरीके से रखरखाव किया जाए तो 20 से 25 सालों तक यह पेड़ फल देते हैं.
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