1. Home
  2. खेती-बाड़ी

लीची की फसल को बचाने के लिए किसान कर ले ये जरुरी काम, नहीं तो पड़ेगा पछताना

अगर आप लीची की खेती (Litchi Crop Farming) करते हैं तो ऐसे में आपको इसमें लगने वाले रोगों और उनके बचाव के बारे में पता होना चाहिए...

मनीशा शर्मा
litchi crop
litchi crop

लीची की फसल में अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है। जिससे लीची की पैदावार एवं गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। लीची की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारी होना बहुत आवश्यक हो जाता है ताकि समय रहते प्रभावी रोगों का प्रबन्धन किया जा सके। लीची के प्रमुख रोग जैसे-फल विगलन, पर्णचित्ती रोग, श्यामवर्ण रोग, फल झुलसा रोग, फल का चटकना आदि है।

लीची में लगने वाले प्रमुख रोग

फल विगलन

यह एक कवक जनित रोग है। फल विगलन का प्रकोप उस समय ज्यादा होता है जब फल पकने की अवस्था में होता है। इस रोग का प्रमुख लक्षण यह है कि लीची का छिलका मुलायम हो जाता है, और फल सड़ने लगता है। स्टोरेज (भंडारण) एवं यातायात के समय इस रोग के प्रकोप की संभावना अत्यधिक होती है। 

रोकथाम

लीची तुड़ाई के 20 दिन पूर्व पौधों पर प्रोपिकोनाज़ोल (टिल्ट) 25 प्रतिशत ई0सी0 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।

तुड़ाई के समय फल को चोट से बचाऐं।

पर्ण चित्ती रोग (लीफ स्पाट)

यह एक कवक जनित रोग है। यह रोग अक्सर अंतिम जून से जुलाई महीने में दिखने शुरू होते हैं। इस रोग में पुरानी पत्तियों पर भूरे या चाकलेट रंग की चित्ती (धब्बा) दिखाई देती है।

रोकथाम

  • लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन एम-45 या कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • रोग से ग्रसित भाग की नियमित कटाई-छटाई करें तथा नीचे जमीन पर गिरी हुई पत्तियों को एकत्रित करके जला दें।

श्यामवर्ण रोग (एनथ्रैक्नोज)

यह रोग कोलेटोट्राइकम नामक कवक से होता है। इस रोग के लक्षण पत्ती एवं फल दोनों पर दिखाई देते हैं। मुख्यतः इस रोग से फलों को ज्यादा हानि होती है। फलों पर शुरूआती लक्षण फल पकने के लगभग 20 दिन पहले होती है। इस रोग में लीची के छिलकों पर छोटे-छोटे भूरे या गहरे भूरे रंग के स्पाट (धब्बे) दिखाई देते हैं।

रोकथाम

  • लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन एम-45 या कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • रोग से ग्रसित भाग की नियमित कटाई-छटाई करें तथा नीचे जमीन पर गिरी हुई पत्तियों को एकत्रित करके जला दें।

पत्ती, मंजर एवं फल झुलसा रोग

यह कवक जनित रोग है जो कि अल्टरनेरिया अल्टरनाटा से होता है। यह रोग लीची के नर्सरी में अधिक लगता है। यह रोग लीची मंजर (पेनिकल) एवं फलों को झुलसा देता है।

रोकथाम

  • रोग जनित पत्तियों को इकटठा करके जला दें।

  • पत्ती झुलसा से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराइट (ब्लाइटाक्स 50) की 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • पुष्प (मंजर) एवं फलों के झुलसा से बचाव के लिए टेबुकोनाजोल 25 प्रतिशत की 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

फलों का चटकना-

यह एक विकार है जो कि लीची में बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। लीची में फलों के चटकने का प्रमुख कारण मिटटी में बोरान तत्व की कमी एवं अनियंत्रित अन्तराल पर लीची के बगानों में पानी देना है।

प्रबन्धन

दो से तीन छिड़काव 1 प्रतिशत बोरेक्स का 15 दिन के अन्तराल पर करें।

लीची के बाग को नियंत्रित अंतराल पर पानी दें।

लेखक 

1विश्व विजय रघुवंशी, 2प्रदीप कुमार, 1श्याम नारायण पटेल,

1शोध छात्र, पादप रोग विज्ञान, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज,  अयोध्या

2सहायक प्राध्यापक, पादप रोग विज्ञान, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या

English Summary: Major diseases of litchi and their management Published on: 06 August 2023, 10:05 AM IST

Like this article?

Hey! I am मनीशा शर्मा. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News