चावल की खेती वैश्विक स्तर पर की जाती है. यह दुनिया की आधी आबादी का भोजन माना जाता है. भारत में भी बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है. जहां दुनियाभर में लगभग 148 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है. वहीं धान की 90 फीसदी खेती एशियाई देशों में होती है. भारत के हरियाणा, पंजाब, छतीसगढ़ समेत कई राज्यों में धान की खेती की जाती है. धान की खेती करने वाले किसानों को सबसे ज्यादा समस्या इसमें लगने वाले कीटों तथा रोगों की वजह से आती है.
दरअसल, धान की फसल पर तरह के कीटों व रोगों का प्रकोप रहता है. जो धान के अधिक उत्पादन में बाधा डालते हैं, जिससे धान की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से बेहद नुकसान उठाना पड़ता है. यदि धान की फसल में कीटों और रोगों का सही प्रबंधन किया जाए तो इसकी अधिक पैदावार ली जा सकती है. तो आइये जानते हैं कि फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों व रोगों के बारे में और उनका प्रबंधन कैसे जाए-
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट तथा उनका प्रबंधन (Major pests of paddy crop and their management)
भूरा पर्ण दाग- चावल में लगने वाला यह प्रमुख फफूंदजनक रोग है. जिसके कारण पौधे की पत्तियों पर भूरे गोल या अंडाकार धब्बे बन जाते हैं. वहीं इन धब्बों के चारो और पीले रंग का घेरा बनने लगता है. इस रोग का प्रभाव पौधे पर फसल के दाने बनने तक होता है जो फसल को नुकसान पहुंचाता है. जिसकी वजह से किसानों को उत्पादन कम मिल पाता है.
प्रबंधन- इस रोग के प्रबंधन के लिए कोरोमंडल के फफूंदनाशक लान्सिया का प्रयोग करें. प्रति हेक्टेयर लगभग 1250 ग्राम लान्सिया को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. लान्सिया का प्रयोग कैसे करें इसकी अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक https://bit.ly/3djeU0W पर क्लिक करें.
पत्ती ब्लास्ट- धान की फसल को तरह के झुलसा रोग प्रभावित करते हैं. इनमें पत्ती ब्लास्ट रोग प्रमुख है. इस बीमारी के प्रकोप से पौधे की पत्तियों पर नुकीले हरे से लेकर पीले धब्बे पड़ जाते हैं. धीरे-धीरे इस रोग के प्रकोप के कारण पत्तियां गिर जाती है जिसके कारण पौधा मर जाता है. इस रोग की अधिकता के कारण चावल की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है. इसी तरह कॉलर ब्लास्ट, गर्दन ब्लास्ट आदि रोग भी राइस की फसल को प्रभावित करते हैं.
प्रबंधन- इस रोग की रोकथाम के लिए भी कोरोमंडल के फफूंदनाशक लान्सिया का छिड़काव करें. यह सभी ब्लास्ट रोगों के लिए कारगर उपाय है. लान्सिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए https://bit.ly/3djeU0W लिंक पर क्लिक करें.
सफेदा रोग - यह फसल में लौह तत्व की कमी कारण होता है. इस रोग के लक्षण की बात करें तो इसके प्रकोप से नई पत्तियां कागज जैसी सफेद निकलती है. बता दें कि धान में यह रोग नर्सरी तैयार करते वक्त अधिक लगता है.
प्रबंधन-इस रोग के निदान के लिए 20 किलोग्राम यूरिया एक हजार लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करें. इसके अलावा आप ढाई किलोग्राम बुझे हुए चूने का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं.
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