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सोयाबीन फसल में खरपतवार प्रबंधन को हेतु किसानों को जरूरी सलाह, पढ़ें पूरी जानकारी

Soybean Crop: सोयाबीन की फसल से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसानों को कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है. इसके लिए कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा समय-समय पर जरूरी सलाह भी जारी की जाती है. इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र आगर-मालवा ने भी सोयाबीन को लेकर सलाह जारी कर दी है.

KJ Staff
सोयाबीन की फसल में कीट रोग एवं खरपतवार का नियंत्रण (Image Source: Pinterest)
सोयाबीन की फसल में कीट रोग एवं खरपतवार का नियंत्रण (Image Source: Pinterest)

सोयाबीन की फसल में कीट रोग एवं खरपतवार का नियंत्रण समय पर नहीं करने से फसल उत्पादन प्रभावित होता हैं. सोयाबीन की फसल में प्रमुख रूप से संकड़ी पत्ती या एक दलपत्रीय एवं चौड़ी पत्ती या दो दलपत्रीय खरपतवार पाए जाते हैं. जैसे संवा घास, दूब घास, बोकना, बोकनी, मोथा, दिवालिया, छोटी बड़ी दुद्दी, हजार दाना और सफेद मुर्ग आदि.

कृषि विज्ञान केन्द्र आगर-मालवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर पी एस शक्तावत ने बताया कि फसल की प्रारंभिक अवस्था में 45 से 60 दिन तक फसल खरपतवार मुक्त रहनी चाहिए. इसके लिए 15 से 20 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या कल्पा चलाना चाहिए या निदाई गुड़ाई करनी चाहिए. लगातार बारिश की स्थिति में खरपतवार प्रबंधन रसायन के छिड़काव द्वारा किया जा सकता है.

सफल खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यक सावधानियां

किसान केवल अनुशंसित खरपतवारनाशी का ही उपयोग करें. खरपतवारनाशकों के छिड़काव हेतु 500 लीटर पानी प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें. खरपतवारनाशकों के छिड़काव हेतु फ्लैट फेन या फ़्लड जेट नोजल का ही उपयोग करें. खरपतवारनाशकों के छिड़काव नम या भुरभुरी मिट्टी में ही करें. सुखी मिट्टी पर छिड़काव नहीं करें. एक ही खरपतवारनाशी का उपयोग बार-बार नहीं करें. रसायन चक्र को अपनाएं. एक से अधिक खरपतवारनाशक या उनका अन्य किसी खरपतवारनाशकों या कीटनाशक के साथ मिश्रित उपयोग कदापि नहीं करें, जो अनुशंसित नहीं हो. इससे सोयाबीन के पूर्णतः खराब होने की संभावना रहती है. बोवनी के पूर्व या बोवनी के तुरंत पश्चात् खरपतवारनाशियों के उपयोग किए जाने की स्थिति में 20 से 25 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या कल्पा चलाना चाहिए. सोयाबीन की खड़ी फसल में उपयोग किए जाने वाले खरपतवारनाशियों की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से कुछ इस प्रकार से करें.

बोवनी के 10 से 12 दिन बाद

  1. क्लोरम्यूरोंन इथाइल 25 डब्लू पी+ सर्फेक्टेंट 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर,

  2. बेंटाझोन 48 एस एल 2 लीटर प्रति हेक्टेयर

बोवनी के 15 से 20 दिन बाद

  1. इमेजाथापेयर 10 एस एल + सर्फेक्टेंट 1 लीटर प्रति हेक्टेयर

  2. इमेजाथापेयर 70 डब्लू जी + सर्फेक्टेंट 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर

  3. क्विजलोफ़ाप इथाइल 5 ई सी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर

  4. क्विजलोफ़ाप पी इथाइल 10 ई सी 450 मीलीलीटर प्रति हेक्टेयर

  5. फिनाक्सीफ़ाप पी इथाइल 9 ई सी 11 लीटर प्रति हेक्टेयर

  6. क्विजलोफ़ाप पी टेफ्यूरिल 41 ई सी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर

  7. फ्ल्यूआजीफ़ाप पी ब्यूटाइल 4 ई सी 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर

  8. हेलॉक्सीफ़ाप आर मिथाइल 5 ई सी 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर

  9. प्रोपाक्विजाफ़ाप 10 ई सी 750 मीलीलीटर प्रति हेक्टेयर

  10. क्लेथोडीयम 25 ई सी 750 मीलीलीटर प्रति हेक्टेयर

  11. फ्लूथियासेट मिथाइल 3 ई सी 125 मीलीलीटर प्रति हेक्टेयर

पूर्व मिश्रित खरपतवारनाशी

  1. फ्ल्यूआजीफ़ाप पी ब्यूटाइल + फोमेंसाफेन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर

  2. इमेजाथापेयर + इमेजामॉक्स 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर

  3. प्रोपाक्विजाफ़ाप + इमेजाथापेयर 2 लीटर प्रति हेक्टेयर

  4. सोडियम एसीफ्लोरफेन + क्लोडिनाफ़ाप प्रोपारजिल 1लीटर प्रति हेक्टेयर

  5. फोमेंसाफेन + क्विजलोफ़ाप इथाइल5 लीटर प्रति हेक्टेयर

  6. क्विजलोफ़ाप इथाइल + क्लोरम्यूरोंन इथाइल + सर्फेक्टेन्ट 375 मिली + 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर

English Summary: Krishi Vigyan Kendra Agar Malwa gave necessary advice to farmers for weed management in soybean crop Published on: 17 July 2024, 04:39 PM IST

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