बैंगन की खेती सब्जी के लिए की जाती है. इस फसल को बाकी फसलों से अधिक सख्त माना जाता है. इसका कारण है कि बैंगन को शुष्क या कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. इसकी खेती उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में मुख्य रूप से होती है. यह विटामिन और खनिजों का अच्छा स्त्रोत है, इसलिए इसकी खेती लगभग पूरे साल होती है. यानी बैंगन का उत्पादन रबी, खरीफ और ग्रीष्मकालीन में होता है. हमारा देश बैंगन उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. अगर बैंगन की उन्नत किस्मों की बुवाई की जाए, तो किसान इसकी खेती से और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं. आइए आपको इस लेख में बैंगन की उन्नत किस्मों की जानकारी देते हैं.
बैंगन की उन्नत किस्में
किसानों को बैंगन की उन्हीं किस्मों का चुनाव करना चाहिए, जो उनके क्षेत्र के लिए प्रचलित हों, साथ ही अधिक उपज देने वाली हों. वैसे बैंगन की किस्म 2 प्रकार की पाई जाती है पहली लंबी और दूसरी गोल.
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अगर लंबे फल चाहिए, तो पूसा परपल क्लसटर, पूसा क्रान्ति, पंत सम्राट, एस- 16, पंजाब सदाबहार और एच- 7 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
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फसल से गोल फल चाहिए, तो इसके लिए एच- 4, पी- 8, पूसा अनमोल, टी- 3, एच- 8, डी बी एस आर- 31, डीबी आर-8 और ए बी- 1 आदि की बुवाई करें.
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छोटे और गोल फलों के लिए डी बी एस आर- 44 या फिर पी एल आर-1 किस्म की बुवाई करें.
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अगर संकर किस्मों की बुवाई करनी है, तो पूसा हाइब्रिड-6, अर्का और नवनीत की बुवाई करें.
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लम्बे फलों के लिए ए आर बी एच- 201 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
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गोल फल के लिए एन डी बी एच- 1, ए बी एच- 1, एम एच बी- 10, एम एच बी- 39, ए बी- 2 और पूसा हाइब्रिड- 2 आदि की बुवाई कर सकते हैं.
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